धरती के ऊपर नल है
उसमें आता जल है
जल को निहारने को
प्यासी ये धरती आई
पर बिखर गई
उस दर्रे की गूंज से
और फूट पड़ा जल का दरिया
चारों ओर
तबाही का मंज़र
दिखाने को ||
पवित्र धरती पवित्र पानी
फिर क्यों है इसकी
अजीब कहानी
मानो तो अमृत की धारा
नहीं तो
जीवन का अंतिम कहानी |
धरती के ऊपर नल है
उसमे आता जल है
जो ले डूबा इस बार
ना जाने कितनी ही जिंदगानी
बन कर महाकाल
पथराए कानन ने
चट्टानों का सीना भी
छलनी किया |
थी यहीं एक बस्ती
थे कुछ मकान
और पुल, कल तक
पर आज
जो भूमि और पत्थरों का स्पर्श
करते हुए
ना जाने कहाँ ढह गए|
तडपता हुआ इंसान ना जाने
किस मिट्टी में विलीन हो गया ||
अंजु(अनु)