Friday, September 3, 2010
ख्वाब मेरा
उसकी बे पनाह मोहब्बत भरी बातो को समझा हर इशारे में उसकी मोहब्बत की इबादत का रंग नज़र आता है
आ कर वो मेरे कानो में धीमे से एक गीत गुनगुनाता है
मैंने तो आँखों को अपनी मूंद रखा था
फिर भी सपनो में मेरे चुपके से आता जाता है
प्यार है या वो ख्वाब मालूम नहीं
पर यादो के समंदर में वो प्यार भरे गीत गुनगुनात है
वो आवारा बादल ..वो हवा का एक झोंका
बन के वो खुशबु मेरी सांसो में समां जाता है
नज़र तुम्हारी, नज़र हमारी ने दिल की नज़र है उतारी है लब पे मुस्कान तेरे तो मेरे चेहरे पे ख़ुशी छाई है,
अब मुझको भी होने लगा है जिन्दगी जीने का अहसास,
कभी उदासी कभी ख़ुशी ,कितने रंग दे जाती है ,
ये आरजुएं चंचल तितली बन बन फिर से आती है
ख़्वाबों में बसा ये रिश्ता ,आसमानों को छू जाता है
फिर जब आँखे खुलती है तो ,आँहों में उतर आता है
मै तनहा तनहा बैठी उनको ,बस सोचती रह जाती हूँ ,
ख़्वाबों में बसे ये रिश्ता ,बस ख़्वाबों तक ही रहे जाता है
(कृति............अंजु...(अनु.)
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7 comments:
nice
आपकी खूबसूरत पोस्ट को ४-९-१० के चर्चा मंच पर सहेजा है.. आके देखेंगे क्या?
bahut hi khoobsurat likha hai....
A Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
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waise to apki har kavita lajawab hoti hai....
aur har baar apse umeed badhti jati hai..aur ap hamesha mere umeedo pe khade utarte ho
man ke aantardhwandh ka achha chitran hai
bahut khubsurat ahsaas..
bahut bahut sundar..
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