Friday, December 27, 2013

सोचते सोचते ये साल 2013 भी विदा होने को है

पूरा साल कैसे बीत गया ....ये पता ही नहीं चला |सोचा था इस 2013 में बहुत कुछ लिखूँगी ...पर चाह कर भी कामयाब नहीं हुई |बहुत कुछ तो  क्या....मैं अपने मन का लिख भी नहीं पाई | ब्लॉग को पढ़ना और ब्लॉग पर लिखना लगभग बंद है|जीवन की कुछ बंदिशे इतनी रही कि पढ़ने और लिखने का वक़्त ही नहीं मिला |

इधर कुछ सालों का अनुभव है कि अपने लेखन में एक अजीब सा सुकून है |एक निष्ठा का आभास हुआ है इस साल जैसे-तैसे  मैंने अपने संग्रहों पर काम किया है ....दूसरी ओर बहुत सी ज़िम्मेवारिओं ने ऐसा घेरा कि हम चाह कर भी अपने और इस ब्लॉग जगत को समय नहीं दे पाए |
परिवार में कुछ घटनाएँ हमे हिला कर रख देती है ...ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ, जिसकी वजह से इस ब्लॉग से दूरी बनती चली गई |चाहते हुए भी ना ब्लॉग पर आ पाई और ना ज्यादा कुछ लिख पाई |इन पाँच (5) सालो में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है |

पाँच (5) साल का सफर ...कुछ इस तरह तय हुआ
इसी साल 19 दिसंबर को मेरे ब्लॉग को पाँच(5) साल पूरे गए |2008 जब लिखना शुरू किया था ...उस वक़्त मुझे हिन्दी में टाईप करना नहीं आता था ....लिखने की हिन्दी बहुत अच्छी होने पर भी यहाँ पर अक्सर इतनी गलतियाँ हो जाया करती  थी कि उसे मैं भी अच्छे से जानती थी पर कोई जानकारी ना होने की वजह से एक अनाड़ी की भाँति मुझे यहाँ काम करना पड़ता था और जैसा लिखा गया वैसे ही ब्लॉग पर डाल दिया करती थी |

अगर किसी ने मेरे ब्लॉग की शुरू की कविताएँ पढ़ी हैं तो आप दोस्तों  ने इस बात को देखा ही होगा कि वो आज भी वैसे ही पोस्ट हैं जैसे उस वक़्त पर थी .....क्यों  कि उन्ही कविताओं को देख देख कर मैंने अपने आप में सुधार किया है |

टायपिंग की गलती को बहुत बार बहुत से दोस्तो ने वक़्त वक़्त पर सूचित करके ठीक भी करवाया है ....मैं उन सब का आभार करती हूँ .....गलतियाँ आज भी होती है और आगे भी होती रहेंगी ....लेकिन लेखन का काम हूँ ही चलता रहेगा |

भले ही कितनी ही मज़बूरी और ज़िम्मेवारियाँ हों ....पर अपना काम तो अब बस यूं ही चलेगा |एक कदम जो साहित्य के क्षेत्र में बढ़ाया है,वो काफ़िले का रूप ले रहा है ........अपने खुद के काव्य संग्रह के साथ साथ सांझा  कविता संग्रह....कहानी संग्रह ....लेख...आलेख ...जो समय समय पर अब आते ही रहेंगे|

 
प्रकाशित काव्य संग्रह: .......क्षितिजा (2012)
                     ‘’ए-री-सखी’’(2013)
कहानी संग्रह              (प्रकाशाधीन)                   
संपादन:    १. "कस्तूरी" (साझा संपादित काव्य संग्रह (2012...अंजु(अनु) चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा )
        २. "अरुणिमा" (स्वतंत्र संपादन..2013)अंजु(अनु)चौधरी
        ३. ‘’पगडंडियाँ’’ (साँझा संपादित काव्य संग्रह अंजु(अनु) चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा (2013)
        ४. ‘’गुलमोहर’’ (साँझा कविता संग्रह....2013अंजु(अनु) चौधरी और मुकेश कुमार सिन्हा) 
            
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह में मेरी भी कविताएँ
    अनुगूँज (श्रीमती रश्मि प्रभा द्वारा सम्पादित 2011)
  शब्दों की चहलकदमी ( संपादक ...सत्यम शिवम 2013)`
 नारी विमर्श के अर्थ (संपादन ...रश्मि प्रभा 2013)
 सुनो समय जो कहता है (संपादक ....रवीन्द्र कुमार दास ..2013)

