Friday, December 19, 2008

आंखे .....


याद करके जब
रोने लगी ये
आंखे ...........
अश्क भी ..अब साथ
नहीं देते ...
दिल मे उठे दर्द
को नहीं मै समझ पा रही
ख़ुशी की तलाश मे..
चली थी मै.......
पर गमो को साथ लिये...
लौटी हु मै .......
ना भूलने वाली यादे ..
अब मेरे मानस पर
छा सी गयी है ..
जो मिला था कुदरत से
उसे छोड़
मिथ्या ..के पीछे
भागी थी मै
मृग्मारिच्का के पीछे
घने मरुस्थल
मे भटक गयी हु मै .......
याद करके जब
रोने लगी ये
आंखे ...........
.....(कृति...अनु...)

5 comments:

विवेक दुबे"निश्चल" said...

ask bhi ab santh nahi dete woh anu bahut khub
dil ko chune bali rachna he ,,

विवेक दुबे"निश्चल" said...

ask bhi ab santh nahi deta ,,,,
wah anu bahut khub
dil ko chuune wali rachna he,

दीपक बाबा said...

बेहतरीन कविता....

KK Mishra of Manhan said...

भाव-विह्वल कर देने वाले शब्दों की कडिया....सिन्दार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...


ख़ुशी की तलाश मे…
चली थी मै… …
पर ग़मों को साथ लिये…
लौटी हूं मैं… … …
ना भूलने वाली यादें…
अब मेरे मानस पर
छा-सी गयी हैं…
जो मिला था कुदरत से
उसे छोड़
मिथ्या के पीछे
भागी थी मै
मृगमरीचिका के पीछे
घने मरुस्थल
में भटक गयी हूं मैं … … …

रचना क्या , एक करुणागान है …
आदरणीया अनु जी !

सुंदर लिखा है …
मन तक स्पर्श करने जैसा …

शुभकामनाओं सहित…