पूरा साल कैसे बीत गया ....ये पता ही नहीं चला |सोचा था इस 2013 में बहुत कुछ लिखूँगी ...पर चाह कर भी कामयाब नहीं हुई |बहुत कुछ तो क्या....मैं अपने मन का लिख भी नहीं पाई | ब्लॉग को पढ़ना और ब्लॉग पर लिखना लगभग बंद है|जीवन की कुछ बंदिशे इतनी रही कि पढ़ने और लिखने का वक़्त ही नहीं मिला |
इधर कुछ सालों का अनुभव है कि अपने लेखन में एक अजीब सा सुकून है |एक निष्ठा का आभास हुआ है इस साल जैसे-तैसे मैंने अपने संग्रहों पर काम किया है ....दूसरी ओर बहुत सी ज़िम्मेवारिओं ने ऐसा घेरा कि हम चाह कर भी अपने और इस ब्लॉग जगत को समय नहीं दे पाए |
परिवार में कुछ घटनाएँ हमे हिला कर रख देती है ...ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ, जिसकी वजह से इस ब्लॉग से दूरी बनती चली गई |चाहते हुए भी ना ब्लॉग पर आ पाई और ना ज्यादा कुछ लिख पाई |इन पाँच (5) सालो में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है |
पाँच (5) साल का सफर ...कुछ इस तरह तय हुआ
इसी साल 19 दिसंबर को मेरे ब्लॉग को पाँच(5) साल पूरे गए |2008 जब लिखना शुरू किया था ...उस वक़्त मुझे हिन्दी में टाईप करना नहीं आता था ....लिखने की हिन्दी बहुत अच्छी होने पर भी यहाँ पर अक्सर इतनी गलतियाँ हो जाया करती थी कि उसे मैं भी अच्छे से जानती थी पर कोई जानकारी ना होने की वजह से एक अनाड़ी की भाँति मुझे यहाँ काम करना पड़ता था और जैसा लिखा गया वैसे ही ब्लॉग पर डाल दिया करती थी |
अगर किसी ने मेरे ब्लॉग की शुरू की कविताएँ पढ़ी हैं तो आप दोस्तों ने इस बात को देखा ही होगा कि वो आज भी वैसे ही पोस्ट हैं जैसे उस वक़्त पर थी .....क्यों कि उन्ही कविताओं को देख देख कर मैंने अपने आप में सुधार किया है |
टायपिंग की गलती को बहुत बार बहुत से दोस्तो ने वक़्त वक़्त पर सूचित करके ठीक भी करवाया है ....मैं उन सब का आभार करती हूँ .....गलतियाँ आज भी होती है और आगे भी होती रहेंगी ....लेकिन लेखन का काम हूँ ही चलता रहेगा |
भले ही कितनी ही मज़बूरी और ज़िम्मेवारियाँ हों ....पर अपना काम तो अब बस यूं ही चलेगा |एक कदम जो साहित्य के क्षेत्र में बढ़ाया है,वो काफ़िले का रूप ले रहा है ........अपने खुद के काव्य संग्रह के साथ साथ सांझा कविता संग्रह....कहानी संग्रह ....लेख...आलेख ...जो समय समय पर अब आते ही रहेंगे|
जब आप खुद से एक कदम अपनी सफलता की ओर बढ़ाते हैं तो आपके साथ आलोचक खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं और मैं उन आलोचकों का दिल से आभार करती हूँ जिनकी वजह से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है |
मेरा ये पाँच साल का सफर बहुत ही यादगार रहा |एक नए लेखक को इतना सम्मान और एक साथ इतने सम्मानित अवार्ड मिलना .....मैं खुद में गर्व महसूस करती हूँ और आभार व्यक्त करती हूँ .....रश्मि प्रभा दीदी को जिन्होंने मुझे नयी लेखिका में विश्वास रखा और अपने संग्रह में मुझे स्थान दिया | उनका काव्य संग्रह ''अनुगूँज''....जो कि सांझा कविता संग्रह था .....मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुआ |
उस में लिखी कविताओं के लिए जब पहली बार मुझे फोन पर उसकी प्रशंसा सुनने को मिली तो वो दिन मेरे लिए सच में बहुत बड़ा दिन था ...
