माचिस की तीली
क्या कभी माचिस की तीली को जलते देखा है आपने ? रोशनी से भरपूर वो
पर पल भर में ढेर वो
घर के चिरागों को
रोशन करती वो
चुल्हा जला
भूखे को रोटी का
आसरा देती वो
भटके पथिक की
रोशनी की किरण
चुपचाप बिन बोले
हर बार ....बार बार
जलती वो .......
कभी कूड़े के ढेर को
राख में बदलती वो
मंदिर में जलते दीये
की पवित्र अग्नि वो
हर चिंगारी की शुरुआत वो
खुद को आग की
लपटों में खो जाने का
गम सहती वो
अपनी ही नियति से लड़ती
'' माचिस की तीली वो ''
क्या कभी माचिस की तीली को जलते देखा है आपने ?(अंजु ..........(अनु ).
4 comments:
Bhaut sunder likha
bahut sunder...machis kee tilli...
bahut hi khubsurat likha maa apne
it's awesome .....
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