विश्व पुस्तक मेला ...दिल्ली में इन पुस्तकों का विमोचन हुआ (इंटरनेशनल बुक फेअर )
ए-री-सखी,पगडंडियाँ और अरुणिमा का विमोचन के पल ...........
10.02.2013 को इसके लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ कथाकार श्रीमति चित्रा मुदगल, श्री विजय किशोर मानव, कवि व पूर्व संपादक "कादंबनी", श्री बलराम, कथाकार व संपादक, लोकायत, श्री विजय राय, कवि व प्रधान संपादक, लमही एवं श्री ओम निश्चल, कवि-आलोचक पधारे ...
पगडंडियों के साथ ....हम सब साथ साथ हैं .....मुकेश जी, नीता जी ,गुरमीत जी ,गुंजन जी ,नीलू-नीलम जी ,रंजू भाटिया जी
रेखा श्रीवास्तव जी और अनुपमा त्रिपाठी जी
और जिनकी हम कोई भी तस्वीर नहीं ले पाए वो हैं अरुणिमा के प्रतिभागी सूजन कवि जी जो कुरुक्षेत्र से इस विमोचन का हिस्सा बनाने आए थे
अशोक अरोड़ा जी मेरठ से ,मीनाक्षी पन्त जी और सरिता भाटिया जी दिल्ली से आधा सच से महेंद्र श्रीवास्तव जी और कमल जी
मुंबई से नीता कोटेचा (साड़ी में ) और आगे नीरू नोएडा से
आनंद कुमार द्विवेदी जी ...और बाकि की मित्र मंडली ...इनके अतिरिक्त सुधांशु श्रीवास्तव ,अविनाश वाचस्पति जी और संतोष जी भी उपस्थित थे |
कुछ फुर्सत के पल
हमारी मित्र मंडली के साथ एक कोने में खड़े अरुण शर्मा ''अनंत''
आप सब का दिल से आभार
हमारी मित्र मंडली के साथ एक कोने में खड़े अरुण शर्मा ''अनंत''
विश्व पुस्तक मेला ...दिल्ली के कुछ यादगार पल ....
एक बार फिर हिन्दी के किसी समारोह मे इतनी अधिक उपस्थिती देखी गई, पूरा हाल भरा हुआ था, उपस्थिती करीबन१२५ से १५० लोगो की थी...बहुत से लोगों से मिलना हुआ कुछ याद रहें कुछ के नाम नहीं जानते ...फिर भी उनका दिल से आभार .....सभी दोस्तों का दिल से आभार जो हम लोगों की पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर हम सब के साथ थे ...
आप सब का दिल से आभार
43 comments:
bahut bahut badhaii ho anju ji
बहुत बहुत बधाई अंजू....
विमोचन समारोह में तो हम शामिल नहीं हो पाए मगर आपकी खुशियों में सदा शामिल रहेंगे...
ढेर सारी शुभकामनाएं सभी रचनाकारों को..
सस्नेह
अनु
anju ji,
आपने जो ठान लिया था उसे पूरा कर दिखाया।।.यही जीवन चलने की कठोर डगर है जिस पर आप चल चुकी हैं।।
आपका बहुत बहुत आभार।।।
हां मेरी फोटे नहीं हैं .खैर कोई बात नही..........मेरी कवितायें तो हैं न...........सादर।।
अविस्मरणीय पलों के साथ शानदार पुस्तकों का विमोचन .......... बधाई ही बधाई
Ek baar fir bahut bahut badhai aur hardik shubhkaamnayen.
Latest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
waah ..bahut bahut badhai
एक सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें !
पर इस तरह के आयोजन मे किसी ऐसे को मंच पर देख बड़ी हैरत हो रही है जो ब्लॉग और फेसबुक जैसे सार्वजनिक मंचों पर हिन्दी, हिन्दी साहित्य, हिन्दी साहित्यकार, हिन्दी ब्लॉगिंग और हिन्दी ब्लॉगर को निम्न स्तर का खुले आम कहता है और यहाँ तक कि उन सब की तुलना अपने पालतू कुत्ते तक से करता है ! वहाँ मौजूद इतने सारे लोगों मे से क्या किसी को यह ख्याल नहीं आया कि ऐसे किसी बंदे को कैसे मंच पर स्थान दिया जा रहा है !