अब तक मुझे मिले सम्मान
anuradhagugnani40@gmail.com
इधर कुछ सालों का अनुभव है कि अपने लेखन में एक अजीब सा सुकून है |एक निष्ठा का आभास हुआ है इस साल जैसे-तैसे मैंने अपने संग्रहों पर काम किया है ....दूसरी ओर बहुत सी ज़िम्मेवारिओं ने ऐसा घेरा कि हम चाह कर भी अपने और इस ब्लॉग जगत को समय नहीं दे पाए |
परिवार में कुछ घटनाएँ हमे हिला कर रख देती है ...ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ, जिसकी वजह से इस ब्लॉग से दूरी बनती चली गई |चाहते हुए भी ना ब्लॉग पर आ पाई और ना ज्यादा कुछ लिख पाई |इन पाँच (5) सालो में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है |
पाँच (5) साल का सफर ...कुछ इस तरह तय हुआ
इसी साल 19 दिसंबर को मेरे ब्लॉग को पाँच(5) साल पूरे गए |2008 जब लिखना शुरू किया था ...उस वक़्त मुझे हिन्दी में टाईप करना नहीं आता था ....लिखने की हिन्दी बहुत अच्छी होने पर भी यहाँ पर अक्सर इतनी गलतियाँ हो जाया करती थी कि उसे मैं भी अच्छे से जानती थी पर कोई जानकारी ना होने की वजह से एक अनाड़ी की भाँति मुझे यहाँ काम करना पड़ता था और जैसा लिखा गया वैसे ही ब्लॉग पर डाल दिया करती थी |
अगर किसी ने मेरे ब्लॉग की शुरू की कविताएँ पढ़ी हैं तो आप दोस्तों ने इस बात को देखा ही होगा कि वो आज भी वैसे ही पोस्ट हैं जैसे उस वक़्त पर थी .....क्यों कि उन्ही कविताओं को देख देख कर मैंने अपने आप में सुधार किया है |
टायपिंग की गलती को बहुत बार बहुत से दोस्तो ने वक़्त वक़्त पर सूचित करके ठीक भी करवाया है ....मैं उन सब का आभार करती हूँ .....गलतियाँ आज भी होती है और आगे भी होती रहेंगी ....लेकिन लेखन का काम हूँ ही चलता रहेगा |
भले ही कितनी ही मज़बूरी और ज़िम्मेवारियाँ हों ....पर अपना काम तो अब बस यूं ही चलेगा |एक कदम जो साहित्य के क्षेत्र में बढ़ाया है,वो काफ़िले का रूप ले रहा है ........अपने खुद के काव्य संग्रह के साथ साथ सांझा कविता संग्रह....कहानी संग्रह ....लेख...आलेख ...जो समय समय पर अब आते ही रहेंगे|
प्रकाशित काव्य
संग्रह: .......क्षितिजा
(2012)
‘’ए-री-सखी’’(2013)
कहानी संग्रह (प्रकाशाधीन)
संपादन: १. "कस्तूरी" (साझा संपादित काव्य संग्रह (2012...अंजु(अनु) चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा )
२. "अरुणिमा" (स्वतंत्र संपादन..2013)अंजु(अनु)चौधरी
३. ‘’पगडंडियाँ’’
(साँझा संपादित
काव्य संग्रह अंजु(अनु) चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा (2013)
४. ‘’गुलमोहर’’ (साँझा कविता
संग्रह....2013अंजु(अनु) चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा)
प्रकाशित साझा
काव्य संग्रह में मेरी भी कविताएँ
अनुगूँज (श्रीमती रश्मि प्रभा
द्वारा सम्पादित 2011)
शब्दों की चहलकदमी ( संपादक ...सत्यम
शिवम 2013)`
नारी विमर्श के अर्थ (संपादन ...रश्मि प्रभा 2013)
सुनो समय जो कहता है (संपादक
....रवीन्द्र कुमार दास ..2013)
समाचार पत्र और पत्रिकाओं
से जुडाव:
१. निर्दलीय समाचार पत्र में बराबर प्रकाशन (भोपाल)
२. उत्कर्ष मेल (नई
दिल्ली )
३..नव्या,रूबरू
दुनिया और निर्दलीय पत्रिका से जुड़ाव(जो अब तक भी कायम है)
४..दृष्टिपात
जब आप खुद से एक कदम अपनी सफलता की ओर बढ़ाते हैं तो आपके साथ आलोचक खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं और मैं उन आलोचकों का दिल से आभार करती हूँ जिनकी वजह से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है |
मेरा ये पाँच साल का सफर बहुत ही यादगार रहा |एक नए लेखक को इतना सम्मान और एक साथ इतने सम्मानित अवार्ड मिलना .....मैं खुद में गर्व महसूस करती हूँ और आभार व्यक्त करती हूँ .....रश्मि प्रभा दीदी को जिन्होंने मुझे नयी लेखिका में विश्वास रखा और अपने संग्रह में मुझे स्थान दिया | उनका काव्य संग्रह ''अनुगूँज''....जो कि सांझा कविता संग्रह था .....मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुआ |
उस में लिखी कविताओं के लिए जब पहली बार मुझे फोन पर उसकी प्रशंसा सुनने को मिली तो वो दिन मेरे लिए सच में बहुत बड़ा दिन था ...
