Sunday, May 16, 2010


नजदीकियां


कैसे है ये दिलो के फांसले , जो नजदीकियां को बढाते हैं ;
जिंदगी के इस मोड़ पर यह प्यार का नाता हमारा ,
रहा कि वीरानियो को जैसे मिल गया हो सहारा तुम्हारा
जिनता दूर होते हैं वो ,उतना ही हमको पास नज़र आते हैं
वो एक प्यार भरा दिल था .जिसे समझने के बाद हम दीवाने हो गए है
वो भी इक प्यार भरी नज़र ही थी ,जिसने मेरे रूप को साकार किया है
ज़िन्दगी के इस मोड़ पर यह प्यार का नाता हमारा ,
राह की वीरानियों को जैसे मिल गया हो सहारा तुम्हारा |
तारो से भरा आसमां ,नहा गया चाँद कि चांदनी से
फूलो से भरी डालियाँ भी ,झुक गयी तुम्हारे सत्कार में
ऐसा खिला है अपना रिश्ता कुछ तुम्हारा कुछ हमारा,
कि तुमको खोजती हूँ, मै चाँद की परछाईयों में ,
बाट तकती हूँ मै तुम्हारी रात की तन्हाइयों में ,
आज मेरी कामनाओं ने तुम्हे कितना है पुकारा,
ऐसी हे कुछ खिला हुआ रिश्ता , कुछ तुम्हारा कुछ हमारा,
ज़िन्दगी के इस मोड़ पर यह प्यार का नाता हमारा ||||
(((कृति ..अंजु चौधरी ..(अनु))))

Thursday, May 13, 2010


मासूम सी अदा

हर शाम चले जाते हो कल का वादा करके
लेकिन तुम बिन कैसे रात गुजार पाएंगे
जाने क्या कहते है वो इन दो निगाहों से
ऐसा लगे जैसे मोहब्बत का पैगाम
सुना कर चले जाते है हमको
मासूम सी अदा ....ख़ामोशी तेरी मुझ से कुछ कहती सी है
आयो साथ चले .....साथ तेरा ...ये एहसास करवाए की तू साथ है मेरे
दूर हो ..पर ऐसा लगे की हर आवाज़ पे ..मेरे ही साथ हो
वफ़ा के सारे वादे निभा गए
आये हो तुम मेरी जिंदगी में
जिंदगी में समां गए हो
हमने जिसको भी छुया..
वो गम दे गया है जिंदगी में
तनहा छोड़ के मुझको
सब चले गए चुपचाप से
जब से हुई है तुम से मुलाकात मेरी
क्यों ऐसा लगे की अब तुम मेरी ही
आरजूयो और दुआयो का नतीजा हो ...........

((......अंजु चौधरी ...(अनु..)

मै जी लूंगी...मै जी लूंगी .......


मै जी लूंगी...मै जी लूंगी .......
अजीब है इस दिल की हसरते भी
पास हो कर भी दूरियाँ हैं कितनी
छुने का मन करता है
पर उसके खो जाने का भी डर
सताता हैं
बैठे है हम पास उनके इतना
मन की आवाज़ को भी वो छू सकते है
जब भी बोलने लगे लब मेरे
वो क्यों धुँया सा हो जाते है ?
एहसास मेरे
शब्दों की भाषा समझते है
सुनता है दिल धडकनों को अगर
वो दर्द की दवा मांगता सा क्यों है?
हमने तो लफ़्ज़ों में उतरा है हर दर्द को
पर तुमने तो दर्द को ही हिस्सों में बाँट दिया है
लो शब्द तुम ले लो
एहसास मुझे देदो
जीत का सहेरा तुम पहनो
अपनी हार का जश्न मै मना लूंगी
खुद में जीने की तमन्ना मै जगा लूंगी
मेरी खुशियाँ आई जो दरवाज़े पर
उस में भी तुम अपनी हिस्सेदारी ले लो
मै खाली पड़े दिल में ही
खुद से जश्न मना लूंगी

मै जी लूंगी.....मै जी लूंगी....
(अंजु ...चौधरी.....(अनु.)