Wednesday, December 22, 2010
कुछ रिश्ते अनाम होते है...............वही ''आम '' होते है
हां ...कुछ रिश्ते अनाम होते है
जो ना दो नाम तो वही
वही बदनाम होते है
जो लबो से बोल दो
वही ''आम '' होते है
''आँख'' और ''आंसू'' भी एक रिश्ता है
यूँ तो देखो तो पानी है
जो गिरता और रिसता है
पल भर के लिए
गिरा वो आकर पलकों कि कोरो पे
और बन गया कुछ मीठी और खटी यादो में
आकर बस गया दिल कि गहरयियो में
हां ...कुछ रिश्ते अनाम होते है
जो ना दो नाम तो वही
वही बदनाम होते है
जो लबो से बोल दो
वही ''आम '' होते है
सब कुछ लुटा दिया
मगर दिल की राहें
ना आसान हो सकी
ना रुकी मेरी ही आरजूएं
और ना मै ज़िन्दगी को रोक सकी
हर मोड़ पे
मिले नए कारवां
पर ना मिली वफ़ा किसी से
हां ...कुछ रिश्ते अनाम होते है
जो ना दो नाम तो वही
वही बदनाम होते है
जो लबो से बोल दो
वही ''आम '' होते है
..............अंजु..(अनु )
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
bahut achchi lagi.
प्रशंसनीय प्रयास - नव वर्ष २०११ की मंगल कामना
रिश्तों का अन्बूझापन ही
शायद परिनिति हैं
ऐसा कहता हैं
इसलिए
कशमकश सहता हैं
बिखराव का मौसम
यूं भी
ज्यादा रहता हैं
jo labo se bol do wo aam hote hain:)
kya kahne hain...achchha laga
bahot badhiyaa annu
Post a Comment