आज सुबह नाश्ते की मेज पर जब परिवार में बातचीत का दौर शुरू हुआ तो ...एक बात सुनने को मिली ...वो बात कुछ अजीब ना होते हुए भी कुछ अजीब सी थी .पति देव ने बताया की ..दुकान के दो लड़के अपनी कमेटी छुडवाने के बाद खूब शराब पी कर नशे में धुत ...किसी ट्रेन में सवार हुए ...और जब उनको होश आया तो अपने आप को ..मुंबई में पाते हैं ....
पर इस बात को सुनते ही मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या शराब का नशा इतना था कि वो दोनो ये नहीं जान पाए की वो दोनो कहां और किस ओर जा रहे हैं और क्या ये नशा उनका २४ घंटे तक रहा होगा ...कि उन्हें ये होश ही नहीं की वो लोग हैं कहां ? इस दौरान उनके परिवालों पर क्या गुज़री होगी ....ये जब सोचने लगती हूँ तो ऐसा लगता है कि या तो वो दोनों झूठ बोल रहे हैं ....या फिर ऐसा कुछ हुआ हैं जिस से वो भाग रहे हैं ...पर बात जो भी हो परिवार में अपने बच्चों के लिया माँ ही सबसे पहले और सबसे अधिक परेशां होती है ...क्या आज के बच्चे (खास कर लड़के ) इतने निरमोही है कि वो अपने परिवार के बारे में ...इस शराब के आगे कुछ सोचने समझने के काबिल नहीं रहते ....शराब के स्वाद में ऐसा क्या है ..जो आज की युवा पीढ़ी इस ओर बड़ी तेज़ी से आकर्षित हो रही है ...बड़े शहरों में तो और भी बुरा हाल है ...अब तो हर टी.वी सीरियल में शराब को खुलेआम पीते हुए दिखाया जाता है ....वो भले ही कोई लड़का हो ,आदमी या जवाँ होता कोई बच्चा ...लड़के लड़की में भेद खत्म हो गया है शराब के मामले में ..बेशर्मी की हद तक अपने समाज में इस शराब ने अपनी पकड़ बना ली है ...ना पीने वाले को पिछड़ा हुआ और बेचारा समझ लिया जाता है.....
हाय री शराब देवी !
कमाल है तेरा आकर्षण
कमाल है तेरी शक्ति
उनके लिए ...
जग में नहीं कोई तुझ से बढ़ कर भक्ति
ये भक्त तेरे ,तेरे ही गुलाम हैं
नशे में धुत ,
नशे के घोड़े पे सवार हैं
रिश्तेनाते ,जीवन का कोई मूल्य नहीं
इनके वास्ते ..
तू साकार मूर्ति यमराज की
फिर भी होती है तेरी भक्ति
तू तो है बड़ी कमाल की
जिगर को लगाती आग है
फिर भी इंसा के लबों के पास है
हर रोगों की उत्पादक ,
समस्त अच्छाईयों की नाशक
फिर भी तू सब में ...महान है
हे-शराब देवी ..
धन्य है तेरा नशा -धन्य है तेरा आकर्षण !!
अंजु(अनु)