Wednesday, April 25, 2012

मेरे कविता संग्रह .......क्षितिजा की पहली कविता .....

असमंजस ......
लिखते लिखते रूकती ,
लेखनी का असमंजस
पढने के बाद ,
समझ का असमंजस
दो राहे पर खड़े ,
बचपन का असमंजस
अंतिम पड़ाव पर ,
वृद्धावस्‍था का 
असमंजस
तूफ़ान की कालरात्रि में ,
गिरती बिजली का असमंजस
सागर के किनारों पर ,
टकराती लहरों का असमंजस
मन में उठते प्रश्नों को ,
उत्तर देने का असमंजस
अजीब सा एहसास और ,
रूकती सांसों का असमंजस
झड़ते पत्तो  और ,
बुझते चिरागों का भी असमंजस 
  लुटती अस्मत में ,

बहते लहूँ का असमंजस
पेट की आगे में ,
झुलसते बचपन का असमंजस
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||


अनु






Tuesday, April 17, 2012

महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी...नागपुर....international /national award


महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी........डॉ अनीता कपूर (कालिफोरिनिया ..U.S..A.से )..और डॉ अमर सिंह वधान (चंढीगढ़ से )महात्मा फुले प्रतिभा संशोधन अकादमी महाराष्ट्र द्वारा नागपुर में १४ अप्रेल २०१२ को आयोजित कार्यक्रम में स्मारिका विमोचन .....

 महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी...नागपुर....international /national award....लेते हुए मैं (अंजु (अनु) चौधरी )




 सम्मान लेने के बाद के कुछ यादगार पल ...जो हमने साथ बिताए...ललित शर्मा जी ...संध्या शर्मा जी ,संध्या जी के पति शर्मा जी ....संजीव तिवारी जी ....ये सब मेरे कहने मात्र से नागपुर ..मेरा साथ देने आए ...मैं खास तौर पर ललित जी की आभारी हूँ जिनकी वजह से पूरा दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला ...बहुत केयरिंग हैं ये भाई जी (ललित शर्मा जी )





 यहाँ अनीता कपूर जी जो की इस  कार्यक्रम के दौरान हमें यहाँ मिली ...मिलने के बाद पता चला कि हम सब फेसबुक पर भी साथ साथ हैं ...इसी मौके पर हमने यहाँ भी साथ साथ एक फोटो निकलवा लिया .....(मैं ,संध्या शर्मा जी ...अनीता कपूर जी ...ललित शर्मा जी )



यहाँ  देखिए कैसे बातों में मुझे लगा कर गर्मी का एहसास तक नहीं होने दिया ...और खुद अपने हाथो से मुझे पंखा झलने लगे और भूख लगने पर हम सबने  साथ साथ संतरे भी खाए ....

आप  सबका आभार ...कि आप ने मुझे इतना स्नेह दिया ...........अंजु (अनु )

Saturday, April 7, 2012

आप सब दोस्तों की क्या राय हैं ???????????????????

आप सब दोस्तों की  क्या राय हैं ......


आज अभी फेसबुक के माध्यम से ........खामोशी ...बहुत कुछ कहती हैं ...(http://ab8oct.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html...............ब्लॉग) पर जाने का मौका मिला ..वहाँ की पोस्ट पढ़ने के बाद मन खराब हो गया ..कि यहाँ के ब्लोगर्स क्यूँ किसी महिला ब्लोगर को सम्मानीय नहीं समझते ....एक छोटी सी बात को बड़ा चढा कर ...वो अपने शब्दों से और कितना गन्दा लिखेंगे ...ये हम नहीं जानते ..पर आजकल जो पढ़ने और देखने को मिल रहा हैं वो सच में निदनीय हैं ..फिमेल  ब्लोगर ही नहीं ...मेल ब्लोगेर भी इस बात की निंदा कर रहे हैं ...अभी तक मैं ये ही समझ रही थी कि ये ब्लॉग...और ब्लोगर हम सबका परिवार हैं ...पर कुछ लोगो की अभद्र भाषा पढ़ कर मन बहुत निराश हुआ | यहाँ हम किसी को ये हक नहीं देते कि वो किसी भी महिला दोस्त की खुलेआम गंदे शब्दों से ...उसकी निंदा करे ...और  जब मन  चाहे कुछ भी बोल दे या जो मन में आए यहाँ आ कर लिख कर चला जाये ...यहाँ मैं आदमी और औरत की बात नहीं कर रही हूँ ...एक कॉमन बात आप सबके सामने रखने आई हूँ कि ....मुझे ऐसा लग रहा हैं जैसे ब्लोगर परिवार अपने विघटन पर हैं ..इसके दो गुट बन रहे हैं ...एक वो जो अपना वर्चस्व यहाँ छोडना नहीं चाहते ..और एक वो जो यहाँ कुछ गलत होता नहीं देखना चाहते .......अगर कोई मुझ से पूछेगा तो मैं भी ये ही कहूँगी कि .....मैं कुछ गलत होता नहीं देख सकती ...इस नेट ने ..और ब्लॉग ने इस से जुडने वाले को कुछ ना कुछ दिया ही हैं  ...और इस की मर्यादा को हम सब को  मिल कर संभाल कर रखनी हैं ......आप सब दोस्तों की  क्या राय हैं  ???????????????????   

