मेरे दिल्ली वाले घर के सामने का एक विशालकाय वृक्ष ,जो मेरे घर की तीसरी मंजिल से भी ऊँचा हैं ...जब इसे मैंने अपने मोबाईल वाले कैमरे में कैद किया तो ...मुझे रामायण और महाभारत सीरियल याद आ गए ....उस में इस तरह के विशालकाय वृक्ष दिखाए जाते थे (आज भी सीरियल आने पर हम देखते है)...मुझे पहली नज़र में ये किसी दैत्य से कम नहीं लगा ....उस दिन हवा बहुत तेज़ थी ...और बरसात भी हों रही थी ...आसमां देखने में काले बादलों से घिरा हुआ था ...और ये वृक्ष ज़ोरो से हिल रहा था ...आप लोगों की क्या सोच हैं इसे पहली नज़र देखने के बाद ||
अंजु (अनु)
34 comments:
muje to bahut pasand hai aise bade vriksh..ab bache kaha hai ... kash aise sab jagah hote to ye barish ki kami nahi hoti jo ye sal hum bhugat rahe hai.. aur charo taraf hariyali hi hariyali hoti...mere ghar ke samne bhi aisa hi ek vriksh tha mai usse roj bate karti thi..mai 2 din ke liye bahargav gai vapas aai dekha to use kat diya gaya tha..kitno ka sahara tha.. barish me dhup me log shanti se baithte the vaha .. bade buzurgo ka milne ka thikna tha aur mere dost.. par use kat diya gaya..kitnaaaaaaaaa bada tha.. kaise ek ek dali kati hogi kitna dard use huva hoga.. mai ro padi thi..kismat vale hote hai annu jinke ghar ke pas aise vriksh hote hai..dosti kar lo usse..dekho bahut achcha lagega.. bahut badi ho gai na commenat.. :)
वास्तव में विशाल पेड़ है बहना किसी सायर का हल्का सा एक शेर याद आ रहा है..सायेद इश तरह है
झूम कर सीधी हुई गुलजार में शाके गुल
नक्शा अयाँ हुवा मेरे सामने तेरी अंगडाई का
पेड़ है कि पेड़ा है (हे भगवान)
बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जैसे पिंड खजूर
पथिक को छाया नही,फल लागे अति दूर,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
लखनऊ का अपना स्कूल याद आता है ..जहाँ बाउंड्री पर इसी तरह के अशोक के पेड़ लगे हुए थे... इंटरवल में ...पहली मंजिल पर ..कक्षा के बाहर खाना खाते समय अक्सर उन की झूमती फुनगियों पर नजर चली जाती थी. बारिश के मौसम में तो उनका हवा में मस्त हिलना, पानी में भीग कर सभी पत्तियों ,शाखाओं, तनो का धुला धुला रूप मन खुश कर देता था .आहा क्या याद ताज़ी हो गयी ...आपका इस चित्र को पोस्ट करने पर बहुत बहुत धन्यवाद .
जामवंत का ख्याल आया
जमीन से सिर्फ़ जडों के जुडे होने के बाद
अपनी पहचान मिटाने के बाद
हर संबंध से खुद को विलग करने के बाद
कोई तो कारण होता है
यूँ ही नही छूता कोई आसमानों को
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (19-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
ऊँचे वृक्ष कुछ कहते से प्रतीत होते हैं..बहुत अच्छी लगी आपकी तस्वीर..
टेडीबियर लग रहा है हमें तो....
जो एक बुके लेकर आ रहा है आपकी बालकनी की ओर...
:-)
अनु
देखिए मुझे तो पुराने जमाने कि पिक्चरें याद आ गईं। पहले किसी लड़की के साथ जबर्दस्ती करने के लिए खलनायक उसे कमरे में ले जाता था, तो बाहर काले बादल और आंधी तुफान आता था, पेड़ काफी तेज हिलते थे....
