आज कल मैंने बहुत बिज़ी हूँ
किस काम में ?
जानना चाहते हैं आप ..
तो पढ़िए ....(एक हास्य जो सच में रसोई में काम करते करते ये ख्याल आ गया ...कि अगर कभी कुछ ऐसा हो जाए तो ??...मेरा क्या होगा ??????? हा हा हा हा हा )
घर में हैं बच्चे
काम हैं ज्यादा ,
सोचते सोचते ...दिमाग हैं गुल
टेंशन हैं फुल ...कि फेसबुक पर क्या हो
रहा होगा धमाल .....
सारा का सारा दिमाग जो
ब्लॉग और नेट पर लगा हुआ था
तो खाना कैसे बनता स्वाद |
पढ़ो अब आप भी ...
लिख डाला ....लिख डाला मैंने भी
अपने जज्बातों को ...लिख डाला
कि कैसे हुआ मेरा ये हाल ......
रसोई में सब्जी ,
सब्जी में नमक पड़ गया हैं
कुछ होलसेल में ,
और मिर्ची का तो हाल बुरा था
मिर्ची भी बोली मुझे से
ऐ !आंटी ...क्या घर वालो को
रुलाने और जलाने का हैं ईरादा ........
दिमाग तो पहले गुल था
जो आलू मटर की सब्जी को भी
गंगा जल जैसा बना डाला
बेचारे घर वाले उस जल में
चम्मच मार -मार मटर को ढूढं रहे थे
मैं खुद पर शर्मिंदा तो थी ...ऊपर से
पति की डपट अलग से खानी पड़ी
कि ..कहाँ हैं आज दिमाग तुम्हारा ,
बार बार फेसबुक पर
बेकार में बतियाती हो ,
इस चक्कर में ,
कभी दूध ,तो कभी रोटी जलती हो ,
इस से अच्छा तो पानी के संग
रोटी परोस देती ...''
बच्चे भी हो गए नाराज़ और
छोटा बोला बड़े सी ....भाई ,
आलू तो डूबने से बच गया ..पर
मम्मी ...मटर का स्नान क्यूँ करवा लाई
तभी ...
जेठानी ने गुस्से से देखा,
मैं समझ गई कि ,अब
तो मेरी शामत आई
ऊपर से मेहमानों के आवागमन ने
परेशानी को ओर बढ़ाया
क्या करे अब
ये कवयित्री बेचारी
करनी पड़ गई रसोई की
चाकरी सारी की सारी ...
इस नेट के चक्कर में तो सब कुछ
गडबड हो चला रेरे रे रे ....
फिर मैंने सोचा .....
कोई फायदा नहीं ..किसी तर्क वितर्क का
इस से अच्छा ...कट लो ,सुन लो सबकी
और मस्त हो कर ,फिर से
अपनी रसोई में जम लो ,
अगली लड़ाई के लिए ||
अनु