Wednesday, February 23, 2011

माचिस की तीली



क्या कभी माचिस की तीली को जलते देखा है आपने ?
रोशनी से भरपूर वो
पर पल भर में ढेर वो
घर के चिरागों को
रोशन करती वो
चुल्हा जला
भूखे को रोटी का
आसरा देती वो
भटके पथिक की
रोशनी की किरण
चुपचाप बिन बोले
हर बार ....बार बार
जलती वो .......

कभी कूड़े के ढेर को
राख में बदलती वो
मंदिर में जलते दीये
की पवित्र अग्नि वो
हर चिंगारी की शुरुआत वो
खुद को आग की
लपटों में खो जाने का
गम सहती वो
अपनी ही नियति से लड़ती
'' माचिस की तीली वो ''
क्या कभी माचिस की तीली को जलते देखा है आपने ?
(अंजु ..........(अनु ).

4 comments:

Vikas Nagpal said...

Bhaut sunder likha

Anita said...

bahut sunder...machis kee tilli...

Harsh Rajput said...

bahut hi khubsurat likha maa apne

yogi kapil said...

it's awesome .....