Saturday, June 15, 2013

फादर डे स्पेशल








भूली बिसरी यादें ......फादर डे...यानी फादर(पिता) का दिन ..ये सिर्फ एक दिन की यादों में नहीं सिमटा हुआ ....पर हर दिन उनकी याद में मेरा अपना है |
५ अक्टूबर १९८३ ...ये वो दिन है जब नियति के क्रूर हाथों ने और पंजाब में सर उठा चुके आतंकवाद  में, हिन्दुओं पर हुए पहले आतंकी हमलें ने हम से हमारे पापा को छीन लिया | बस से उतार कर सिर्फ उन ६ लोगों को गोलियों का निशाना बनाया गया जो हिंदू थे और फिर उसके बाद पंजाब में आतंकवाद का निशाना बनने वाले बहुत से परिवार तबाह हुए | आतंकवादी की एक गोली कितने मासूमों का दिल और जीवन छलनी करती है क्या आतंकवादी कभी इस बात को जान पाएँगे?

मैं आज तक ये नहीं जान पाई कि आखिर एक इंसान किसी दूसरे इंसान को कैसे मार सकता है ? मैं आतंकवाद या किसी ओर प्रकार की हिंसा की कट्टर विरोधी हूँ क्यों कि हिंसा में किसी निर्दोष की बलि, उसके परिवार को भी बलि की वेदी तक साथ ले जाती है| मारने वाला मार कर चला गया, बिना ये सोंचे कि इसके पीछे के परिवार का क्या होगा और मरने वाला इस जहान की तकलीफों से छूट गया, पर उसके पीछे से छूट जाने वाला परिवार किस तरह से खुद को संभालता है,उनके दुःख-तकलीफ और रस्ते में आने वाली रुकावटें, सम्पूर्ण परिवार को वक्त-वक्त क्या क्या भुगतना पड़ता है, उस दर्द को हम लोगों से ज्यादा कोई नहीं जान सकता |

संयुक्त परिवार होते हुए भी जिस तरह अकेलपन को भोगा गया, उसकी कड़वी यादे आज भी मेरे मानस पर अंकित है | उस अहसास को कि हम अब बिना बाप की संताने(मेरे भाई और मैं) हैं, हर किसी का हम से मुँह मोड़ लेना,और सबकी ये सोच कि 'कहीं हम को ही ना पालना पड़े?'
सबको हम से दूर ले गई | पर एक वर्ष बीतते-बीतते,वक्त बदला हमने गिरते-ठोकरे खाते हुए खुद को संभाल ही लिया |

भाइयों के काम पर चले जाने के बाद मैंने मम्मी को घंटो रोते हुए देखा,उस वक्त में बेबस थी और मम्मी को बहुत ज्यादा समझने की अवस्था में नहीं थी पर आज मैं उनके दर्द को बहुत अच्छे से समझ सकती हूँ | ऐसा नहीं कि मैं कभी नहीं रोई पर मैंने अपनी मम्मी के आगे कभी नहीं रों पाई या शायद मैं उन्हें ओर रुलाना नहीं चाहती थी | वैसे भी बहुत शांत और चुप रहना मुझे भाता था और उसी पापा की लाडली की आँखों में आँसू, माँ कैसे देख सकती थी,ये ही सोच कर, मैंने हर दुःख अपने मन में छिपा कर बरसों निकाल दिए |


दिनों-दिन और फिर सालों साल कलंडर के दिन और साल बदलते रहें और हर साल की ५ अक्टूबर मेरे और मेरे परिवार के लिए हमेशा ही मायूसी लेकर आता है | इस दिन मैं अपने घर(शादी के बाद ससुराल में ) होते हुए भी, अपने मन से अपने पापा के साथ ही होती हूँ |आज भी अतीत की वो घटना कभी कभी मुझ पर सपनों में हावी हो कर डरा जाती है| आज भी चुपके से रों लेना, किसी को कुछ नहीं बताना,ये मेरी आदत है |

जिन्दगी बहुत कुछ सिखाती है कभी हँसाती कभी रुलाती है |आज सभी फादर डे मना रहे है, पर मैं क्या करूँ, मुझे पापा की यादें भी अब धूमिल सी नज़र आती है जहाँ तक सोचने की कोशिश की वहाँ तक जिन्दगी के सब पन्ने खाली से नज़र  आते हैं | छोटी उम्र में पापा का जाना, मतलब की यादों का धुंधला पड़ जाना है ....आज इतना वक़्त बीत गया की अब यादें भी साथ छोड़ रही है|


याद है तो बस इतना की ....''पापा भी कभी हम लोगो के साथ हुआ करते थे ''....पर पिछले ३० सालों से उनके बिना जीना कैसा लगा होगा ?शायद  ही मैं  कभी अपने शब्दों में व्यक्त कर पाऊं | फिर भी आज के दिन एक बेटी अपने पापा को उतना ही मिस कर रही है जितना की बाकि सब बेटियाँ |अपने  पापा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ नमन, उस पिता को जिसने अपनों के लिए एक संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत किया और उन्हीं अपनों ने उन्हें और उनके परिवार को उनके जाने के बाद एक दम से भूला दिया |
 नतमस्तक हूँ उस पिता को,जिसने मुझे जाने से पहले ये शिक्षा दी कि ''विचार शुद्धि ,कर्म और अर्थ पूर्ण जीवन'' को हमेशा महत्व देना...इसी विचारधारा और उनके द्वारा दिए गए नाम ''अनु'' और उनकी दी गई अंतिम सीख के साथ उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि  ||

अंजु(अनु) 

53 comments:

संध्या शर्मा said...