मैंने अपनी बात आप तक पहुँचा दी ... अब आप इस कमेन्ट को रखती है या नहीं आप पर छोडता हूँ !
सादर !
बहुत बहुत बधाई ...
बहुत बहुत बधाई......
sabhi ko bahut bahut badhaiyan..
पुस्तकों के विमोचन की अविस्मरणीय झलकियाँ ,,,बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाए,,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
आपके कैमरे की नजर से गांव में बैठ कर भी दिल्ली का पुस्तक मेला देख आया... बहुत आभार..
आभार यादगार लम्हे साझा करने हेतु ...बधाई एवं शुभकामनायें ...अंजु जी !!ये मौके और आयें ईश्वर से प्रार्थना है ....!!
Congratulations ....
Anju! ek aisa naam.. jo ek dum se sahitya ki duniya me chamak pada.. aur mujhe pahle din se aisa laga tha.. bahut aage jana hai...
ye pankti tumhare lye......
GAR DEKHNA CHAHTE HO
MERI UDAAN KO
TO JAO UNCHA KAR DO
AASMAAN KO........
शिवम जी आपसे बस एक ही गुजारिश है कि आप अपनी निजी भड़ास यहाँ नहीं निकाले |
अगर वो मंच पगडंडियों के प्रतिभागियों के लिए था तो वहाँ अरुणिमा के प्रतिभागी भी थे जो उस मंच पर खड़े होने का पूरा हक रखते थे ..और किसी के निजी विचारों का खंडन वहीँ किया जा सकता है जहाँ उसने कुछ कहा है ....विमोचन का मंच सबके लिए एक सामान था और हमेशा रहेगा,भविष्य में इस मंच पर आप भी विरजमान हो सकते है .....सादर
मुकेश जी ...आपके साथ के बिना ये पल अधूरे थे |
बहुत - बहुत बधाई !!!
"निजी भड़ास" ... कमाल है यह आप कह रही है जिस ने इसी मुद्दे पर एक पोस्ट लिखी थी ... http://apnokasath.blogspot.in/2012/11/blog-post_15.html ... और किस बात की निजी भड़ास हिन्दी सिर्फ मेरी तो है नहीं यह तो सब की है !
मुकेश जी और बाकी मित्रों से पता कर लीजिएगा मुझे मंच की कभी कोई अभिलाषा नहीं रही है जो गलत है मैंने सिर्फ वो कहा है जोकि शायद और भी बहुत लोगो ने महसूस तो किया पर कहा नहीं ... आप को बुरा लगा हो तो माफ कीजिएगा ... आखिर आपका मंच था ... आपने जो किया उसके पीछे आपके अपने कारण रहे होंगे पर कम से कम किसी की आबरू बचाने के लिए मुझे बेआबरू न करें !
शिवम जी ...आप मेरे छोटे भाई है ...मैं आपको तो क्या किसी को बेआबरू नहीं कर सकती ...बस बात को गलत अर्थ ना दे ...मैं बस ये ही कह रही हूँ कि अरुणिमा के हर प्रतिभागी को मंच पर आने का पूरा अधिकार था और रहेगा |
आपको या किसी को भी अगर मेरी कोई बात बुरी लगती है तो इस साँझा मंच पर आप से क्षमा मांगने में भी मुझे कोई गिल्ट नहीं होगा |
इन आनंद दायक क्षणों को साझा करने के लिये आभार और बहुत भौत बधाईयां.
रामराम.
