असमंजस ......
लिखते लिखते रूकती ,
लेखनी का असमंजस
पढने के बाद ,
समझ का असमंजस
दो राहे पर खड़े ,
बचपन का असमंजस
अंतिम पड़ाव पर ,
वृद्धावस्था का असमंजस
बुझते चिरागों का भी असमंजस
लुटती अस्मत में ,
लिखते लिखते रूकती ,
लेखनी का असमंजस
पढने के बाद ,
समझ का असमंजस
दो राहे पर खड़े ,
बचपन का असमंजस
अंतिम पड़ाव पर ,
वृद्धावस्था का असमंजस
तूफ़ान की कालरात्रि में ,
गिरती बिजली का असमंजस
सागर के किनारों पर ,
टकराती लहरों का असमंजस
मन में उठते प्रश्नों को ,
उत्तर देने का असमंजस
अजीब सा एहसास और ,
रूकती सांसों का असमंजस
झड़ते पत्तो और ,गिरती बिजली का असमंजस
सागर के किनारों पर ,
टकराती लहरों का असमंजस
मन में उठते प्रश्नों को ,
उत्तर देने का असमंजस
अजीब सा एहसास और ,
रूकती सांसों का असमंजस
बुझते चिरागों का भी असमंजस
लुटती अस्मत में ,
बहते लहूँ का असमंजस
पेट की आगे में ,
झुलसते बचपन का असमंजस
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||
अनु
पेट की आगे में ,
झुलसते बचपन का असमंजस
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||
अनु