आपके पापाजी को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि... आपके दुःख को समझ सकते हैं हम. उनका आशीर्वाद और स्नेह हरपल आपके साथ है... सच कहा आपने जाने वाले के सम्पूर्ण परिवार को वक्त-वक्त क्या क्या भुगतना पड़ता है, उस दर्द को जिसने यह सबकुछ सहा है उनसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

uff!! aisa kuchh ghata tha, tumhare saath.... mujhe sirf ye jaankari thi, tumahra papa nahi rahe, par aisee ghatna ke karan, wo gujar gaye..... uff!!
श्रद्धांजलि ||

तिलक राज कपूर said...

मैं विगत तीस वर्षों में आपके द्वारा भोगे गये इस दु:खद स्‍मरण के प्रति अपनी पूर्ण संवेदना व्‍यक्‍त करते हुए बस यही कह सकता हूँ कि अपने पिता की शिक्षा को कभी न भूलना। वे आपको सदैव के लिये एक गुरूमंत्र दे गये हैं।

Sumit Pratap Singh said...

:(

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

विनम्र श्रद्धांजलि

Pallavi saxena said...

vinamr shridhanjali...

nayee dunia said...

बहुत दुःख हुआ जान कर , लेकिन होनी और समय की क्रूरता ही कह सकते हैं हम इसे , मेरी तरफ से बाबूजी को श्रद्धांजलि

हरकीरत ' हीर' said...

ओह जानकार दुःख हुआ ...

पिता जी को नमन ....!!

अरुन अनन्त said...

पिता श्री को विन्रम श्रधांजलि एवं नमन.

अरुन अनन्त said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

Dr.NISHA MAHARANA said...

sach papa ke bina jivn ki kalpana hi dukhdai hai ......bahut dukh hota hai aapka dukh mahsus karke ......papako vinamra shradhanjali ...

BS Pabla said...

भावपूर्ण श्रद्धांजलि

जिन्दगी बहुत कुछ सिखाती है

Dr.NISHA MAHARANA said...

dukhad.....papa ko shradhanjali ....

रेखा श्रीवास्तव said...

अंजू , जो छोड़ कर चला जाता है वह कभी नहीं आता लेकिन असमय और अकस्मात् जाना , मन कभी स्वीकार नहीं कर पाता है . पापा को विनम्र श्रद्धांजलि .

Sadhana Vaid said...

अत्यंत दुखद एवँ मार्मिक संस्मरण है अनु जी ! पढ़ कर मन विचलित हो गया ! आपने कितनी व्यथा भोगी होगी इन टीस वर्षों में उसका अनुमान लगाना भी कठिन है ! आपके पापा को विनम्र श्रद्धांजलि ! सार्थक जीवन जीने के लिये उन्होंने आपको बड़ा ही सुंदर सूत्र दिया है ! हम सब भी उससे प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं ! आभार आपका !

Unknown said...

apaki is marmik janakari ke baad sach me kuchh bhi kahane ki sthiti me to nahi hu par likh jarur sakata hu apake pitaji ko sraddhanjali bahut aadar ke sath. aap jesi beti jisaki ho usake sanskar kese rahe honge ye janane ki jarurat nahi fir ese logo ki is tarah hatya karane vale to danav hi honge. apake dukh ko banta to nahi ja sakata magar netra jarur nam...........

Arvind kumar said...

vinamra shradhanjali...

ashokkhachar56@gmail.com said...

पिता श्री को विन्रम श्रधांजलि एवं नमन.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अत्यंत दुखद घटना .... सच ही आपने गहन दुख झेला है उनके बताए मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है ...

सु-मन (Suman Kapoor) said...

श्रद्धा सुमन

shalini rastogi said...

पिता को समर्पित एक शानदार रचना ...
आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक १६ जून २०१३ को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...

अशोक सलूजा said...

विनम्र श्रद्धांजलि ......
स्वस्थ रहें!

નીતા કોટેચા said...

Ye prarthna karo ki ab jaha ho bhagvan unko sari khushiya de.. Ye hi sahi shrandhdhajali... Mere papa bhi nahi mai bhi ubhe miss kar rahi hu...

નીતા કોટેચા said...

Ye prarthna karo ki ab jaha ho bhagvan unko sari khushiya de.. Ye hi sahi shrandhdhajali... Mere papa bhi nahi mai bhi ubhe miss kar rahi hu...

