Wednesday, November 7, 2012

कुछ कम कम सा ....



कभी कभी पूरी बरसात से ,
पड़ने वाली कम कम सी बूंदे
इस तन और मन को
अधिक शांत करती है
वैसे  ही ...
कम बोलने वाले शब्द
कम बाते ,और छोटे वाक्य
जो किताब के पन्नों से होकर ,
इस जिंदगी में
खुद की जगह बना लेते हैं
अपनों के बीच ,
खुद की रोशनी लिए हुए ...
मुझे पसंद है,
बहता हुआ दरिया
नित नए पानी सी
नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो
साथ ही साथ ,
आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....
जो इस रुकी हुई जिंदगी को
नया सा अर्थ देता है 
और  देता है...कुछ अपनों में
एक नयी सी पहचान  लिए ,
सिर्फ ,अपने  लिए ||
अंजु (अनु)




आज अजब सी शरारत मेरे साथ हुई,
मेरे घर को छोड़ पूरे शहर में बरसात हुई||
(गोपालदास नीरज जी )

44 comments:

Unknown said...

वैसे ही ...
कम बोलने वाले शब्द
कम बाते ,और छोटे वाक्य
जो किताब के पन्नों से होकर ,
इस जिंदगी में
खुद की जगह बना लेते हैं
अपनों के बीच ,
खुद की रोशनी लिए हुए ...
मुझे पसंद है,.....................क्या बात कही आपने . उम्दा पोस्ट

मुकेश कुमार सिन्हा said...

haan halki halki baarish andar tak jameen ko geela kar deti hai... waise hi soche samjhe shabd seedhe andar tak lagte hain...:)
bahut behtareen Anju!!
deepawali ki agrim shubhkamnayen...:)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया पोस्ट!

Anju (Anu) Chaudhary said...

शुक्रिया नीलिमा

Anju (Anu) Chaudhary said...

मुकेश ...हम तो दीवाली वाले दिन शुभकामनाएँ देंगे :)))

Saras said...

वाकई .....जब कम होता है ...तो कहीं सिर्फ अपने लिए ...अपना ही लगता है ...बहत प्यारा ख़याल

रश्मि प्रभा... said...

मौन में,मौन चेहरे में, एक लफ्ज़ में - कितना कुछ मिल जाता है सुकून सा

Kailash Sharma said...

उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो
साथ ही साथ ,
आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....

.....बहुत खूब! अंतस को छूते हरेक शब्द और भाव..बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति..

Meenakshi Mishra Tiwari said...

मुझे पसंद है,
बहता हुआ दरिया
नित नए पानी सी
नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो

Sundar rachna Anju ji....
Kabhi kabhi kam baatenya maun bhi jeewan ko ek naya aayaam deta hai...

Saadar

Meenakshi Mishra Tiwari said...

मुझे पसंद है,
बहता हुआ दरिया
नित नए पानी सी
नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो

Sundar rachna Anju ji....
Kabhi kabhi kam baatenya maun bhi jeewan ko ek naya aayaam deta hai...

Saadar

इमरान अंसारी said...

बहुत सुन्दर कभी कभी कम में ही संतुष्टि छुपी होती है......सुन्दर पोस्ट।

रविकर said...

सुन्दर, चुप चुप सी गुप्तगू है ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो

कम कम सी बातें गहन हैं ... सुंदर अभिव्यक्ति

संध्या शर्मा said...

आँखों की भाषा और मौन सब कुछ कहने का सामर्थ्य रखते हैं, थोड़े में भी ज्यादा सा... बहुत सुन्दर रचना

Naveen Mani Tripathi said...

आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....
जो इस रुकी हुई जिंदगी को
नया सा अर्थ देता है
और देता है...कुछ अपनों में
एक नयी सी पहचान लिए ,

wah bahut khoob .....sundar abhivykti

सदा said...

मौन रहो और अपनी सुरक्षा करो,
मौन कभी तुम्‍हारे साथ विश्‍वासघात नहीं करेगा ...
किसी ने कहा है ... ये भी
आपकी अभिव्‍यक्ति बहुत ही अच्‍छी लगी ...

ANULATA RAJ NAIR said...

अब ज्यादा कैसे कहूँ अंजु.....

अति सुन्दर!!!!!!

सस्नेह
अनु

Dr.NISHA MAHARANA said...

मुझे पसंद है,
बहता हुआ दरिया
नित नए पानी सी
नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी .....waah bahut acche bhaw ..yahi to chahiye ....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

कम बोलने वाले शब्द
कम बाते ,और छोटे वाक्य
जो किताब के पन्नों से होकर ,
इस जिंदगी में
खुद की जगह बना लेते हैं,,,,

बहुत सच कहा आपने,,,ये सब बाते व्यक्तित्व को निखारती भी है,,,,,

RECENT POST:..........सागर

सूर्यकान्त गुप्ता said...

