Thursday, February 5, 2009

यादे ................


यादो के सफ़ेद परिंदे ....
नीले आकश से है उतरे
सफ़ेद परिंदों कि चादर चारो है फैली ...
कितनी निर्मल ,कितनी पवित्र ,
और मन को शांति प्रदान करने वाली ,
मेरी इन यादो में है बच्चपन बसा ,
यौवन का है प्रेम प्रसंग छिपा ,
अपनी स्मृति में दबे ढके ,
अनेक प्रसंग ले कर यादे आगे बड़ी ,
नदी ,तालाबो के वोह यादे
आ कर रुकी ..खेत खलियानों में ......
मेरी भलाई -बुराई ,उठा पटक .जोड़े -तोड़ ,
जगहसाई ,रुस्वइयो और कमजोरियों ,
का कच्चा चिठा है ये यादे ,
साबुन के बुलबुले समान मेरी ये यादे
जैसे डोर संग बंधी पतंग ...
वैसे मकड़ जाल सी मेरी मानस पे छाई ये यादे ...
कोमल..निर्मल ...स्वछ........सिर्फ और सिर्फ मेरी यादे ...............
(.......कृति.....अनु......)

8 comments:

विवेक दुबे"निश्चल" said...

Teri yaado ke parinde utre he, tujhe bahlane ko, tera bachpan lotane ko, tera yoovan jagane ko, tujhe gudgudane ko, tujhe or natkhat banane ko, teri kamnao ko jagane ko, tu or teri yaade bas yaade. .

Pintu said...

Kachi Umar Di Ungli Fad,
Fer Beparvah Hon da Dil Karda,
Waqt nu Pa Jaffi Pyar di,
Apni marzi Naal Toran da Dil karda.

Monica Shankar said...

its really wonderfull..

Unknown said...

WAH BAHUT KHUB LIKHA HAI TUMNE

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत प्यारी रचना ..यादों के परिंदे ... अच्छा लगा पढ़ना

Aparna Bose said...

मेरी भलाई -बुराई ,उठा पटक .जोड़े -तोड़ ,
जगहसाई ,रुस्वइयो और कमजोरियों ,
का कच्चा चिठा है ये यादे .............. waah.. bohat hi pyari rachna

विभूति" said...

मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ....

प्रतिभा सक्सेना said...

सारे कच्चे-चिट्ठे समेटे रहती हैं यादे!