अनु 

Wednesday, April 4, 2012

आज कल मैंने बहुत बिज़ी हूँ

आज कल मैंने बहुत बिज़ी हूँ 
किस काम में ?

जानना  चाहते हैं आप ..

तो पढ़िए ....(एक हास्य जो सच में रसोई में काम करते करते ये ख्याल आ गया ...कि अगर कभी कुछ ऐसा हो जाए तो ??...मेरा क्या होगा ???????  हा हा हा हा हा )


घर में हैं बच्चे
काम हैं ज्यादा ,
 सोचते सोचते ...दिमाग हैं गुल
 टेंशन हैं फुल  ...कि फेसबुक  पर क्या हो
रहा होगा धमाल .....
सारा का सारा दिमाग जो
ब्लॉग और नेट पर लगा हुआ था
तो खाना कैसे बनता स्वाद |
 पढ़ो अब आप भी ...
 लिख डाला ....लिख डाला मैंने भी
अपने जज्बातों को ...लिख डाला
कि कैसे हुआ  मेरा ये हाल ......

रसोई में सब्जी ,
सब्जी में नमक पड़ गया हैं
कुछ होलसेल में  ,
और  मिर्ची का तो हाल बुरा था
मिर्ची भी बोली मुझे से
ऐ !आंटी ...क्या घर वालो को
रुलाने और जलाने का हैं ईरादा  ........
दिमाग तो पहले गुल था 
जो आलू मटर की सब्जी को भी
गंगा जल जैसा बना डाला
बेचारे घर वाले उस जल में
चम्मच मार -मार मटर को ढूढं रहे थे
मैं खुद पर शर्मिंदा तो थी    ...ऊपर से
पति की डपट  अलग से खानी पड़ी 
कि  ..कहाँ हैं आज दिमाग तुम्हारा ,
बार  बार फेसबुक पर
बेकार में बतियाती हो ,
इस  चक्कर में ,
कभी दूध ,तो कभी रोटी जलती हो ,
इस से अच्छा तो पानी के संग
रोटी परोस देती ...''
बच्चे भी हो गए नाराज़ और
छोटा बोला बड़े सी ....भाई ,
आलू  तो डूबने से बच गया ..पर
मम्मी ...मटर का स्नान क्यूँ करवा लाई
तभी  ...
जेठानी ने गुस्से से देखा,
मैं  समझ गई कि ,अब
तो मेरी शामत आई
ऊपर से मेहमानों के आवागमन ने
परेशानी को ओर बढ़ाया
क्या करे अब ये कवयित्री बेचारी
करनी पड़ गई रसोई की
चाकरी सारी की सारी ...
 इस नेट के चक्कर में तो सब कुछ
गडबड हो चला रेरे रे रे ....
फिर  मैंने सोचा .....
कोई फायदा नहीं ..किसी तर्क वितर्क का
इस से अच्छा ...कट लो ,सुन लो सबकी
और मस्त हो कर ,फिर से
अपनी रसोई में जम लो ,
अगली लड़ाई के लिए ||

अनु