Wednesday, December 31, 2008

तुम से ..हम मिले............


राह में अकेले
जो तुम चले...
फिर तुम से ..हम मिले
साथ मिल कर ...थाम के हाथ मेरा ..
नयी राहो पे हम साथ चले ....
नजरो के रास्ते ..तुम हो दिल मे बसे
वफ़ा की मूरत ...जफा की सूरत..
लिए अनजान रहो पे साथ बढे ........
दुनिया की इस भीड़ मे..
मै भी अकली सी थी
खुद को तलाशती सी थी ....
पर नहीं मिला कोई भी..
पर जब से हम से ,तुम मिले हो
हर राह साथ चले हो ..दे कर अपना साथ ,
लेकर मुझे साथ ,
कोई धोखा नहीं,कोई नहीं किया फरेब
दिया अपना सच्चा साथ ,
हर राह को किया तुमने आसान ,
इस जिंदगी को बना दिया जीने के काबिल ,
तुम से मुझे हर ख़ुशी मिली ,मिला जीने को
पूरा ये आसमा ...
जहा मे भी उडी ..अपने अरमानो के पंख लगा ,
इतिह्सा का तो पता नहीं .......
हक्कीकत की ज़मी पे हो मेरे साथ....
तुम से ..हम मिले........तुम से हम मिले ........
(....कृति.....अनु.....)

अलविदा 2008***शुभ आगमन २००९............


अलविदा 2008***शुभ आगमन 2009
.......
ख़ुशी ख़ुशी करो विदा इस साल को (2008 )
करो स्वागत बाहें फैला कर नए साल का ...(2009)
लाये नया साल सब के लिए खुश्यियो भरी सोगात
मिटा कर पुराने गिले शिकवे सभी से ,
नए सल् मे हम फिर से सबको ,
अपना बनाये ,और दे अपना खुशियों भरा साथ ,
ना तोडे भूल के भी .अपनी कड़वी ..
बाते से दिल किसी का ,
क्यों कि हर दिल मे हे, रब बसता ,
नए साल में अपने घमंड पर ,पाए विजय ..
करे पवित्र प्रेम का संचार ,
आयो करे सबकी मन से प्रसंशा ,
न हो कोई इस मन में इर्श्षा का भाव,
मिले जो प्रेम दोस्तों से ,
करे उसका सम्मान ,,,,,,
आयो प्रेम से अपने ,मिटाए अपनों कि नाराज़गी
देकर अपने धर्ये का साथ ....
ख़ुशी ख़ुशी करो विदा इस साल को ...(2008 )
करो स्वागत बाहें फैला कर नए साल का ...(2009)
(.......कृति ....अनु...)

Monday, December 29, 2008

टुकडो में बंटी जिन्दगी को हम मिल कर जी ले .............



टुकडो में बंटी जिन्दगी को जी ले ..
एक चेहरे पे ,रख दूसरा चेहरा तू ,
अगर जीना है मन मुताबिक तो ,
रख विश्वास खुद पे
और जी के देख मेरे संग कल्पना कि दुनिया को ,
अब है हर तरफ सपनो कि ज़मी ,
तू ही मेरा सगा,तू ही मेरा प्यारा,
रहता है हर दम इस दिल मे ख्याल तुम्हारा ,
सीने मे दफ़न हुए सच्च को लेकर ,
जी के देख मेरे संग ,सपनो कि दुनिया
शान से कह तू मेरा ,मै तेरी हूँ ,
हाथ थाम ,विश्वास रख मुझे पे,
मै भी चली तेरे सगं पथरीली राहो पे ,
रख चेहरे पे मुस्कान ,कर तेरे प्यार का एहसास
माना प्यार को पुण्ये मैंने ,पाप नहीं है वोह ,
जैसा प्यार मीरा ने किया मोहन से ,
हमने भी किया है जो ,स्वार्थ नहीं निस्वार्थ है वोह ,
रख प्यार को दिल में और ,
आ प्यार से भरा ,जहर वाला प्याला हम भी पी ले .....
टुकडो में बंटी जिन्दगी को हम मिल कर जी ले .............
(.....कृति....अनु.......)

Sunday, December 28, 2008

सब कहते है मै मस्त मोला हू ......................