समाचार पत्र और पत्रिकाओं से जुडाव
१. निर्दलीय समाचार पत्र में बराबर प्रकाशन (भोपाल)
२. उत्कर्ष मेल (नई दिल्ली )
      ३..नव्या,रूबरू दुनिया और निर्दलीय पत्रिका से जुड़ाव(जो अब तक भी कायम है)
             ४..दृष्टिपात

जब आप खुद से एक कदम अपनी सफलता की ओर बढ़ाते  हैं तो आपके साथ आलोचक खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं और मैं उन आलोचकों का दिल से आभार करती हूँ जिनकी वजह से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है |

मेरा ये पाँच साल का सफर बहुत ही यादगार रहा |एक नए लेखक को इतना सम्मान और एक साथ इतने सम्मानित अवार्ड मिलना .....मैं खुद में गर्व महसूस करती हूँ और आभार व्यक्त करती हूँ .....रश्मि प्रभा  दीदी  को जिन्होंने मुझे नयी लेखिका में विश्वास रखा और अपने संग्रह में मुझे स्थान दिया | उनका काव्य संग्रह ''अनुगूँज''....जो कि सांझा कविता संग्रह था .....मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुआ |

उस में लिखी कविताओं के लिए जब पहली  बार मुझे फोन पर उसकी प्रशंसा सुनने को मिली तो वो दिन मेरे लिए सच में बहुत बड़ा दिन था ... 

अब तक मुझे मिले सम्मान 



1२०११  में ...निर्दलीय प्रकाशन के राष्ट्रीय अलंकरण की श्रृंखला में साहित्य वारिधि अलंकरण... कविता एवं साहित्य के क्षेत्र में सम्मानित किया गया |

214..4..2012 को   महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी...नागपुर....international /national award...से नवाज़ा गया |

326.5.2012पूर्वोतर हिंदी अकादमी ....शिलोंग की ओर से ....लेखन और साहित्यधर्मिता के लिए सम्मान पत्र दिया गया |

4२०१२ ..क्षितिजा(काव्य संग्रह) के लिए ही ....अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली ) की ओर से ....काव्य शिरोमणि सम्मान से सम्मानित |

5..…14.9.2013…राष्ट्रीय साहित्य,कला और संस्कृति परिषद्...महाराणा प्रताप संग्रहालय, हल्दीघाटी, (राजस्थान )...(उदयपुर )
सम्मान पुरस्कार....शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ...१४ सितम्बर ...२०१३



 अब तक का सबसे बड़ा सम्मान 


6…… विक्रमशिला हिंदी विद्द्यापीठ ....
     14 दिसंबर 2013 ...गांधीनगर ईशीपुर, भागलपुर द्वारा... उज्जैन में ''विद्यावाचस्पति'' सम्मान से सम्मानित किया गया | ये सम्मान राष्ट्रीय साहित्यकार अधिवेशन में प्रदान किया गया |
 इस सम्मान के बाद कहा जाता है कि मैं अपने नाम के आगे ''डॉ' लगा सकती हूँ ...ये एक मानक उपाधि है |
 

ये साल जाते जाते जहाँ कुछ बहुत कड़वी यादें देकर जा रहा है ....वहीं साल के आखिरी में कुछ बातें और यादें इतनी अच्छी है कि वो कभी भी इस मानस पटल से मिटेंगी नहीं |  

16 नवंबर.2013  को विमोचन हिन्दी भवन में एक सफल आयोजन के रूप में  हमेशा याद रहेगा | विमोचन...सुमन केसरी जी ,लीलाधार मंडलोई जी और आकाशवाणी के लक्ष्मीशंकर वाजपाई की उपस्थिति में हुआ था | इस संग्रह के बहुत से प्रतिभागियों ने इस में हिस्सा भी लिया था |


16 दिसंबर 2013 को गुलमोहर सांझा कविता संग्रह को लेकर आकाशवाणी में मुकेश कुमार सिन्हा और मेरा साक्षत्कार  

25 दिसंबर 2013 .......दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के कवि सम्मेलन में भी अपनी उपस्थिति भी हमेशा याद रहेगी....यहाँ सब से मिलना अपने आप में एक सुखद एहसास था 
अनीता कपूर जी (USA)
रमा शर्मा जी (जापान)
नरेन्द्र ग्रोवर जी(UK)
जेन्नी शबनब (दिल्ली )
सीमा गुप्ता (गुड़गांव)
सिया सचदेव 
रेणु गुप्ता 
अंजलि गुप्ता 
पी के आज़ाद (हास्य कवि )
शोभा रस्तोगी
मुकेश कुमार सिन्हा 
आरती स्मिथ 
पुर्णिमा मोहन (टोरेनटों...USA)
पूनम मटिया (दिल्ली)
रेणु रॉय 
मृदुला प्रधान जी 
और मैं ....अंजु अनु चौधरी .......वहाँ अपनी कविता को पढ़ना बेहद खुशी दे गया |



