
हम दोनों के बीच
भागीरथ बन कर
भिगो गया कोई
खुद के बोल देकर
गुनगुनाने को छोड़ गया कोई.
प्रेम रस की फुहारों से
इस तन की प्यास
बुझा गया कोई.
बुझा गया कोई.
अठखेली करती चंचल मन
सीमाओं में बंधी-कसी ...
मन के तारों को
झुंझना गया कोई
चले हैं मिल कर साथ
छूने को आसमां
अतृप्त आह, आहें कई .. ...
अब भी है
हम दोनों के बीच.
प्यासी धरती के दिल में
प्यार बीज बो गया कोई.
छूने को आसमां
अतृप्त आह, आहें कई .. ...
अब भी है
हम दोनों के बीच.
प्यासी धरती के दिल में
प्यार बीज बो गया कोई.
रीझ रीझ के नाचा है मन मयूर
उसकी प्रेम फुहारों में
मरू की नीरसता टूटी है
तन से नाच ..नचा
गया कोई.
कान, कान वो ही
जिसने तेरी आवाज़ सुनी
आँख, वो आँख वही
जिसने तेरा जलवा देखा
इन्ही सुर्ख नयनो में
सपना सजा गया कोई.
जिसने तेरी आवाज़ सुनी
आँख, वो आँख वही
जिसने तेरा जलवा देखा
इन्ही सुर्ख नयनो में
सपना सजा गया कोई.
भीच लूँ तुझे अपनी
बाहों में
प्यासे थल, जल की
आशा में
एक स्वप्न अब भी बाकी है
हम दोनों के बीच
लो सपने सजा गया कोइ ||
(अनु )
33 comments:
ASHOK ARORA
मरू की नीरसता टूटी है
मन मंदिर के द्वारे में
तन से नाच ..नचा
गया कोई.
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भीच लूँ तुझे अपनी
बाहों में
प्यासे थल, जल की
आशा में
एक स्वप्न अब भी बाकी है
हम दोनों के बीच
लो सपने सजा गया कोइ ||
अनबुझी प्यास की गज़ब कहानी ..को ..खूबसूरती ....व्यक्त कर दिया आप ने...अनु...
बहुत ही सुन्दर रचना....
waah bahut sundar............
प्यासी धरती के दिल में
प्यार बीज बो गया कोई.
BAHUT SUNDER
मरू की नीरसता टूटी है
मन मंदिर के द्वारे में
तन से नाच ..नचा
गया कोई. .......बहुत खूबसूरत रचना...
मरू की नीरसता टूटी है
मन मंदिर के द्वारे में
तन से नाच ..नचा
गया कोई. ..
इसे अच्छी सोंच की तलाश जारी है , सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
बहुत खूबसूरत भावों से भरी अच्छी रचना
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 29-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बहुत खूबसूरत रचना...
बहुत बहुत बधाई ||
भीच लूँ तुझे अपनी
बाहों में
प्यासे थल, जल की
आशा में
एक स्वप्न अब भी बाकी है
हम दोनों के बीच
लो सपने सजा गया कोइ ||
bahut sunder bhav...........khubusrat shabdavali.......
मरू की नीरसता टूटी है
मन मंदिर के द्वारे में
तन से नाच .नचा
गया कोई..खूबसूरत रचना!
दिल को छुती रचना है आपकी.
बहुत प्यारी और खुबसूरत रचना
tumhare sare sapne sach ho..........:)
बहुत सुन्दर रचना...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
"एक स्वप्न अब भी बाकी है
हम दोनों के बीच
लो सपने सजा गया कोइ ||"
ईश्वर करे कोई-न-कोई सपना यूँ ही बाकी रहे और जीवन में खुशियों का श्रोत बना रहे.
बहुत सुंदर अभिब्यक्ति!!!
बहुत सुन्दर और सामयिक रचना
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बेहतरीन भाव है आपकी रचना में. आभार.
बहुत ही सुन्दर भावों को अपने में समेटे शानदार कविता.
मरू की नीरसता टूटी है
मन मंदिर के द्वारे में
तन से नाच ..नचा
गया कोई.
प्रेम जीवन को कई रंग दे जाता है ..और जीवन प्रेम को पाकर धन्य हो जाता है ......शुक्रिया आपका
@लो सपने सजा गया कोइ....
वाह,बेहतरीन अभिव्यक्ति,आभार.
बहुत सुंदर रचना।
सुंदर भाव और अभिव्यक्ति
भागीरथ बन कर
भिगो गया कोई
खुद के बोल देकर
गुनगुनाने को छोड़ गया कोई.
प्रेम रस की फुहारों से
इस तन की प्यास
बुझा गया कोई.
बहुत खूबसूरत है !!
bahut sundar... :))
PREM JAISE PAVITRA SABD KO JIS TARAH SE AAPNE APNI ISH KAVITA KE MADHYAM SE DARSHAYA HAI WO PRASANSNIYE HAI..SATHI MERE....
AAPKI ISH RACHNA NE MERE DIL KO CHHU LIYA..WAISE AAPKI HAR RACHNAWO ME EK GAHRAEE HOTI HAI..WO MUJHE ISH ME BHI DIKHI..PAR SABDO KA JO KHEL HAI..WO ATULNIYE HAI..
AAP U HI APNI BHAVO KO RACHNAWO KE JARIYE RAKHTE JAWO....
जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मना ले ईद.
ईद मुबारक
premras men pagi aapki yeh kavita kaaphi aashvast karti priya anu jee.is sundar rachna ke liye meri aur se aapko badhai.
Bahut sunder anuji ...man ke taaro ko jhnkrat kar gaya jaese ...
खूबसूरत रचना........
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