एक नई भोर हुई सी ....
ये दिल भरा भरा सा
इस दुनिया की चालों से
डरा डरा सा ,अनजानी राहों पे
फिर भी कदम बढ़ रहे
मंजिल की ओर |
मुख मद्धम मद्धम
आँखों की चमक है खोई खोई
झुकी झुकी है नज़र
अनहोना ना देखे कुछ
फिर भी बेगाने हैं लोग बहुत |
हां ,दूर कहीं एक आस
जगी जगी सी
उम्मीदों की किरणे हैं
फैली फैली सी
उसकी इक रोशनी मुझे
अपनी ओर खींचती हुई सी |
अब ये दो नयना भरे भरे से
एक विश्वास की डोर से
बंधे बंधे से
एक नई भोर की लाली
अभी अभी उभरी सी
इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||
अंजु (अनु)
39 comments:
बहुत ही बेहतरीन रचना......
बेहद खूबसूरत रचना...चित्र भी सुंदर लगाया है !!
nice poetry
nice very nice
इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||
bahuut badhiya..badhte raho hamari duaa tumhare sath hai.. na daro kisise na gabhrao kisise bas badhe chalo badhe chalo... :)
बहुत -बहुत सुन्दर रचना...
:-)
Saturday, August 25, 2012
एक नई भोर
एक नई भोर हुई सी ....
ये दिल भरा भरा सा
इस दुनिया की चालों से
डरा डरा सा ,अनजानी राहों पे
फिर भी कदम बढ़ रहे
मंजिल की ओर |
मुख मद्धम मद्धम
आँखों की चमक है खोई खोई
झुकी झुकी है नज़र
अनहोना ना देखे कुछ
फिर भी बेगाने "है" लोग बहुत |बढ़िया प्रस्तुति ....फिर भी बे -गाने "हैं "लोग ...अनुस्वार /अनुनासिक /बिंदु /चन्द्र बिंदु "है" लोग इसलिए हैं आयेगा ,बहु -वचन हैं लोग .
कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं .
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)
बेहद खूबसूरत रचना...
अब ये दो नयना भरे भरे से
एक विश्वास की डोर से
बंधे बंधे से
beautiful lines with emotions and feeligs.
स्वयं पर विश्वास हो तो कदम दृढ़ता से मंज़िल की ओर बढ़ते हैं .... सुंदर प्रस्तुति
अँधेरे की आहट ने
खोल दी हैं खिड़कियाँ
सूरज की किरणों से फैला उजाला है
नया सवेरा तुम्हारा है
विश्वास की डोर से बंधे जीवन के पथ पर आगे बढ़ते जाना है..बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता..
बहुत सुन्दर रचना...इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||
beautiful composition with beautiful picture....
ओह
बहुत सुंदर रचना
क्या बात
bahut sundar kavita...positive thought kay saath.........
सुंदर अभिव्यक्ति....
बेहतरीन रचना
बेहतरीन रचना ....
बहुत ही खूब...
आपने मनोभाओं को बड़ी सहजता से बटोरकर एक शानदार रचना का रूप दिया हैं|
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार...|
bahut hi prerak
बहुत ही बढ़िया।
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति...
bhawpoorn.....
sundar rachanaa , achchhe bhaav
bahut hi sundar rachana lagi anju ji ....sadar badhai sweekaren
मंजिलों की ओर अग्रसर रहें और सफलता पाते रहें..... शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर रचना
हां ,दूर कहीं एक आस
जगी जगी सी
उम्मीदों की किरणे हैं
फैली फैली सी
उसकी इक रोशनी मुझे
अपनी ओर खींचती हुई सी |
बहुत सुन्दर बात कही है आपने.तुम मुझको क्या दे पाओगे ?
हां ,दूर कहीं एक आस
जगी जगी सी
उम्मीदों की किरणे हैं
फैली फैली सी
उसकी इक रोशनी मुझे
अपनी ओर खींचती हुई सी |
बहुत सुन्दर बात कही है आपने.तुम मुझको क्या दे पाओगे ?
बहुत सुन्दर सृजन , सादर
पधारें मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी , आभारी होऊंगा .
कदम बढते रहना जरूरी है ... मंजिल पास आती जाती है ... मिल ही जाती है ... आशा का संचार है ये रचना ...
एक नई भोर की लाली
अभी अभी उभरी सी
इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||
बेहतरीन रचना , प्रेरित करती हुई.
शुभकामनायें.
pahli baar aapke blog par aana hua bahut hi khoosurat rachna..
और ये कदम अनवरत बढ़ाते ही रहें ....!!
शुभकामनायें ....
bahut sunder rachna....
behtareen prastuti....
aabhar!!
अब ये दो नयना भरे भरे से
एक विश्वास की डोर से
बंधे बंधे से
एक नई भोर की लाली
अभी अभी उभरी सी
इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||
sunder bhav badhai
rachana srivastava
anju ji bahut hi sundar rachana likhi hai apne sadar badhai .
आशा बंधाती हौसला दिलाती कविता ।
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