सब कहते है मै मस्त मोला हू ,
पर आज वक़्त दे गया मुझे ......सोच .....
जो मेरी सोच को समझ गया ........
उसने कहा ..कुछ मत सोचो ...
जो ना समझ सका मुझे ,
कहने लगा ...
अब भी वक़्त है ...कुछ तो सोचो ,
नहीं तो वक़्त हाथ से निकल जायेगा ...
कभी तो इस सोच की ..झलक ,
इस चहरे पे ..छलक..कर
सब को सब कुछ बता जाती है .......
मरी जिंदगी का आईना ..
है ये सोच ...
रिश्तो को जीने ..
की आस है ..
ये सोच .......
मेरी खामोशियों की ..
जुबा भी है ....सोच ..
आज मै जो भी कहे पा रही हू ........
वोह भी है मेरी सोच ..............
.......(कृति........अनु......)

उड़ मेरे संग कल्पनाओ के दायरे मे .............


उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
खुद को खो मुझ मे समाने दे
चाहतो के दायरे को और बढ़ जाने दे
जज्बातों के साथ बहने दे
जो बात ना कह सका उसे कहने दे
खयालो को और रंग जाने दे
जुल्फों मे मुझे उलझ जाने दे
आँखों के समुन्दर मे मुझे डूब जाने दे
लबो को मुझ से टकराने दे
जो चिंगारी लगी उसे भुझ जाने दे
उठे तूफ़ान को शांत हो जाने दे
जितना करीब चाहती है मुझे पास आने दे
तू मेरा आईना मुझे अक्श बन जाने दे
दिलो की गहरइयो मे मुझे उतार जाने दे
बान्द बाह्नो मे मुझे दूर ना जाने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
सपनो को सपनो मे रहने दे
उड़ने दे आसमान मे
मुझे ''पवन'' जमी पे ना आने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओ के दायरे मे
यह दिल की लगी इसे दिल मे ही रहने दे
इसे बहार ना ला इसे चिंगारी ना बनने दे
~~~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~

जीवन साथी ................



ज़िन्दगी की राहों पे......
हम चले थे साथ मिल कर
तुम से मुझे हर ख़ुशी मिली
दोस्ती मिली उम्र भर की
ओर मिला साथ जन्मो का
वक़्त बदला......
मै ठहरी रही
तुम आगे बढते रहे
ज़िन्दगी की राहों पे
मैंने तलाशती रही तुम्हे
तुम माया के संसार मे
अपने को डुबोते चले गये.........
जिन सपनो को संजोया था
हमने साथ मिल कर
तुम्हारी चाहतो के तले
वोह दबते चले गये.....
ज़िन्दगी की राहों पे......
हम चले थे साथ मिल कर.....
वक़त ने ली है
फिर करवट तो. ..
अपनों के साथ को फिर से
पाने की लालसा ..तुम करने लगे हो...
पर ..
अपने तो अपने है ..
साथ कब छोड़ते है
जीवन की राहों पे

अब तुम भी चलोगे
हाथ थामे मेरा
इन्ह ज़िन्दगी की राहों पे.......
ज़िन्दगी की राहो पे......
हम चले है साथ मिल कर...............
(.....कृति......अनु......)

Saturday, December 27, 2008

वैसी ही हर कोई मुझे याद करे.......................


जैसी हू ......

वैसे ही हर कोई मुझे याद करे

यह इच्छा लिए.....

दुनिया की भीड का हिस्सा बनी

अपने मन को.......

मार के जीने की कला कों सीखा

सच का दामन .......

थामे हर राह पर बढती चली

पथ की........

रुकावटो को पीछे मैंने ध्क्लेला है

खुद पे हस के..........

सबको हँसाने की चेष्टा है

दोस्तों की..........

मुस्कुराटो .... मे खुद को तलाशने मै चली

किसी के ना चाहने ..........

पर भी सबको अपना साथ देने की तमना है

अपने सुखो ....

मे भी दोस्तों के गमो को बाँटने की इच्छा है

जैसी हू......

वैसी ही हर कोई मुझे याद करे................
(.......कृति......अनु.........)

क्यों तूने मेरे सुने दिल पे दस्तक दी ..............


क्यों तूने मेरे सुने दिल पे दस्तक दी ....
क्यों मेरे सपनो में आके ...झंझोर मुझे ...
क्यों मेरे इते करीब आने लगे हो ..
क्यों मेरे ख्याबो मे में आके ..जगाने लगे हो .....
क्यों तूने मेरे सुने दिल पे दस्तक दी ....
पास आ नहीं सकती ,
दूर मे जा नहीं सकती ,
याद तुम्हे कर नहीं सकती ,
दिन के तनहा लम्हों में ,
यादो से तुम्हारी मे दूर जा नहीं सकती ,
क्यों तूने मेरे सुने दिल पे दस्तक दी ..........
क्यों मे सपने सजाने लगी हू,
ये भी जानती हू कि ,नहीं होंगे वो पूरे..
पाने कि तुम्हे सोच नहीं सकती ,
तुम्हे खोने के डर से तड़प जाती हू,
तुम साथ हो मेरे ,इस ख्याल से रात भर जागती हू ,
पर .......
आँख खुलने पे ...मेरी कल्पना कि दुनिया से
दूर चले जाते हो ,
क्यों तूने मेरे सुने दिल पे दस्तक दी ...........
अपनी अपनी दुनिया में रहने वाले हम ,
अपने इस नए एहसास को क्या नाम दे ,
मन से मन का मिलन है ये,
क्या ऐसा मान ले हम
क्यों तूने मेरे सुने दिल पे दस्तक दी .............
(....कृति.....अनु....)