तभी तो कहा गया है "कम खाओ, गम खाओ"

बहुत ही सुंदर सहज शब्दों में भावनाओं

को अंकित करती कविता .......बधाई!!!

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही बेहतरीन रचना....
सुन्दर ...
:-)

Dr.Anita Kapoor said...

आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....सुंदर अभिव्यक्ति

रेखा श्रीवास्तव said...

कम शब्दों में गहरी बात कही जा सकती है अधिक बोलने में से बात अपना अर्थ खो देती है। बहुत सुन्दर शब्दों में ये बात उजागर की है।

ब्लॉग बुलेटिन said...

एक खबर जो शायद खबर न बनी - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Dr. sandhya tiwari said...

सुंदर अभिव्यक्ति ..........

kavita verma said...

नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो
साथ ही साथ ,
आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....
जो इस रुकी हुई जिंदगी को
नया सा अर्थ देता है
vakai kya bat hai..

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....
जो इस रुकी हुई जिंदगी को
नया सा अर्थ देता है
और देता है...कुछ अपनों में
एक नयी सी पहचान लिए ,
सिर्फ ,अपने लिए ||

सच में बहुत सुंदर रचना, क्या बात

( अबकी सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ दिया, शहर में बरसात हुई। )

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
सच ही तो है .... खूँटे से बंधी आज़ादी ..... नयी - पुरानी हलचल .... .

Ramakant Singh said...

बहता हुआ दरिया
नित नए पानी सी
नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी
जो अपने साथ
एक गहरी चुप्पी रखती हो

बहुत ही बेहतरीन

Amrita Tanmay said...

जो आपको पसंद है , हमें भी पसंद आई..

ओंकारनाथ मिश्र said...

सुन्दर रचना.

Akash Mishra said...

ख़ामोशी में अक्सर ही ,
गालों को छू जाता है कोई ,
महफ़िल में तन्हा रहने से तो ,
मेरी ख़ामोशी ही बेहतर है |
बहुत सुन्दर लिखा है |

सादर

poonam said...

bahut sahi baat kahi apne...gagar mae sagar..

ऋता शेखर 'मधु' said...

उत्कृष्ट...(एक ही शब्द लिखा:))

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बेहतरीन रचना एवं अभिव्यक्ति के लिए आभार

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

बहुत कम में बहुत अच्छी बात कही आपने....! :)
जब थोड़े में ही बात बन जाए...तो क्यूँ ज़्यादा की हाय हाय हो...
जब आँखें दिल की ज़ुबान हों...तो लफ़्ज़ों की क्यूँ दरकार हो...
~सादर !

Rajesh Kumari said...

बहुत सुन्दर भाव कम शब्द पर घाव करें गंभीर वाली बात हो वाह एक बूँद से प्यास बुझे तो सागर गिलास में क्यूँ उडेलना

मनोज कुमार said...

मौन हमें ख़ुद के बारे में सोचने के लिए बड़ा स्पेस देता है।

अज़ीज़ जौनपुरी said...

सुन्दर भाव आँखों की भाषा ..
और एक लंबा सा मौन ....
जो इस रुकी हुई जिंदगी को
नया सा अर्थ देता है
और देता है...कुछ अपनों में
एक नयी सी पहचान लिए ,
सिर्फ ,अपने लिए ||

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत ही सुंदर कविता |आभार अनु जी

Amit Chandra said...

सार्थक रचना.

सादर.

Ravindra Joglekar said...

"कम कम " सी बूंदे अगर शांत करती हैं तो दरिया तूफानो का प्रतीक होना चहिये
कविता मध्य में आकर अपना कलेवर बदलने लगती हैं परन्तु नया ठीक से नहीं पहन पाती | मौन और दरिया या फिर मौन और बूंदे एक दूसरे के विरोधाभासी हैं जो कविता की गहराई को उथला करते हुए space के बाहर आयामों के प्रतीक बन गए हैं |
सम्प्रेषण अत्यधिक उत्तम हैं

उड़ता पंछी said...

मुझे पसंद है,
बहता हुआ दरिया
नित नए पानी सी
नए ख्यालों और
उमंग से भरी जिंदगी .....

really nice.

happy diwali.

मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
माँ नहीं है वो मेरी, पर माँ से कम नहीं है !!!
http://udaari.blogspot.in

अशोक सलूजा said...

खुबसूरत भाव !
दीपावली की शुभकामनायें!