Saturday, July 28, 2012

सुबह की चाय और अखबार



सुबह की चाय
और अखबार की ताज़ा खबर
दोनों साथ हों तो इसका
अलग ही मज़ा हैं (कड़वा सा )|

खुद से अखबार उठा कर लाना
और चाय बनाना
दोनों काम साथ ही होते हैं
रोज़
चाय का पानी उबलता हैं
और साथ ही साथ हमारे विचार भी
उस अखबार की खबरों को
पढ़ के ....(सिर्फ करते हैं मंथन )
कहीं लूटपाट ...कभी किसी की
अस्मत से हुआ खिलवाड़
किसी पार्टी के नेता बागी तो
किसी नेता का ८४ की उम्र में
बाप बनने की खबर
कहीं छाया हैं जातिवाद
तो कहीं जल रहा हैं कोई राज्य
कहीं भूकंप के झटके ,तो कहीं
झटकों से हिल रही हैं किस राज्य की सरकार
तो कहीं  हैं फ़िल्मी दुनिया की
एक अंधी और चकाचौंध वाली दौड़ ...जो
करती  हैं मूड खराब ...
यहाँ खबर तेज़
और वहाँ चाय  में पत्ती तेज़ से
ज़ायका खराब
और फिर ...हर रोज़ की तरह
गुस्से में पटक मारते हैं हम
अखबार .....

पन्ने पर पन्ने पलट मारे
पर एक भी काम की खबर
पढ़ने को ना मिली
बस वही ..कि कहीं हत्या तो कहीं
आत्महत्या ने आत्मा  पर 

और बोझ बड़ा डाला 
अखबार वालो ने तो लिख कर
अपना फर्ज़ पूरा किया
पर हम लोग????
अपनी ही दुनिया में मस्त हों
भूल जाते हैं सब कुछ
एक नयी सी चाय बनाने को ,
बस पढ़ते हैं ,कुलबुलाते हैं
कुड-कुड करते हुए
अपने अपने काम में व्यस्त हों जाते हैं
अगले दिन की चाय
बनाने तक ....||

अंजु (अनु)

26 comments:

मुकेश कुमार सिन्हा said...

haan meethi aur kadak chai ke saath dil jalane wale news ka combination.... sunane me to achchha lagta hai, par aajkal maja nahi deta..... bas saare news dil jalane wale hote hain....
anway
rachna to apni apni si lag hi rahi hai:)

Anupama Tripathi said...

बिल्कुल ठीक बात ...इसलिये हमारे ब्लोग पर खड़खड़ाता हुआ अखबार सुर लहरी छेड़ता है ..:))

शिवनाथ कुमार said...

सुबह की चाय
और अखबार की ताज़ा खबर
दोनों साथ हों तो इसका
अलग ही मज़ा हैं (कड़वा सा )|

सच कहा आपने
अखबार तो आजकल ऐसी ही ख़बरों से रंगा रहता है जिससे मन में कडुवाहट सी हो आती है ...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सही कहा आपने... अक्सर अखबार के साथ चाय/काफी कड़वी हो जाती है....

सामयिक रचना...
सादर.

ANULATA RAJ NAIR said...

अब से पहले फ़िल्मी पन्ना देखा करिये.....
रंगबिरंगा....
:-)
सुबह सुबह काहे को कुडकुडाना

अनु

Maheshwari kaneri said...

सुबह की चाय
और अखबार की ताज़ा खबर
दोनों साथ हों तो इसका
अलग ही मज़ा हैं (कड़वा सा )|.....बिल्कुल सही कहा

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बात तो सही है
दोना सुबह सुबह मुझे साथ ही मिलती है

deewan-e-alok.blogspot.com said...

jyadatar focus buri khabro pe jo hota hain.... Headlines to wahi banati hain.. aur front page news bhi... jo acchi khabrein hoti hain.. unhe dhund dhund kar padhna padhta hain.... khabar to khabar hoti hain acchi ya buri... lekin hamare akhbaar to bas buri khabro ka hi pulinda bande rehte hain...

aur sahi kaha padh kar jehan mein jo rehta hain wo harkta mein aane se pehle hi chai ki bhaap sa udh kar hawa ho jata hain...

acchi rachna... :)

अनामिका की सदायें ...... said...

sach agar chay k sath akhbaar ho to dil-o-dimag ka yahi haal hota hai. prabhavi prastuti.

Ramakant Singh said...

चाय और अखबार का अनोखा सामंजस्य .....
सुन्दर तरीके से कही गई सुर्खियाँ

amit kumar srivastava said...

रोज़मर्रा की कहानी ऐसे ही होती है |

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चाय और अखबार का साथ तो निराला है ... पर समाचार ? उस पर सटीक प्रकाश डाला है ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सुबह-सुबह की चाय संग,नित पढ़ना अखबार
दोनों का हो मजा निराला,जब दिन हो रविवार,,,,,

अंजू जी,, बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,,,,

RECENT POST,,,इन्तजार,,,

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुबह की चाय
और अखबार की ताज़ा खबर
दोनों साथ हों तो इसका
अलग ही मज़ा हैं (कड़वा सा )|

यक़ीनन ऐसे समाचार छाये रहते हैं आजकल तो ....

vijay kumar sappatti said...

सही है न , ऐसा ही तो होता है जी .

मेरा मन पंछी सा said...

सही कहा आपने अख़बार के साथ
चाय का स्वाद फीका हो जाता है..

चाय की मिठास
अख़बार की खटास
दोनों का क्या खूब
सामंजस्य मिला है..
जुबान मीठी और मन फीका है...

रश्मि प्रभा... said...

अखबार ... अब कड़वा ही होता है ! कई बार सारे दिन का स्वाद बिगड़ जाता है , अगली चाय तक

अरुन अनन्त said...

बिलकुल सही फ़रमाया है अनु जी आपने....

रचना दीक्षित said...

सुबह की खबर और चाय दोनों का प्रभाव दिन भर रहता है....

शुभकामनायें.

nayee dunia said...

दोनों काम साथ ही होते हैं
रोज़
चाय का पानी उबलता हैं
और साथ ही साथ हमारे विचार भी ........sach kaha aapne

Suresh kumar said...

"अखबार वालो ने तो लिख कर 
अपना फर्ज़ पूरा किया 
पर हम लोग????
अपनी ही दुनिया में मस्त हों 
भूल जाते हैं सब कुछ 
एक नयी सी चाय बनाने को ,
बस पढ़ते हैं ,कुलबुलाते हैं 
कुड-कुड करते हुए 
अपने अपने काम में व्यस्त हों जाते हैं 
अगले दिन की चाय 
बनाने तक ....||
बिलकुल सही फ़रमाया है आपने....
सुबह की खबर और चाय दोनों का प्रभाव दिन भर रहता है....

yashoda Agrawal said...

शनिवार 04/08/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

दिगम्बर नासवा said...

सुबह की चाय और अखबार का नाता गहरा है ...
कडुवा हो तो भी ये नाता नहीं छूटता ...

Onkar said...

सच कहा आपने

shuk-riya said...

सुबह की चाय..अखबार... सुबह की खबर और चाय दोनों का प्रभाव दिन भर रहता है....दोनोँ..अच्छे तो दिन अच्छा...वर्ना ..दिन बेकार..। पर जो भी आपने लिखा वो है कड़्वा सच...

shuk-riya said...

सुबह की चाय..अखबार... सुबह की खबर और चाय दोनों का प्रभाव दिन भर रहता है....दोनोँ..अच्छे तो दिन अच्छा...वर्ना ..दिन बेकार..। पर जो भी आपने लिखा वो है कड़्वा सच...