दोस्ती......
किताबे पढ़ी ,
मन का मंथन किया
खूब सोचा-समझा
और जांचा
ऐ-दोस्त तुझे ....
राहे-जिन्दगी में
ख़ुशी मिले ना मिले
सुकून जरुर मिले|
मैंने जन्नत तो नहीं देखी....पर, राहे-जिन्दगी में
ख़ुशी मिले ना मिले
सुकून जरुर मिले|
चलते-फिरते हुए
तेरी आँखों में सादगी देखीं
राह चलते भी
रिश्ते बन जाया करते हैं
वहीँ रिश्ते मंजिल
तक जाते हैं ..
ऐ-दोस्त पर मैंने ..
तेरी दोस्ती की इन्तहां देखी |
आदमी ही आदमी का
दुश्मन हैं यहाँ
मत पुछिए...किइस दिल की
आरजू हैं ये कि ..
हाथ उठा कर ,
अल्लाह से सिर्फ प्यार
नहीं माँगा करते
दोस्ती के लिए भी मैंने ,
फ़रियाद मंज़ूर होते देखी |अल्लाह से सिर्फ प्यार
नहीं माँगा करते
दोस्ती के लिए भी मैंने ,
आँखों से तूफ़ान उठाया
जा सकता हैं
चुप रह कर उसे
फिर से दिल में
छिपाया जा सकता हैं
हर मौसम में जलती देखी |
अब बस एक ही
आरजू है मेरी कि ...
मेरी हर दुआ
तुझे छू कर गुज़रे
दिल में मचलती देखी ||
अनु....