एक परी आएगी
जो तुझे सुलाएगी
लेगी आँचल में वो अपने
लेगी आँचल में वो अपने
तुझे पलकों के पालने में
झुलाएगी ||
झूठ मूठ करना आँखे बंद
और करवटे बदलना
और करवटे बदलना
वो थपकी देगी
तुम सोने का नाटक करना
जब
जब
वो कान्हा करके बुलाए
तो .. जा कर छिप जाना
वो घर भर में शोर मचाएगी उसके सामने आते ही
तुम बुद्धू बन जाना
ऐसे ही वो तुझे लाड़ लड़ाएगी
इस ममता के आगे
तेरी कोई चालाकी काम
नहीं आएगी
तेरी इस अदा पर
वो रोम रोम से
पुलकित हो जाएगी
ज्यादा नहीं वो ,
पास बिठा तुझे
अपने ही हाथों से
फिर खाना खिलाएगी
हाँ ...झाँकना उसकी आँखों में
एक प्यार का निश्छल
सागर पाओगे ||
हो तेरे जीवन में
काँटों सी उलझने ,
पतझड़ से रूखे में
पानी के लहरों
सी जिंदगी में
परिचय की टहनी पर
टूटे सन्दर्भों के
जुड़ आयें छोरों पर
मन के भरीपन में
ममतामयी के कान्हा
तुम हर वक्त उसे अपने ही करीब पायोगे
जब हो मन में
मकड़ी से जालो का उलझाव
तो देना उसे बस ...एक हल्की सी आवाज़
वो कान्हा कान्हा कर
दौड़ी चली आएगी ........कि
एक परी आएगी
जो रख कर सर तेरा
अपनी गोद में
बड़े प्यार से ...फिर से
जो रख कर सर तेरा
अपनी गोद में
बड़े प्यार से ...फिर से
जो तुझे सुलाएगी
लेगी आँचल में वो अपने
तुझे पलकों के पालने में
झुलाएगी ||
अंजु (अनु)
48 comments:
इस प्यारी परी को प्यार...जो इतना सुकून दे जाएगी
उस परी का इंतज़ार अब भी कभी कभी होता है.. जब नींद नहीं आती.. और कोई परेशानी घंटो मन में चलती रहती...
बहुत बेहतरीन... उम्दा... खुबसूरत सोच :)
हिंदी दिवस की शुभकामनायें
अच्छा लगा बच्चा बनना ।
ज्यादा नहीं वो ,
पास बिठा तुझे
अपने ही हाथों से
फिर खाना खिलाएगी
हाँ ...झाँकना उसकी आँखों में
एक प्यार का निश्छल
सागर पायोगे ||
बहुत अच्छी रचना
बहुत सुंदर
मनमोहक रचना
इसे सम्भवतः बुधवार को नई-पुरानी हलचल में ले जाउँगी
उत्तम रचना !
माँ के स्नेह की छाँव सदैव ऐसी ही होती है!
उत्तम रचना !
माँ के स्नेह की छाँव सदैव ऐसी ही होती है!
बहुत मनभावन रचना
बहुत सुन्दर....
कोमल सी प्यारी सी रचना....
सस्नेह
अनु
माँ ही तो है वो परी ... जो हमेशा पलकों पे बिठाती है ... हर अदा को निहारती है ..
सुन्दर .. प्यारी सी रचना ...
बहुत सुन्दर !
सचमुच पलकों के पालने में झुलाने वाली ममता के आँचल में सुलाने वाली प्यारी सी परी है माँ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
हिंदी दिवस की शुभकामनाये...
माँ के ममत्व को बहुत ही मनभावन तरीके से अभिव्यक्ति दी है अनु जी ! बहुत ही प्यारी रचना ! माँ होती ही ऐसी है !
sundar dost ki sundar rachna
sundar dost ki sundar rachna
माँ के एहसास से सराबोर सुंदर रचना ..... पायोगे के स्थान पर पाओगे कर लें
अनुपम भाव संयोजन के साथ बहुत ही सुंदर एवं मन भावन रचना....
पानी के लहरों
सी जिंदगी में
परिचय की टहनी पर
टूटे सन्दर्भों के
जुड़ आयें छोरों पर
मन के भरीपन में
ममतामयी के कान्हा
तुम हर वक्त उसे अपने ही करीब पायोगे
जब हो मन में
मकड़ी से जालो का उलझाव ....
इन शब्दों में समाई गहराई.... अद्भुत.... बहुत सुन्दर रचना...:)
सबसे प्यारी माँ ...परी सी माँ
ममता, प्यार और माँ बहुत ही ताकतवर शब्द हैं, जो किसी भी कविता को नया आयाम दे देते हैं ।
शुक्रिया संगीत दी ...ऐसे ही मार्ग दर्शन करती रहे ...आभार
माँ ..परी सी ..वाह ..ख़याल रखना इस पारी का.
बहुत-बहुत सुन्दर, प्यारी रचना...
:-)
खुबसुरत, प्रभावी एवं ममतामयी रचना.
सादर.
एक परी आएगी
जो रख कर सर तेरा
अपनी गोद में
बड़े प्यार से ...फिर से
जो तुझे सुलाएगी
लेगी आँचल में वो अपने
तुझे पलकों के पालने में
झुलाएगी ||
मन को झकझोरती मन के कोने को सहलाती भाव पूर्ण लाइन जिसमे ममता और बचपन खेलता है .
ममता से भरपूर रचना |
ममता से भरपूर रचना |
वाह बहुत सुन्दर..ममतामयी प्यारी रचना.
वाकई ...माँ परी ही होती है ... बहुत प्यारी रचना ...माँ जैसी ...इश्वर यह परी किसीसे न छीने .....!
kyaa bat hai..bachpan ki bate yaad aa gai.. bahut hi badhiya annu..
वाह क्या बात आपकी रचना मेरी ह्रदय को छू गयी
मन को छूते शब्द ... मां का स्नेह लिए हर भाव
प्यारी सी रचना ...
बहुत सुन्दर ।
Bahut sundar
खूबसूरत अहसास से सजी सुन्दर रचना |
कान्हा औ परी सा रिश्ता बड़ा खूबसूरत है !
सुन्दर !
waah bahut hi pyari si rachna :) ma pari hi to hoti hai
....ममतामयी प्यारी रचना
कोमल भावों से सजी ..
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग "प्रेम सरोवर" पर पधारकर मुझे प्रोत्साहित करें। धन्यवाद ।
’परिचय की टहनी पर
टूटे संदर्भों के-----
तुम हर वक्त उसे अपने ही करीब पाओग”
अहसासों के अतिरिक्त,जीवन की परिभाषा अधूरी है.
मातृत्व वह अहसास,जिस पर हर अहसास टिका है.
आपने इस अहसास को अपने काव्य में जी लिया.
वाह...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
एक परी आएगी
जो तुझे सुलाएगी
लेगी आँचल में वो अपने
तुझे पलकों के पालने में
झुलाएगी ||
बहुत सुन्दर, स्नेह में रची-बसी कविता है अनु जी. सचमुच माँ ऐसी ही होती है...एकदम पारी जैसी...
परिचय की टहनी पर
टूटे सन्दर्भों के
जुड़ आयें छोरों पर
मन के भरीपन में
वाह !!!! अद्भुत कल्पना...
जब हो मन में
मकड़ी से जालो का उलझाव
तो देना उसे बस ...एक हल्की सी आवाज़ ..bilkul sahi ..bahut hi pyaari rachna hai ..
bahut umda rachna.
apki maa ko apni beti per naaz hai.
sunder
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