 कैमरे और कुछ हमारी गलती की वजह से कविता पाढ़ करते वक़्त फोटो सही से नहीं आई


इसी के साथ इस साल का लेखा जोखा यहीं खत्म करती हूँ और ईश्वर से ये ही प्रार्थना है कि आने वाले साल सबके लिए शुभ हो ...मंगलमय हो | 

anuradhagugnani40@gmail.com






Wednesday, November 13, 2013

आप सब आमंत्रित हैं

हम गुलमोहर के रचनाकर
अपनी खुशियों में करना चाहते हैं
आपको शामिल .....
चाहते हैं आपकी शुभकामनाएँ
आपकी गरिमामय उपस्थिति
आप सबका प्रदीप्त सान्निध्य।
तो आएँगे न ...
जरूर आइएगा
इंतज़ार करेंगे हम सब.......

30 कवियों की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह "गुलमोहर"
का विमोचन

सान्निध्य :
लीलाधर मंडलोई, वरिष्ठ कवि
सुमन केशरी अग्रवाल, वरिष्ठ कवयित्री
लक्ष्मी शंकर वाजपेई, वरिष्ठ कवि-गीतकार
ओम निश्चल, वरिष्ठ कवि-लेखक
मनीषा कुलश्रेष्ठ, चर्चित कहानीकार

स्थान : हिंदी भवन, आईटीओ के पास
तृतीय तल
विष्णु दिगम्बर मार्ग

दिन : 16 नवम्बर 2013
समय : दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक


गुलमोहर के प्रतिभागी रचनाकार :

अपर्णा अनेकवर्णा
अरुण शर्मा अनंत
अशोक अरोड़ा
आभा खरे
अनुराग त्रिवेदी
नीलिमा शर्मा
शलिनी रस्तोगी
किशोर खोरेन्द्र
रंजू भाटिया
बोधमिता
उपासना सियाग
नीलू पटनी
दिवेन्द्र सिंह
दीपक शुक्ला
ऋता शेखर
संध्या जैन
महिमा मित्तल
सत्यम शिवम
हुकम चंद भास्कर
गुंजन श्रीवास्तव
नितीश मिश्रा
हरी शर्मा
विवेक अरोरा
भरत तिवारी
राज रंजन
कुमार जेमिनी शास्त्री
पवन अरोड़ा
अंजु चौधरी
मुकेश कुमार सिन्हा
 
 
अंजु(अनु) चौधरी 

Saturday, October 19, 2013

डायरी के पन्नों की एक सोच …




हमारे बुज़ुर्ग लोग कहते हैं कि बेटी धान की खेती की तरह होती है |वह परायाधन या किसी दूसरे की अमानत भी कहलाती है |अपने हिस्से की धूप और छाँव को सहती हुई ये बच्चियाँ ना जाने कब बडी हो कर किसी ओर घर की शोभा बन कर अपने माँ-बाबा की दहलीज़ को छोड़ , दूसरे घर को कितनी सरलता से अपना मान लेती हैं |
आँगन में बचपन की डगमग चाल, ना जाने कब सीढियों और बंद कमरों की यादों में विदा ले कर गुम हो जाती हैं |कुंवारे सपनों ने करवट ली, पिया के द्वार से बुलावा आया नहीं कि बाबा की दुलारी और माँ की लाडो कितने ही हसीन सपनों के साथ एक नए घर में प्रवेश करने को तैयार हो जाती है |

 (पूरा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें ......http://kshitijaa.com/http://kshitijaa.com/storys/%E0%A4%A1%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%9A )

Saturday, October 5, 2013

राम तेरे देश में



राम तेरे देश में.......(पूरी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे)
राम तेरे देश में
क्यों मची हुई है लूट ?
सत्य अहिंसा छोड़कर,
डाल रहे हैं सब फूट

हर जगह लुट रही है नारी,
हो रही अस्मतों की लूट......