वाणी गीत said...

बहुत दुखद !
नमन एवं श्रद्धांजलि !

कालीपद "प्रसाद" said...


मार्मिक ,विनम्र श्रद्धांजलि !
latest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !

Shalini kaushik said...

विन्रम श्रधांजलि एवं नमन.

रचना दीक्षित said...

मेरी भी श्रथांजलि. पितृ दिवस पर भावुक प्रस्तुति.

दिगम्बर नासवा said...

भावपूर्ण श्रधांजलि है मेरी ...
आपका दुख समझ आता है ... अचानक जब कोई अपना उस समय चला जाए जब उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत हो तो जीवन भर भूलना आसां नहीं होता ... आपकी बातें दिल को नम कर गयीं ...

H.S.Kukreja said...

दिल बहुत दुखी हुआ है ! बहुत कठिन वक़्त रहा होगा - कोई भी समझ सकता है ! आपके पिता जी को विनम्र श्रदांजलि !!

kavita verma said...

bhavpoorn shradhanjali..

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

संजय भास्‍कर said...

बहुत दुःख हुआ जान कर पिता श्री को विन्रम श्रधांजलि !

Sawai Singh Rajpurohit said...

आपके पापा श्री को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि.....

Sawai Singh Rajpurohit said...

आपके पापा श्री को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि..

रंजू भाटिया said...

zindagi mein mata pita ki kami koi puri nahi kar sakta aur zindgai jab yah dukh deti hai to baaki sab dukh kam lagte hain ...unhe meri vinram shrddanjali

vijay kumar sappatti said...

अंजू विनम्र श्रद्धांजलि. उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता है .

Ramakant Singh said...

आपके पापाजी को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि... आपके दुःख को समझ सकते हैं हम. उनका आशीर्वाद और स्नेह हरपल आपके साथ है... सच कहा आपने जाने वाले के सम्पूर्ण परिवार को वक्त-वक्त क्या क्या भुगतना पड़ता है, उस दर्द को जिसने यह सबकुछ सहा है उनसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता.

संध्या शर्मा जी की टिपण्णी से सहमत

मृत्युंजय श्रीवास्तव said...

Aapke pitaji ko hamari taraf se shradhanjali. Aap apni bhavnaon ke badi khoobsoorti se vyakt kar leti hain.

Jyoti khare said...

आपका भोग हुआ सच आँखों को नम कर गया
पापा का त्याग कभी अधूरा नहीं होगा
सच पापा का दुःख मन को रुला देता है
उनकी स्मृतियाँ सदैव जिंदा रहेंगी
पापा को विनम्र श्रधांजलि
सादर

Poonam Matia said...

अनु जी आपका आलेख पढ़ मन व्यथित है ...सही कहा आपने मारने वाला मार कर चला जाता है .मरने वाला भी मोह माया के बंधन से छूट जाता है किन्तु जो पीछे रह जाते हैं उन्हें जो भोगना पड़ता है वो सिर्फ वाही जानते हैं ....विनम्र श्रद्धांजलि आपके पिताजी को ......और आपको देने के लिए कुछ नहीं मेरे पास .......सिर्फ इसके इलावा के शब्द और आंसू ही दुखी मन के सच्चे साथी होते हैं ...परन्तु यादों को धूमिल न होने दीजिये क्योंकि यही धरोहर है गुज़रे वक्त की ...............पूनम माटिया

Jyoti khare said...


सच पिता जी ऐसे ही होते हैं
मन के भीतर पनपती सुंदर और सच्ची अनुभूति
पिता को नमन
सादर




Unknown said...

आपके पिताजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि । हमारी सम्वेदनाएँ और स्नेह सदैव आपके साथ है ।

Unknown said...

आपके पिताजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि । हमारी सम्वेदनाएँ और स्नेह सदैव आपके साथ है ।

Unknown said...

आपके पिताजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि । हमारी सम्वेदनाएँ और स्नेह सदैव आपके साथ है ।

Unknown said...

आपके पिताजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि । हमारी सम्वेदनाएँ और स्नेह सदैव आपके साथ है ।

Unknown said...

आपके पिताजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि । हमारी सम्वेदनाएँ और स्नेह सदैव आपके साथ है ।

Unknown said...

भावपूर्ण श्रद्धांजलि । सम्वेदनाओँ एवं स्नेह के साथ....

Kailash Sharma said...

बहुत दुखद...विनम्र नमन और श्रद्धांजलि...

Rewa Tibrewal said...

didi rula diya aaj apki is rachna ney....mere papa ko gaye bass ek saal hi hua hai....par yaad bahut aati hai....aap bahut bahadur ho...uncle ko dil say naman

Unknown said...

विनम्र श्रद्धांजलि...

अनुपमा पाठक said...

आँखें नम हैं...

शकुन्‍तला शर्मा said...

"मातृ देवो भव " के बाद " पितृ देवो भव " भी है । दोनो महत्वपूर्ण हैं । प्रशंसनीय प्रस्तुति ।