अब तक मुझे मिले सम्मान
1…२०११ में ...निर्दलीय
प्रकाशन के राष्ट्रीय अलंकरण की श्रृंखला में साहित्य
वारिधि अलंकरण... कविता एवं
साहित्य के क्षेत्र में सम्मानित किया गया |
2…14..4..2012 को महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च
अकादमी...नागपुर....international /national
award...से नवाज़ा गया |
3…26.5.2012 …पूर्वोतर हिंदी अकादमी ....शिलोंग की ओर से ....लेखन और साहित्यधर्मिता के लिए
सम्मान पत्र दिया गया |
4…२०१२ ..क्षितिजा(काव्य संग्रह) के
लिए ही ....अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली ) की ओर से ....काव्य
शिरोमणि सम्मान से सम्मानित |
5..…14.9.2013…राष्ट्रीय
साहित्य,कला और संस्कृति
परिषद्...महाराणा प्रताप
संग्रहालय, हल्दीघाटी, (राजस्थान )...(उदयपुर )
सम्मान पुरस्कार....शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ...१४ सितम्बर ...२०१३
सम्मान पुरस्कार....शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ...१४ सितम्बर ...२०१३
अब तक का सबसे बड़ा सम्मान
6…… विक्रमशिला हिंदी विद्द्यापीठ ....
14 दिसंबर 2013 ...गांधीनगर ईशीपुर, भागलपुर द्वारा... उज्जैन में ''विद्यावाचस्पति'' सम्मान से सम्मानित किया गया | ये सम्मान राष्ट्रीय साहित्यकार अधिवेशन में प्रदान किया गया |
इस सम्मान के बाद कहा जाता है कि मैं अपने नाम के आगे ''डॉ' लगा सकती हूँ ...ये एक मानक उपाधि है |
ये साल जाते जाते जहाँ कुछ बहुत कड़वी यादें देकर जा रहा है ....वहीं साल के आखिरी में कुछ बातें और यादें इतनी अच्छी है कि वो कभी भी इस मानस पटल से मिटेंगी नहीं |
16 नवंबर.2013 को विमोचन हिन्दी भवन में एक सफल आयोजन के रूप में हमेशा याद रहेगा | विमोचन...सुमन केसरी जी ,लीलाधार मंडलोई जी और आकाशवाणी के लक्ष्मीशंकर वाजपाई की उपस्थिति में हुआ था | इस संग्रह के बहुत से प्रतिभागियों ने इस में हिस्सा भी लिया था |
16 दिसंबर 2013 को गुलमोहर सांझा कविता संग्रह को लेकर आकाशवाणी में मुकेश कुमार सिन्हा और मेरा साक्षत्कार
25 दिसंबर 2013 .......दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के कवि सम्मेलन में भी अपनी उपस्थिति भी हमेशा याद रहेगी....यहाँ सब से मिलना अपने आप में एक सुखद एहसास था
अनीता कपूर जी (USA)
रमा शर्मा जी (जापान)
नरेन्द्र ग्रोवर जी(UK)
जेन्नी शबनब (दिल्ली )
सीमा गुप्ता (गुड़गांव)
सिया सचदेव
रेणु गुप्ता
अंजलि गुप्ता
पी के आज़ाद (हास्य कवि )
शोभा रस्तोगी
मुकेश कुमार सिन्हा
आरती स्मिथ
पुर्णिमा मोहन (टोरेनटों...USA)
पूनम मटिया (दिल्ली)
रेणु रॉय
मृदुला प्रधान जी
और मैं ....अंजु अनु चौधरी .......वहाँ अपनी कविता को पढ़ना बेहद खुशी दे गया |
कैमरे और कुछ हमारी गलती की वजह से कविता पाढ़ करते वक़्त फोटो सही से नहीं आई
इसी के साथ इस साल का लेखा जोखा यहीं खत्म करती हूँ और ईश्वर से ये ही प्रार्थना है कि आने वाले साल सबके लिए शुभ हो ...मंगलमय हो |