Saturday, August 25, 2012

एक नई भोर



एक नई भोर हुई सी ....

ये दिल भरा भरा सा
इस दुनिया की चालों से
डरा डरा सा ,अनजानी राहों पे
फिर भी कदम बढ़ रहे
मंजिल की ओर |

मुख मद्धम मद्धम
आँखों की चमक है खोई खोई
झुकी झुकी है नज़र
अनहोना ना देखे कुछ 

फिर भी  बेगाने हैं लोग बहुत |

हां ,दूर कहीं एक आस
जगी जगी सी
उम्मीदों की किरणे हैं
फैली फैली सी
उसकी इक रोशनी मुझे
अपनी ओर खींचती हुई सी |

अब ये दो नयना भरे भरे से
एक  विश्वास की डोर से
बंधे बंधे से
एक नई भोर की लाली
अभी अभी उभरी सी

 इक नई मंजिल की ओर
कदम  बढ़े बढ़े से ||

अंजु (अनु)

39 comments:

राहुल said...

बहुत ही बेहतरीन रचना......

ऋता शेखर 'मधु' said...

बेहद खूबसूरत रचना...चित्र भी सुंदर लगाया है !!

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma said...

nice poetry

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma said...

nice very nice

નીતા કોટેચા said...

इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||


bahuut badhiya..badhte raho hamari duaa tumhare sath hai.. na daro kisise na gabhrao kisise bas badhe chalo badhe chalo... :)

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत -बहुत सुन्दर रचना...
:-)

virendra sharma said...


Saturday, August 25, 2012
एक नई भोर



एक नई भोर हुई सी ....

ये दिल भरा भरा सा
इस दुनिया की चालों से
डरा डरा सा ,अनजानी राहों पे
फिर भी कदम बढ़ रहे
मंजिल की ओर |

मुख मद्धम मद्धम
आँखों की चमक है खोई खोई
झुकी झुकी है नज़र
अनहोना ना देखे कुछ
फिर भी बेगाने "है" लोग बहुत |बढ़िया प्रस्तुति ....फिर भी बे -गाने "हैं "लोग ...अनुस्वार /अनुनासिक /बिंदु /चन्द्र बिंदु "है" लोग इसलिए हैं आयेगा ,बहु -वचन हैं लोग .
कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं .
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)

Maheshwari kaneri said...

बेहद खूबसूरत रचना...

Ramakant Singh said...

अब ये दो नयना भरे भरे से
एक विश्वास की डोर से
बंधे बंधे से
beautiful lines with emotions and feeligs.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

स्वयं पर विश्वास हो तो कदम दृढ़ता से मंज़िल की ओर बढ़ते हैं .... सुंदर प्रस्तुति

रश्मि प्रभा... said...

अँधेरे की आहट ने
खोल दी हैं खिड़कियाँ
सूरज की किरणों से फैला उजाला है
नया सवेरा तुम्हारा है

Anita said...

विश्वास की डोर से बंधे जीवन के पथ पर आगे बढ़ते जाना है..बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता..

Dr. sandhya tiwari said...

बहुत सुन्दर रचना...इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

beautiful composition with beautiful picture....

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

ओह
बहुत सुंदर रचना
क्या बात

Rewa Tibrewal said...

bahut sundar kavita...positive thought kay saath.........

nilesh mathur said...

सुंदर अभिव्यक्ति....

Nityanand Gayen said...

बेहतरीन रचना

Dr Varsha Singh said...

बेहतरीन रचना ....

मन्टू कुमार said...

बहुत ही खूब...
आपने मनोभाओं को बड़ी सहजता से बटोरकर एक शानदार रचना का रूप दिया हैं|

मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार...|

Arun sathi said...

bahut hi prerak

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।

सादर

Kailash Sharma said...

बेहतरीन प्रस्तुति...

mridula pradhan said...

bhawpoorn.....

अजय कुमार said...

sundar rachanaa , achchhe bhaav

Naveen Mani Tripathi said...

bahut hi sundar rachana lagi anju ji ....sadar badhai sweekaren

Meenakshi Mishra Tiwari said...

मंजिलों की ओर अग्रसर रहें और सफलता पाते रहें..... शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर रचना

Shalini kaushik said...

हां ,दूर कहीं एक आस
जगी जगी सी
उम्मीदों की किरणे हैं
फैली फैली सी
उसकी इक रोशनी मुझे
अपनी ओर खींचती हुई सी |
बहुत सुन्दर बात कही है आपने.तुम मुझको क्या दे पाओगे ?

Shalini kaushik said...

हां ,दूर कहीं एक आस
जगी जगी सी
उम्मीदों की किरणे हैं
फैली फैली सी
उसकी इक रोशनी मुझे
अपनी ओर खींचती हुई सी |
बहुत सुन्दर बात कही है आपने.तुम मुझको क्या दे पाओगे ?

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर सृजन , सादर

पधारें मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी , आभारी होऊंगा .

दिगम्बर नासवा said...

कदम बढते रहना जरूरी है ... मंजिल पास आती जाती है ... मिल ही जाती है ... आशा का संचार है ये रचना ...

Santosh Kumar said...

एक नई भोर की लाली
अभी अभी उभरी सी
इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||

बेहतरीन रचना , प्रेरित करती हुई.
शुभकामनायें.

आशा बिष्ट said...

pahli baar aapke blog par aana hua bahut hi khoosurat rachna..

Anupama Tripathi said...

और ये कदम अनवरत बढ़ाते ही रहें ....!!
शुभकामनायें ....

नश्तरे एहसास ......... said...

bahut sunder rachna....

नश्तरे एहसास ......... said...

behtareen prastuti....
aabhar!!

Rachana said...

अब ये दो नयना भरे भरे से
एक विश्वास की डोर से
बंधे बंधे से
एक नई भोर की लाली
अभी अभी उभरी सी
इक नई मंजिल की ओर
कदम बढ़े बढ़े से ||
sunder bhav badhai
rachana srivastava

Naveen Mani Tripathi said...

anju ji bahut hi sundar rachana likhi hai apne sadar badhai .

Asha Joglekar said...

आशा बंधाती हौसला दिलाती कविता ।