Thursday, September 19, 2013

राष्ट्रीय साहित्य,कला और संस्कृति का सम्मान समारोह

 आज की पोस्ट में मैं आप से पहले अपने सम्मान की कुछ तस्वीर साँझा करुँगी और उसके बाद उदयपुर जो मैंने अपनी नज़र से देखा ...एक भ्रमण और एक सोच के साथ कि मैं इस सफर में कुछ भी सोच कर नहीं चली  थी ...बस एक सम्मान लेने की बात थी जो कि मुझे मिलना था और मुझे उसे लेकर वापिस आ जाना था पर नहीं जानती थी कि ये सफर एक यादगार सफर के रूप में मेरी इस जिंदगी के साथ जुड़ जाएगा ....
उदयपुर से लगभग ३८ km उत्तर की तरफ जाने वाले सड़क मार्ग पर महाराणा प्रताप संग्रहालय ...हल्दीघाटी स्थित है |पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इसका नाम बहुत सम्मानपूर्वक लिया जाता है |
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लेखन के क्षेत्र में एक कदम और आगे .......राष्ट्रीय साहित्य,कला और संस्कृति परिषद्...महाराणा प्रताप संग्रहालय, हल्दीघाटी, राजसमन्द (राज.)...(उदयपुर )
 





सम्मान पुरस्कार पत्र .....श्रीमती अंजु (अनु) चौधरी काव्य शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ...१४ सितम्बर ...२०१३ 


 


मुझे सम्मान देने वालो में ...डॉ अमर सिंह वधान (चंडीगढ़ ), हरकीरत जी (गुहाटी से) और डॉ देवेन्द्रनाथ साह (विक्रमशिला विद्द्यापीठ)...
कुछ लोगों  और कुछ दोस्तों से मिलना हमेशा ही एक सुखद अहसास की अनुभूति देता है और इस लिस्ट में हर बार कोई ना कोई नाम जुड़ जाता है ...इसे मैं एक इतेफाक ही कहूंगी कि मेरे प्रथम काव्यसंग्रह ''क्षितिजा'' का विमोचन हरकीरत जी के संग्रह के साथ ही हुआ था और मेरी उनसे ये दूसरी मुलाकात थी |यूँ अचानक से उनसे मिलना हो जाएगा ..ये मैं जानती नहीं थी |
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                                               आशा पांडेय ओझा और मैं(कुछ बातचीत के क्षण )
फेसबुक की एक ओर मित्र जो अभी तक बस वहीँ तक ही सीमित थी उनसे ऐसे आमने सामने मिलना अच्छा लगा ....''आशा पांडेय ओझा '' जिन्हें फेसबुक पर पढ़ा और देखा था उनसे इस तरह मिलना ...अच्छा लगा ..मेरी ही तरह वो भी इस संस्था द्वारा सम्मानित की गई थी |
                                         

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 देश भर से आए सभी सम्मानित सदस्यों का जमावड़ा  ......सभागार पूरा भरा हुआ था



                                          मैं ..डॉ डॉ देवेन्द्रनाथ साह (विक्रमशिला विद्द्यापीठ)...और डॉ सुमन भाई ''मानस भूषण ''
 डॉ सुमन भाई''मानस भूषण'' ..इनकी श्रीमती जी(उज्जैन से) और मैं
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 डॉ सुरिंदर कौर जी(जालंधर से ) ,डॉ अमर सिंह वधान (चंदीगढ़) और हम (अंजु(अनु) चौधरी करनाल से


यहाँ  हल्दीघाटी (उदयपुर)में अपने देश के अलग अलग जगह से बहुत सारे साहित्यकार आए हुए थे ...ऐसा लग रहा था जैसे पूरा हिन्दुस्तान यही सिमट गया हो ....सब से मुलाकात संम्भव नहीं थी ...पर जिन से मुलाकात हुई उनके परिचय और बेहद संजीदा बातचीत के साथ और ये मेरे साथ मुंबई की मेरी दोस्त नीता कोटेचा ...जो मेरे इस सफर की साक्षी भी है और इस प्रोग्राम को कमरे में कैद करने वाली मेरी शुभ-चिन्तक मित्र
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महाराणा  प्रताप संग्राहलय का बाहरी हिस्सा ....उस वक्त की  बेजोड कारीगरी

 संग्राहलय के प्रांगनमें शिव मंदिर ....बेहद खूबसूरत

संग्राहलय  का बाहरी द्वार पर आने वालो के लिए मनोरंजन का पूरा बंदोबस्त है ...कुछ मस्ती के पल नीता और मेरे लिए ये पल बेहद खूबसूरत अहसास लिए हुए रहें ...

                                  

http://www.haldighatimuseum.com/..............महाराणा प्रताप संग्राहलय ...(हल्दीघाटी) का बाहर से दिखने वाला सम्पूर्ण रूप आप इस साईट पर देख सकते हैं

उदयपुर जितना हमने देखा ....वो अगली पोस्ट में आप सबके साथ साँझा करुँगी ......