~~~~पहला पन्ना ~~~~~
क्यूँ क्या शर्म नहीं आती उन्हें इन शबदो से साफ़ जाहिर है समाज मे बात फ़ैल गयी है चोकना सवाभिक है ऐसे शब्दों से घरवाले भी ''प्यार''शब्द सुनते ही ...''प्यार''एक अनुभूति है जो खुद से खुद का व्यक्तिगत परिचय व एह्स्सास कराती है यह रूप गुण नहीं देखता वह ऐसा एह्स्सास कराती है .जिसके लिए शब्दों का उचारण भी पूर्ण रूप से नहीं देखती यह एक अपना बंधन स्थापित करता है ''प्यार''का बंधन इसे किसी की स्वीकृति का इंतजार है तो एक दुसरे का और सब बेकार है प्यार करने वाले इस अहसास को महसूस कर सकते है !
बड़ी कटनाइयो से यह अह्स्सास एक दुसरे का होता है और समाज की बेडियों उफ़ यह दुःख सुख का अनुभव दिल की गहराइयो को एक नया मार्ग दिखता है जहाँ हम सब पथ छोड़ कर चलते है उससे सारे भेद भाव मिटा देते है उसे अपना राज ,दिल के दुःख सुख बाते सब अपने प्रिये को बता देते है व कुछ क्षण मे उसे खुदा समझने लगते है !
~~~~~दूसरा पन्ना~~~~~
एक अनजान व्यक्ति एक अनजान व्यक्तित्व दे मिलता है जब उससे प्यार की भावना उत्पन होती है तो वह प्रेमी ,प्रियसी से ना जाने क्या-क्या आशाओं को बाँध लेते है वह एक अनजान बंधन के घेरे मे उनका प्यार परवान चढ़ता है और एक ऐसा समय भी आता है वह अनजान व्यक्ति केवल अपना बन जाता है यह आपके मन मंदिर मे खुद बे खुद अंकुर के रूप मे फूटता है वह आपसी समझदारी से बढ़ता ही चला जाता है इसकी कोई सीमा नहीं ना ही इसकी गहराइयो तक पहुँच पाया है मन मस्तिक मे हमारी भावनाओं मे उसके प्रवेश होते ही हम अपने आप मे एक अनूठा आकर्षण पाते है और यह आकर्षण ही दिल की गहराइयो से पनपने वाली मीठी अनुभूति है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है और वह है ''प्यार ,इश्क ,मोहब्बत,LOVE....आपको समर्पित मेरा भविषय
~~~~~पवन अरोडा~~~~

खिली धूप तो .............


