Tuesday, October 30, 2012

यार देखो तो

जिंदगी बहुत छोटी है ...उसे खुशी से जी ले या उसे अपनी छोटी छोटी गलतियों से बर्बाद कर दे ...ये हम पर निर्भर  है ...जब मन करता हम  हँस सकते है तो क्या अपनी  गलती पर ...उसे मान लेना ,उसमें  कैसा अपमान ...कैसी शर्मिंदगी??? क्यों कि जीवन चलने का नाम है ...





एक वो चाँद ऊपर ,एक चाँद तुम मेरे हो
फिर ज़रा कुछ ओर करीब आ कर,यार देखो तो
नैन मिला कर ज़रा एक दफा फिर से देखो तो
पास बिठाकर ,यार एक दफा फिर देखो तो ||

दो या ना दो कोई दाद जीवन में तुम मुझे
पर एक बार फिर से साथ निभाकर,यार देखो तो
ये जान वार देंगे हम तुम्हारे लिए इस जीवन पे
तुम अपना प्यार फिर से लुटा कर ,यार देखो तो ||
 

दूर के चाँद को निहार रही हैं ये आँखे मेरी आज भी
तुम मुझे फिर अपना बना कर ,यार एक बार देखो तो
रो रही थी जो आँखे मेरी इंतज़ामें तुम्हारे
उन  में अपना कोई सपना सजा  कर, यार देखो  तो ||

तेरे आने से हर बार होती है रोशन मेरे घर की  दहलीज़

ओ मीत-मेरे साथ दीए फिर जला कर ,यार देखो तो
हम भी देख लेंगे इस बार  तेरे तीरे-अंजाद
तुम अपना वो प्यार वाला तीर चला कर ,यार देखो तो ||

कितना मज़ा आया था घर बसाने में तेरे साथ
फिर से एक बार वही घर बसा कर ,यार देखो तो
रोज़ पिलाते थे ज़हर कड़वी बातों का तुम-हम
इस बार फिर से प्यार का प्याला पिला कर, यार देखो तो ||


कड़ी दर कड़ी टूट ना ये उम्मीद की ये लड़ी
एक बार फिर से इसे जोड़ कर ,यार देखो तो 

अब जीवन भर साथ निभाएंगे हम तेरा 
इस बार एक नया वादा ,यार करके देखो तो ||

अंजु (अनु)

Friday, October 26, 2012

अब वहाँ मैं भी हूँ ....

यहाँ ..एक पल में ख्याब सजतें है
अगले ही पल टूट जाते है
तो मुझे क्या लुत्फ़ देंगी ,
इस ज़माने की कोई भी  खुशी
बड़ी ही कशमकश में हूँ कि 

क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,

जिस से मेरी ही दुनिया 
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी
मेरे दिल के मंज़र से
तो कोई रोशनी कैसे
मुझे ,रोशन करेगी |
मैं ,अपनी ही बेचैनियों से
बेचैन हूँ बहुत ,
तो कैसे ,किसी की बेकरारियाँ
बेक़रार करेंगी मुझे |
कभी खींच लेता था मुझे ,
उसका ज़ज्बा-ए -दिल
पास खुद के
अब खुद में ही खाली हूँ
तो कैसे मैं ,मान लूँ कि ,
अब ,किसी भी दिलबर
का शिकार बनूँगी |
वो आए ,ना आए
अब कोई आरजू भी नहीं
अगर मिले वो कल तो 

क्या समझाएँगे वो मुझे
क्यों कि वो पल
अब कहीं गुम है ,

हम दोनों के बीच  
अब कुछ ,बाकि भी तो नहीं |
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से
हाँ ! हैं जहाँ  सौ-हज़ार ,
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब  वहाँ मैं भी हूँ 
उसी दर्द की छाँव तले ||

अंजु (अनु)

Thursday, October 11, 2012

आखिरी सफर


ये जानते हुए कि
मैं छोड़ी जा चुकी हूँ
फिर भी एक इंतज़ार है
कि तुम ....खुद से
अपनी गलती  स्वीकार करो 
ताकि मैं लौट सकूँ
जहाँ से मैं आई हूँ 

पर  मैं जानती हूँ 

ये सब भ्रम है मेरे ही मन का |

हां ....सीता के देश में
मैं ..सीता सी नहीं हूँ
वो ,कर्तव्यों के लिए
त्यागी गई
और मैं ...अपने प्यार में 

 धोखे की खातिर...
अपवित्र ,और खरोंचा हुआ शरीर लेकर 
खुद पर लज्जित हूँ
और अब तो दिल पर
एक बोझ सा लदा है
अपनी ही किस्मत का |

मेरे लिए अब ये जरुरी था
कि ढूँढतीं फिरूं ,
अपने जिस्म को ढोने के लिए
वो चार कंधे ,
जिस पर तय करना है,मुझे अब ये
आखिरी सफर ||



अंजु (अनु )

Saturday, October 6, 2012

पल पल बदलता आसमां (एक हवाई यात्रा )

 १५ मिनट में आसमां का बदलता रंग ...पल पल मेरे कैमरे में कैद कुछ पल 


नीचे उतरते वक्त , ऊँचाई से दिखता दिल्ली का नज़ारा 



 पल पल बदलता आसमां का रंग













 लैंडिंग के वक्त खुलते पंख



एक और धुंधला नज़ारा 
 



 अलगे ही पल-पल और नीचे ...और नीचे













 पूरी तरह से रुकने के बाद


सभी फोटो मोबाईल से लिए गए हैं ......अंजु (अनु)