क्यों उदास है मेरी ये जिन्दगी
खाली खाली सी क्यों लगती है मुझे
गर जिन्दगी रूठ जाये तो
बहारो का अब कोई इंतज़ार भी नहीं है
गर जिन्दगी रूठ जाये तो
ख़ुशी दूर हो गई मन से
बहुत वीरानियो से गुज़री है ये जिन्दगीबहारो का अब कोई इंतज़ार भी नहीं है
रास्तो पे चलती भटकती है ये जिन्दगी ......
होगी कोई मंजली इसका भी पता नहीं है
दिल के दरवाज़े खिडकियों को यू किया बंद .......
दिल के दरवाज़े खिडकियों को यू किया बंद .......
पर मन की तुफ्फा से झूझती है ये जिन्दगी
आंधियो से कभी डर नहीं लगा हमहे ..... पर खुद के वजूद से ही डरती क्यों है ये जिन्दगी
मान अभिमान में डोलती ये जिन्दगी
मान अभिमान में डोलती ये जिन्दगी
अपने ही स्वाभिमान को तोडती ये जिन्दगी
((((((अंजु.....(अनु))))
((((((अंजु.....(अनु))))