खिली धूप तो ..
दूर हुआ अँधियारा ..
टूटी मन की बंदिशे ..
सिमटी आज की दुनिया ..
तो मिला नया सा रास्ता ..
इस नयी दुनिया के
ये बाशिंदे ...
भागते से हर वक़्त है ..
मन की शांति का आनन्द
प्राप्त करने को ..
उतावले से है सारे...
होठो पे लिये हस्सी
खोखली सी जिंदगी
जिए जा राहे है ..
हर दिन दुःख मे बीते
पर ...
हर्षित मुखिता का चेहरा लिये
हस्सने का ढोंग किये जा राहे ...
दुखो भरी इस खोखली दुनिया मे ...
सन्तुष्टि और प्रसन्नता ..
ही वास्तविक सम्पति है ..
इस दुनिया के बाशिंदे
इसे भूले जा रहें है .........
खिली धूप तो ..
दूर हुआ अँधियारा ..
टूटी मन की बंदिशे ......
(........कृति.......अनु.......)

Friday, December 26, 2008

उन्मुक्त आकाश मै उड़ने चली थी सपनो के पंख लगा ................................................


उन्मुक्त आकाश मै उड़ने चली थी
सपनो के पंख लगा
गेरो की भीड मे..
किसी अपने को तलाशने चली थी
आती हुई तेज हवायो से
किसी कटी पतंग सी ...मै कटती चली गयी ..
आती हुई तेज हवायो ने कतरे
मेरे भी पंख ..
हकीकत के धरातल पर ..
मै औंधी मुंह ...
गिरती चली गयी ..
उन्मुक्त आकाश मै उड़ने चली थी
सपनो के पंख लगा ....................
मै अपने खुद के रिश्ते
धुंधले करती चली गयी ..
मै अपनी बातो से
किसी के दिल मै बसने चली थी ...
पर अब ......
अपनी ही नजरो से गिरती चली गयी ......
उन्मुक्त आकाश मै उड़ने चली थी
सपनो के पंख लगा ........................
........(कृति......अनु.......)

Thursday, December 25, 2008

आयो थामे हाथ........


आयो थामे हाथ ,लिए एक दूसरे का साथ
कहे दिल कि बात ,और समझे जज्बात..
दिल मे जो राज़ ,खोलो उसे मेरे साथ
रखो दिल पे हाथ ,चले चलो मेरे साथ ..
अच्छा लगता है जब दिलदार मिलता है ,
तो खुद पे एह्तबार बढता है ...
इन सपनो कि दुनिया मे ,
जहा ना हो कोई तेरा ,न हो कोई मेरा साथ
चल हम भी जी ले ,अपने सपनो को ...
बन कर नदी के दो किनारे
साथ बहे पर , ना कभी मिलने के लिए ........
दे कर हर ख़ुशी तुम्हे ,खुश हो लूगी मै
दे कर उजाला तुम्हे ,अंधेरो मे जी लूगी ...
राहो सदा खुश तुम ...तुम्हारी ख़ुशी संग मै भी जी लूगी ..
रख के मुझे पे विश्वास ,चल तू मेरे साथ ,थाम मेरा हाथ .....
आयो थामे हाथ ,लिए एक दूसरे का साथ
कहे दिल कि बात ,और समझे जज्बात........
(........कृति....अनु........)

Tuesday, December 23, 2008

इस बन्दे है कुछ तो बात है .............


जिंदगी मे..कुछ खास
पलो जी लो ....
कुछ अच्छी यादो को
अपने भीतर ..सहज लो
आते है हर किसी की
जिंदगी मे सुख और दुःख
जो चलते है हर
पल पल साथ ...
किसी मोड़ पे ..मिले जो ज़िन्दगी
तो उसे दो ...अपना जिन्दादिली का वोह
एहसास ..की लगे उसे भी कि...
इस बन्दे मे भी है कोई बात....
जो ना टूटा ..ना बिखरा किसी
गम से ...दुःख भी ना तोड़
पाया इसे ...
वक़्त का रुख मोडा है जिसने
उसी बन्दे मे ..कोई
तो बात है ..
जो चला है...अपनों के गमो
को साथ लेके ...
दुखो को हँसी मे छिपा .....
वोह बना हर भीड़ का
हिस्सा ....
अपनी बातो से सबको दीवाना बना
साथ अपने वोह दोस्ती
का काफिला लेके चला है ................
अब तो वक़्त भी कहने लगा .....
इस बन्दे है कुछ तो बात है .............
(.........कृति.......अनु.......)

आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे..................


आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे
जंहा प्यार है ...
दुलार है अपनों का
जंहा अपने है ......
और अपनेपन का वास है
और
जिस प हुम्हे अटूट
विश्वास है ...
आयो ले चले .तुम्हे अपनी दुनिया मे ......
जंहा साथ है साथ निभाने वाला
जंहा सब है एक
घर को....घर बनाने वाले ....
आयो इस जंहा को अपना बनाये ...
दुखो को दर किनारा कर ..
थामे खुशियों का दामन
मांगे अपनों का साथ ..
आयो हम भी ...
अपनों का साथ निभाए
आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे........
मेरी इस दुनिया मे
धोखा नहीं ....फरेब नहीं ..
झूठ और मक्कारी नहीं ...
है तो बस ...,,,,
प्यार और अपनों पे विश्वास ...
आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे..........,,,,,,,,,,,,,,,,
.(.....कृति .......अनु.......)

Monday, December 22, 2008

हाथो की महंदी ..............


हाथो की महंदी अभी
छुटी भी नहीं थी
आँखों मे सपने
जो सजे से थे
यू ही बीच
रस्ते मे टूट गए
दिल मे पले अरमान
भी जल गए
हम तो साथ मिल के
चले भी ना थे
हाथो को थामा था जिसने
सदा के लिए
वोह ही मेरा नसीब
आन्सुयो मे लिख
दुनिया से विदा ले
सदा के लिए चले गए ........................
...........(कृति.......अनु.....)

रात की तन्हायियो मे..............


रात की तन्हायियो मे आके ..
कुछ कह के चले जाना ..
पर आना जरुर .....
कानो मे अपने प्यार का गीत सुना के ....
चले जाना ...
पर आना जरुर ....
दिल की धड़कन को सुन कर
चले आना पास मेरे ,चुपके से
.पर आना जरुर
यादो मे मेरी बस जाना
आ के
सपना बन के ,
आँखों मे छिप जाना
दिल मे समां जाना
एक मीठी याद बनके ...
पर आना जरुर ....
पतझड़ जो आये जीवन मे मेरे ..
तो तुम ......
.बसंत मे बहार बन के आना
आ के मेरी बगिया को महकाना
पर आना जरुर ......
बारिश के बाद मेरे
आँगन मे तुम इन्द्र धनुष बन कर आना
पर आना जरुर ..........
रात की तन्हायियो मे आके ..
कुछ कह के चले जाना ..
पर आना जरुर .......साथी मेरे ...
(....कृति....अनु .......)

Sunday, December 21, 2008

नारी जो..........


नारी जो है ....हर नर के जीवन मे
हर पथ पर साथ चलने वाली..........
जब मैंने लिया जन्म ..
थामा जिसका हाथ ..चलने को
जिसके स्पर्श ने दी मुझे ..दी ममता मुझे
वोह थी मेरी माँ ........
जब मै हुआ बड़ा ,
वोह जिसने मेरे साथ मेरा बचपन है बांटा ..
दी हर ख़ुशी मुझे
भर दी चेहरे पे मुस्कान
दिया अपने साथ हर पल ..
वोह थी मेरी ..जान से प्यारी बहन ...
नारी जो है ....हर नर के जीवन मे
हर पथ पर साथ चलने वाली.......... .........
जब मै गया अपनी ,
जीवन की प्रथम पाठशाल मै ,
मेरा पथ प्रदर्शन करने वाली
हर रहा को सुलझाने वाली ,
वोह थी मेरी पहली अध्यापिका .......
जब भी मै हुआ उदास जीवन
की राहों मे .......
आया जीवन मे जब भी कोई दुःख
मेरे हिम्मत बनी वोह ,
अपनी बातो से मेरा हौसला बढाया मेरा ..
जी मेरे दुःख से दुखी हुई
और सुख मे दी ..अपनी प्यारी मुस्कान ...
वोह थी मेरी जीवन संगनी .......
नारी जो है ....हर नर के जीवन मे
हर पथ पर साथ चलने वाली.......... ..............
मेरी हर सोच को थामने वाली ,
जिसके बचपन को देख,
मै फिर से बच्चा बना,
वोह थी मेरी दुलारी ,मेरी जान से भी प्यारी ,
मेरी बेटी ..........
नारी जो है ....हर नर के जीवन मे
हर पथ पर साथ चलने वाली..........