शानदार पुस्तकों का विमोचन........बधाई एवं शुभकामनायें...अंजु जी
बहुत बधाई
मैं शिवम आपके बातों से पूर्णतया सहमत हूँ, पर मेरा पास इतना बड़ा कलेजा नहीं था, की वहाँ मैं एक दम से अंजु से कह सकूँ की मैं इस मंच पर नहीं आऊँगा, जब तक वो व्यक्ति यहाँ पे हैं, जिसने हिन्दी को गाली देने मे जरा भी कोताही नहीं बरती, और तो और इस शक्स ने हिन्दी क्या मित्रता की खिल्ली तक उड़ाई है, अंजु के हर शोहरत पर हम सबने तारीफ की, मान्यवर ने उस बात को अपने फेस्बूक स्टेटस पर खिल्ली उड़ाते हुए डाला... उसके बावजूद अंजु जी का उनके लिए खड़ा होना, समझ नहीं आता.......... शायद ये मित्रता की परकाष्ठा है...........
एक उदाहरण देखिये...
Mahfooz Ali
29 January
भगवान कभी दुश्मन को भी ऐसे दिन ना दिखाए कि खुद के पैसे खर्च कर के अपनी क़िताब छपवानी पड़े, जिसे बाद में अपने पडोसी और मिलने वालों को बांटने और दान में देने के अलावा चाय भी पिलानी पड़े।
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वैसे इस तरह के उदाहरण अगर दिखाने लगूँ तो दोस्ती पे विश्वास ही उठ जाए॥ इसलिए रहने देते हैं.........
bahut yaadgaar pal they wo ..bahut bahut badhaai safal ayojan ke liye anju ..mukesh :)
बधाई !!
मैं इस आयोजन में शामिल रहा हूं,
एक कामयाब आयोजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई
बहुत - बहुत बधाई
thanx ranju di :)
अंजू बहना,
मां सरस्वती का वरद हस्त तुम्हारे सिर पर हमेशा बना रहे...ऐसे ही प्रति वर्ष कीर्ति के नए सोपान पार करती रहो...
जय हिंद...
अंजू बहना,
मां सरस्वती का वरद हस्त तुम्हारे सिर पर हमेशा बना रहे...ऐसे ही प्रति वर्ष कीर्ति के नए सोपान पार करती रहो...
जय हिंद...
बहुत ही विस्तृत पोस्ट...धन्यवाद...सफल आयोजन के लिए बधाई...मुझे ख़ुशी है की अरुणिमा में मैं भी शामिल हूँ...अनेकों स्नेहमयी शुभकामनाएँ!!!
ढेर सारी हार्दिक स्नेहमयी शुभकामनाएँ....
आदरणीया अंजू जी मन अभिभूत हुआ ...विस्तृत जानकारी और सब प्रिय साथियों से परिचय कराने के लिए आभार ..माँ वीणा वादिनि को मेरा भी नमन ...वसंत पंचमी की आप सपरिवार तथा सभी मित्र मण्डली को हार्दिक शुभ कामनाएं ..आप का ये कारवाँ बढ़ता चले अनवरत
भ्रमर 5
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
विस्तृत रिपोर्ट .. लाजवाब फोटो ... जानकार चेहरे ... खुश हो जाता है मन देख के ...
सभी को बहुत बहुत बधाई ...
यादगार पलों संग बहुप्रतीक्षित विमोचन के लिए बधाई
आदरणीया दीदी हार्दिक बधाई स्वीकारें बहुत ही अच्छा एवं कामयाब आयोजन रहा है मुझे भी शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ आपका ह्रदय से आभारी. ढेरों शुभकामनाएं सादर
बधाई ....!
पर आपने यह नहीं बताया विमोचन कर्ता कौन थे और उन्होंने क्या कहा ....
अविस्मरणीय झलकियाँ ... यादगार लम्हे.
बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं ....
भविष्य के लिए मंगलकामनाएँ
मेरा कमेन्ट स्पैम में होगा देखिये .....
बहुत बहुत बधाई अंजु जी. मैं वहाँ उपस्थित न हो पाई, लेकिन तस्वीरों में दिख रही ख़ुशी देखकर मन प्रसन्न हुआ और अपनी अनुपस्थिति पर खेद. आपकी सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएँ.
bahut bahut badhai...
bahut bahut badhai...
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