(जीवन की सोच के हर रंग का मिला जुला सा असर )
इस होली में
रंगों की टोली
रोशनी का उमड़ता हुआ सैलाब बनी
फिर भी
रुकावट के लिए खेद है
क्यों कि
देश को बचाने की
मुहीम भी तेज़ है |
होली के रंगों की तरह
राजनीति भी रंगी है
सच्चे-झूठे वादों के घेरे में
कहीं ...
श्वान कूटनीति
कहीं धमकी का धमाका
कहीं कोई ढूँढ रहा है
एक नया बहाना....
काले शीशे वाली कारों पर
बेअसर हो रहा है
हर रंग मतवाला |
कहीं मुलायम की सरकार
तो कहीं चली मोदी के
भाषण की तलवार
सात रंगों के संग
सब खेल रहें होली
पर देश के नेता और राजनीति की
उतनी ही बदरंग हो-ली
मासूम बेटियों पर अत्याचार से
ना कोई रंग बचा,ना ही कोई उत्साह
इस होली में...
बडी कमी महसूस हुई
प्रतिमान,समय और
समाज-संस्कृति की...
पास-पड़ोस के दिल अब
सूने हुए...
औरतो के सरेआम बेईज्ज़त होने में
इसी वजह से ना है हुड़दंग ,
ना है कोई हो-हल्ला
ना जीवन में कोई रंग बचा
इस होली में ||
फिर भी इस होली में
मन की एक खिडकी
खुली सी है
बगिया में तितली
उड़ी सी है
चहुँ ओर बिसरी स्मृतियाँ
स्नहे से लिपटी सी हैं
लेखन की टेबल पर रह कर
मन की भड़ास,
शब्दों में उभरी सी है ||
फिर भी..
रोशनी का एक उमडता
संसार बना तो
जाने किस सोच में
झुक जाती है सबकी नज़रे
कुछ कहो,कुछ सुनाओ
कोई किस्सा तो छेड़ जायो
है मस्ती का आलम
तभी तो
रंगों में रंग कर बिखरा सा है
उड़ता है
अबीर का सहर*(जादू)
घेर रहा सबको
हर ओर से
सात रंगों के मेल से
जो बुन रहा है,
एहसासों के आईने में
एक सुंदर सपना सा
इस होली में ......||
(आप सबको बच्चों जैसी मस्ती वाली होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ )
अंजु(अनु)
इस होली में
रंगों की टोली
रोशनी का उमड़ता हुआ सैलाब बनी
फिर भी
रुकावट के लिए खेद है
क्यों कि
देश को बचाने की
मुहीम भी तेज़ है |
होली के रंगों की तरह
राजनीति भी रंगी है
सच्चे-झूठे वादों के घेरे में
कहीं ...
श्वान कूटनीति
कहीं धमकी का धमाका
कहीं कोई ढूँढ रहा है
एक नया बहाना....
काले शीशे वाली कारों पर
बेअसर हो रहा है
हर रंग मतवाला |
कहीं मुलायम की सरकार
तो कहीं चली मोदी के
भाषण की तलवार
सात रंगों के संग
सब खेल रहें होली
पर देश के नेता और राजनीति की
उतनी ही बदरंग हो-ली
मासूम बेटियों पर अत्याचार से
ना कोई रंग बचा,ना ही कोई उत्साह
इस होली में...
बडी कमी महसूस हुई
प्रतिमान,समय और
समाज-संस्कृति की...
पास-पड़ोस के दिल अब
सूने हुए...
औरतो के सरेआम बेईज्ज़त होने में
इसी वजह से ना है हुड़दंग ,
ना है कोई हो-हल्ला
ना जीवन में कोई रंग बचा
इस होली में ||
फिर भी इस होली में
मन की एक खिडकी
खुली सी है
बगिया में तितली
उड़ी सी है
चहुँ ओर बिसरी स्मृतियाँ
स्नहे से लिपटी सी हैं
लेखन की टेबल पर रह कर
मन की भड़ास,
शब्दों में उभरी सी है ||
फिर भी..
रोशनी का एक उमडता
संसार बना तो
जाने किस सोच में
झुक जाती है सबकी नज़रे
कुछ कहो,कुछ सुनाओ
कोई किस्सा तो छेड़ जायो
है मस्ती का आलम
तभी तो
रंगों में रंग कर बिखरा सा है
उड़ता है
अबीर का सहर*(जादू)
घेर रहा सबको
हर ओर से
सात रंगों के मेल से
जो बुन रहा है,
एहसासों के आईने में
एक सुंदर सपना सा
इस होली में ......||
(आप सबको बच्चों जैसी मस्ती वाली होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ )
अंजु(अनु)