जब भी खुद को आईने मे देखा..............


जब भी खुद को आईने मे देखा
उसे भी मुझ पे हँसते पाया ...
वक़्त के हाथो खुद को लुटा पाया ..
मै तो अंधेरो मे खो जाती ....
इस दुनिया की  भीड़ मे ..
अगर ..वो
मेरा हाथ न थामता.....
खीँच लाया वो मुझे अंधेरो से बाहर .....
उसकी निगाहों ने तराशा है मुझे ..
उसकी  बातो से मिला है ..
जीवन मे नया रूप मुझे ..
मै तो खो चुकी थी ..
आत्मविश्वास अपना ...
पर उसकी बदौलत ..
जी ली मैने भी ...
अपने सपनो की  दुनिया ..
मिला प्यार इतना ....कि
मैंने खुद को उसके लिए बदल डाला..
समय पे साथ चलके उसे ने ...
मुझे नयी ताकत से रूबरू ..
करवा डाला ...
मेरी जीने की  इच्छा को
फिर से उसने ..जीवंत कर डाला ............
अब जब भी खुद को आईने मे देखा
अपना नया सा रूप है मैंने पाया |
(.........कृति.......अनु......)

Saturday, December 20, 2008

जोकर...............


तू बन कर तू बन कर जोकर
दे ख़ुशी सबको ,
दे मुस्कान हर चेहरे पर
तू बन कर गुलाब ,
रह काँटों के बीच,
अपनी सुन्दरता को बढा
कर न किसी को
दुखी तू ,
बोल ना कड़वे बोल तू
मन ना किसी का तू दुखा,
रोक ,
अपने अहंकार को तू
थाम कही वोह
तेरी महानता को
खत्म ना कर दे ,
ना कर तू किसी
कि तरफ अंगुली
देख,तीन तेरी
तरफ है झुकी हुई,
ना कर तू क्रोध
इतना कि
तेरे अंदर का
ज्वालामुखी फट जाये ,
बात हो ख़ुशी कि
तो सब के साथ बांटता चल ,
मन हो दुखी तो
खुद को खुद से ..
भी छिपता चल ......
बस,
बन कर जोकर ,
इस जीवन मे तू
सब को हँसाता....चल...हँसाता ..चल
(...कृति....अनु.....)

Friday, December 19, 2008

मन............


एहे मेरे मन तू
मुझे ये बता
क्यों तू अकेला सा है ..
क्यों तेरा ये चेहरा ..
बुझा सा है
जीवन के पथ पर तू
क्यों यु पड़ा अकेला सा है ..
अपने राही को ले
थाम उसका हाथ ..
मुश्किलों का कर सामना ..
तू चंदन सामान बन ..
दे अपनी खुशबु सब को
पर चिता की लकडी ..मत बन
बन कर खुशबु ..छा जा
हर जीवन को महका जा ..
अपना हर्ष मुखित
चेहरा लिए .......
ले दुनिया को जीत तू ...
निर्भयता से कर सामना ...
हर मुश्किल का तू ..
अपनी आप बीती को छोड़ .
वर्तमान मे जीना सीख ..
अपनी स्मृतिय्यो..को.
रख साथ मे
धर्य रख ....
उठ चल आगे बढ..
उस चींटी के समान तू ....
जो ना कभी डरी किसी से
जिस के आगे हाथी ने भी मानी हार है ...
एहे मेरे मन तू
मुझे ये बता
क्यों तू अकेला सा है ...................
...(कृति...अनु......)

आंखे .....


याद करके जब
रोने लगी ये
आंखे ...........
अश्क भी ..अब साथ
नहीं देते ...
दिल मे उठे दर्द
को नहीं मै समझ पा रही
ख़ुशी की तलाश मे..
चली थी मै.......
पर गमो को साथ लिये...
लौटी हु मै .......
ना भूलने वाली यादे ..
अब मेरे मानस पर
छा सी गयी है ..
जो मिला था कुदरत से
उसे छोड़
मिथ्या ..के पीछे
भागी थी मै
मृग्मारिच्का के पीछे
घने मरुस्थल
मे भटक गयी हु मै .......
याद करके जब
रोने लगी ये
आंखे ...........
.....(कृति...अनु...)