इसी से दर्शकों पता चलता था कि बंद कमरे में क्या हो रहा था...
अब आज कल तो फिल्मों में सभी चीजें पर्दे पर दिखा दिया जाता है।
मुझे बहुत अच्छे लगते हैं विशाल वृक्ष, ठंडी - ठंडी छाँव लम्बी मजबूत बाँहों जैसी डालियाँ, कितनी भी आंधी तूफ़ान क्यों ना आ जाएँ मस्ती में झूमते से दिखाई देते हैं, और उतने ही धीर-गंभीर शांत भी...
एक वृक्ष ... ख्यालों के कितने स्वाद तुम्हारे कैमरे ने दे डाले
सबसे पहले आपके प्रकृति प्रेम को नमन .
पश्चात् दो लाइन आपको समर्पित
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं फल लगे अति दूर
महाकाल के हाथ पे गुल होतें हैं पेड़ ,
सुषमा तीनों लोक की कुल होतें हैं पेड़ .
यहाँ गुल का एक अर्थ फूल या पुष्प है दूसरा गुल हो जाना वन माफिया के हाथों -
पेड़ पांडवों पर हुआ जब जब अत्याचार
,ढांप लिए वट भीष्म ने तब तब दृग के द्वार .पेड़ क्या एक अफ़साना है ......
ram ram bhai
रविवार, 19 अगस्त 2012
मीग्रैन और क्लस्टर हेडेक का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक में
कितनी गहराई तक गई होंगी इसकी जड़ें जो आँधी-तूफ़ान झेलता आकाश को छू रहा है !
bhaloo jaisaa lag rahaa hai .
ab to bonsayi ka jamaana hai , bade ped to gaayab ho rahe hain.
bhaloo jaisaa lag rahaa hai .
ab to bonsayi ka jamaana hai , bade ped to gaayab ho rahe hain.
अगर हाफ में देखे तो मुझे भी भालू ही दिख रहा है...
:-)
मुझे आसमान को छूना है..
एक आकृति सी तो बना राखी है इस वृक्ष ने गर्वित खड़ा है अपने आस पास के छोटे वृक्षों पर राज करता हुआ अपने बड़प्पन पर इतराता हुआ
इतना विशाल वृक्ष दिल्ली में है यही ताज्जुब की बात है ....
चलिये, पेड़ हरियाली तो बनाये है...बस, तेज हवा आंधी में कोई नुकसान न करे.
तरुवर फल नहीं खात है
सरवर पियत ना पान....!
हम मनुष्य के लिए ये सारे प्रकृति प्रदत उपहार है
जिसे देख कर हम सभी गर्वान्वित होते है !
मुबारक हो !!!
पेड़ की रखवाली ...
जो आपने संभाली !!!
बहुत अच्छा लगा इतना विशाल वृक्ष देखकर...पेड़ हों घने बडे़...बहुत अच्छा लगता है पुराने वृक्षों को देखना...ऐसा लग रहा है जैसे हाथ जोड़े भालू खड़ा है...
बहुत अच्छा लगा इतना विशाल वृक्ष देखकर...पेड़ हों घने बडे़...बहुत अच्छा लगता है पुराने वृक्षों को देखना...ऐसा लग रहा है जैसे हाथ जोड़े भालू खड़ा है...
बहुत कुछ सोच लिया लोगों ने पेड़ देख कर, मेरे दिमाग की तो हेडलाईट ही नहीं जली। कहने के लिए कुछ बचे तो कहुं। ह ह ह ह
बुलंदी हमेशा अपनी और खींचती है और ऊपर उठने की प्रेरणा देते हुए।
khubsurat....
Ramayan kaal ke bhalu aur reech yaad aa gaye
Ramayan kaal ke bhalu aur reech yaad aa gaye
jiwan ka satya...
very good thoughts.....
मेरे ब्लॉग
जीवन विचार पर आपका हार्दिक स्वागत है।
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