Monday, January 30, 2012

प्रतीक्षा .....................

प्रतीक्षा

हम तो इंतज़ार में बैठे रहे यूँ ही ,दिन भर
वो आए तो करीब मेरे ,पर बिन देखे कि
मेरी आँखों में इंतज़ार के आँसू भी हैं
उसने ना आने के सौ बहाने बताएँ,
पर ये नहीं पूछा कि ,तुम कैसे हो
मेरे ना आने पर ...|

ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त 

हम इम्तेहान  देते गए  
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा 

कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?

रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं
हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल
इस मुश्किल दौर में ,मैं कहाँ जाऊं ?
दुनिया भर की बातों का उत्तर देता जाऊं ,
पर अपनों की कटाक्ष भरी बातों से
कैसे ,खुद को समझाऊँ?

बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें 
सच करने की,
और बिस्तर पर पड़ा पड़ा
भांति भांति की कल्पनाओं में डूब जाता हूँ
और फिर ना जाने कब सो जाता हूँ ,

अपनी ''प्रतीक्षा'' की
प्रतीक्षा में |

अनु

45 comments:

RITU BANSAL said...

बड़ी सुन्दर 'प्रतीक्षा ' है..
kalamdaan.blogspot.com

संजय भास्‍कर said...

दिल के जज़्बातों को ज़ुबान दी है आपने...अनु दी
कविता के भाव को चित्र ने बखूबी उभारा ।

संजय भास्‍कर said...

भांति भांति की कल्पनाओं में डूब जाता हूँ
और फिर ना जाने कब सो जाता हूँ ,
अपनी ''प्रतीक्षा'' की
प्रतीक्षा में |

.......कभी कभी प्रतीक्षा भी जरूरी है यही तो जिंदगी है ..
बेहतरीन भाव ..मर्म्सपर्शी कविता दी !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कुछ पाना है तो प्रतीक्षा करनी ही पडेगी,जीवन में ऐसी परस्थितियाँ आती रहती है,...
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट ...
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....

रेखा श्रीवास्तव said...

pratiksha bahut kathin hoti hai aur phir usake baad bhi manachana phal na mile to aur bhi ........

Dr.NISHA MAHARANA said...

रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं .bahut khoob.

KANTI PRASAD said...

रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं
हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल
इस मुश्किल दौर में ,मैं कहाँ जाऊं ?
दुनिया भर की बातों का उत्तर देता जाऊं ,
पर अपनों की कटाक्ष भरी बातों से
कैसे ,खुद को समझाऊँ?

बहतरीन रचना अंजू जी, बधाई!!

Kailash Sharma said...

ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त
हम इम्तेहान देते गए
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा
कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?

....बहुत मर्मस्पर्शी अहसास ...बहुत कठिन होता है प्रतीक्षा में समय गुजारना...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

हम तो इंतज़ार में बैठे रहे यूँ ही
very ntce

shikha varshney said...

प्रतीक्षा की प्रतीक्षा ...वाह ..क्या बात है.

Nirantar said...

pratikshaa kabhee khatm nahee hotee
nirantar sataatee rahtee
ram ram

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अपनों की बातें ज्यादा कष्ट देती हैं ...
प्रतीक्षा की प्रतीक्षा अच्छी लगी

Anil Kumar Mishra,Umaria(MP) said...

निराशावादी पंक्तिओं का कैसे सम्मान करूं !

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मन के सुंदर ,सच्चे भाव.....

Kunwar Kusumesh said...

सच,ये इंतज़ार बड़ा दुखदाई होता है.

रश्मि प्रभा... said...

ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त
हम इम्तेहान देते गए
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा
कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?... पूछने का साहस नहीं रहा होगा ! इसलिए खामोश रही आँखें चुराकर

amrendra "amar" said...

बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें
सच करने की,

sach me aisa hi hota aya hai ....hum kitna bhi soche .per bahut sari batein ander hi reh jati hai aur ham prateesha hi kerte rahte hai......
bhavo ki umda prastuti

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।


सादर

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Pratikshha ka pratikshha karna ek baar fir kahin bha gaya..:)
Anju ... tumhari har rachna me alag si kasish hoti hai.. kuchh kah nahi pata par kahin andar lagta hai... bahut behtareeeen:)
dil se kah raha hooon... sach me khubsurat rachna......

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति
कल 01/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, कैसे कह दूं उसी शख्‍़स से नफ़रत है मुझे !

धन्यवाद!

Arun sathi said...

हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल.....
गहरी संवेदना लिए एक प्रेम और विरह युक्त कविता। आभार।

Maheshwari kaneri said...

एक सुन्दर सी प्रतीक्षा..बहुत खूब अनु जी..

નીતા કોટેચા said...

wahhhhhh
pratiksha kabhi khatam hi nahi hoti na annu...

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहतरीन रचना

Urmi said...

सुन्दर भाव एवं अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!बधाई!

vidya said...

मनोभावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति..
सुन्दर रचना..
सादर.

***Punam*** said...

एक बात तो है कि प्रतीक्षा में नींद बड़ी अच्छी आती है...
और नींद टूटने पर फिर वही प्रतीक्षा.....!
खूबसूरत....

दिगम्बर नासवा said...

बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें
सच करने की,...
प्यार नें इतनी गहरी सज़ा ठीक नहीं होती ... प्रेम में तो उन्मिक्त छोड़ देना चाहिए ...

amit kumar srivastava said...

शानदार |

Shaifali said...

Dil ko cheer kar ehsaas jagaane wali kavita aapki bahut pasand aayee.

Life mai kai baar ham sirf wait karte rehte jaate hai...kabhi kisi pal ka, to kabhi kisi mulaakat ka, to kabhi kisi ki awaaj ka to kabhi apne hi shabdo ka jo awaaj ban nikalna chahte hai. Lekin jaise ki Shri Jagjit Singhji ki ghazal mai hai-

"jo jee chahe voh mil jaaye kab aisa hota hai"

Take care.
-Shaifali

Anonymous said...

dil ko chu lene vale shabd

dinesh aggarwal said...

प्रतीक्षा को सुन्दर शब्द दिये आपने....
बधाई.....
नेता,कुत्ता और वेश्या

सुनील गज्जाणी said...

pranam!
behad sunder abhivyakti , esi pratikshae naye baavo ko janam pradan karti hai ,badhai
saadar

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुती .

MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

Udan Tashtari said...

सुंदर अभिव्यक्ति..

Udan Tashtari said...

सुंदर अभिव्यक्ति..

Naveen Mani Tripathi said...

vah Anju ji bahut hi khoobsoorat rachana ke liye apko bdhai.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

अपनी प्रतीक्षा की प्रतीक्षा में....वाह !!!!!! अंतर्मन की सुंदर अभिव्यक्ति.

उपेन्द्र नाथ said...

बहुत की गहरे एहसास के साथ सुन्दर प्रस्तुति. .....

kalp verma said...

bahut sundar ji...

kalp verma said...

bahut sundar ji...

Pratik Maheshwari said...

ज़िन्दगी में हर पल, हर समय हम किसी न किसी घड़ी/लम्हें की प्रतीक्षा करते ही रहते हैं.. अंत तक.. यही सत्य है!

Asha Lata Saxena said...

ये जिंदगी हमसे इम्तहान लेती रही ----तुमने इतने इम्तहान कैसे दिए |
गहरे भाव लिए पंक्तियाँ |भावप्रवण रचना |
आशा

विवेक दुबे"निश्चल" said...

सुंदर कविता...