किसी भी लेखक के लिए वो पल सबसे बड़ा और यादगार होता है जब कोई उसकी कविता या संग्रह की तारीफ करे और ये पल ओर भी यादगार बन जाते हैं जब वो शक्स खुद फोन करके आप से आपका पता मांगे ....ये कहते हुए कि संग्रह को लेकर एक पत्र भेजना है |
ऐसे ही पल मेरी जिंदगी में भी आए जब सर्दी के दिनों में सुबह के वक़्त दीदी चित्रा मुद्गल जी का,मुझे फोन आया और मुझ मेरी कविताओं के लिए प्रोत्साहित करते हुए.... घर का पता लिया ताकि वो ऐ री सखी की एक छोटी सी समीक्षा मुझे मेरे पते पर अपने हाथ से लिख कर भेज सकें | आभार दीदी चित्रा मुद्गल जी .....
ऐ-री-सखी,पगडंडियाँ और अरुणिमा का विमोचन के पल ...........
10.02.2013 को इसके लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ
कथाकार श्रीमति चित्रा मुदगल, श्री विजय किशोर मानव, कवि व पूर्व संपादक
"कादंबनी", श्री बलराम, कथाकार व संपादक, लोकायत, श्री विजय राय, कवि व
प्रधान संपादक, लमही एवं श्री ओम निश्चल, कवि-आलोचक पधारे ...काव्य संग्रह .......ऐ री सखी की एक कविता
ऐ री सखी……
ऐ-री-सखी सुन
पहले हम बातें किया करते थी अपने मन की
अपने बचपन की
अपने सपनों की
सपनों के राजकुमार की
ऐ री सखी
फिर वक्त बदला
हम दोनों अपनी अपनी दुनिया में
चली आई ,
नए बंधनों में बंध कर
उन संग प्रीत की डोरी बाँध
फिर हम बातें करने लगी
ससुराल की
कुछ सास की
कुछ जेठानी,कुछ देवरानी की
कुछ चाची तो कुछ मामी की
भूली बिसरी यादों की
हमारी बातों के घेरे में
सब आते थे
और शिकायतों का पुलंदा
हमेशा खुल जाता था |
कितना बचपना था ना
कैसी मूर्ख थी हम दोनों
जो अपनों को ही मुद्दा बना दिया करती थी |
.
सखी
फिर वक्त बदला
तुम अकली हों गई
इस दुनिया की भीड़ में
और मैं मन ही मन तड़प के रह गई
खुद से एक लड़ाई लड़ने के लिए
हाँ मानती हूँ मैं कि
तेरा और मेरा ये अकेलापन
अलग अलग हैं
तू अकेली कर दी गयी
ईश्वर की तरफ से
और मैं अकेली हूँ,शैया पर
अपनों की वजह से
अपनी अधूरी ख्याइशों के संग
कुछ नई तो कुछ पुरानी भी
थम गई अब तो
अपनी जवानी भी....
ऐ री सखी
मैं तुझे देखती रही
तडपे हुए,नम आँखों से
रात की तन्हाईयों में
तुम बहुत अकेली थी,
मन और तन से
और मैं बेबस थी
अपनीऔर तेरी यादों के
के आँसूं एक साथ पीने के लिए |
सखी
तुम ठीक कहती थी कि
वक्त बदलता हैं ....क्यों कि
अपने ही परिवार को हमने देखा है
खुद से दूर होते हुए
भाई भाभी को बदलते हुए
पापा के बिना
अब भाई का घर भी
मायका नहीं लगता हैं
माँ के रहते भी
वो ममता अब नहीं बरसती |
हर कोई अपने में मस्त सा लगता हैं
सबकी आँखों में इतने गहरे
सवाल क्यों नज़र आते हैं ?
जैसे वो आँखों से तोलना चाहते हैं
हमारे ही वजूद को
राखी का पवित्र बंधन
अब बहुत प्रेक्टिकल सा लगता है |
ऐ री सखी
अपने पिहिर में वो
कच्चा आँगन भी
कितने सुख की छाँव देता था
अब देखो ना
वक्त ने हमको सयाना कर दिया
वक्त फिर बदला
तभी तो
हमने रिश्तों ने नए आयाम तय किए हैं
हम अब सही मायनों में
अपनों के लिए
जीना सीख गई हैं और
ये समझने लगी हैं तभी हम
बाहरी दुनिया से बचने लगीं हैं
बाहरी दुनिया जो ..देखती हैं
बना देती है तमाशा
हमारी बातों का
बनाती हैं सच्ची झूठी बातें
घर के पवित्र रिश्तों का |
बाहरी दुनिया
जो आज भी नारी देह को
खिलौना मात्र समझती हैं ..
कि हर कोई अपनी बातों और
आँखों से उसके तोलता हैं
उनके लिए उम्र की ना,कोई सीमा हैं
मर्यादा की ना कोई परिभाषा
अपने घर के ये शरीफ और
बाहर,हर हैवानियत से गुज़र जाने को अमादा हैं
यहाँ दिन सुलगती आग तो
राते अंगारों की सेज़ हैं |
ऐ री सखी
चल आ ना,
लौट चले हम
अपनी ही दुनिया में
जहाँ मैं हूँ और तुम हों
और हमारी ही बाते हों
जो हम संग संग किया करती थी
सुबह हों या शाम हों
बस हमारी अपनी ही
बातें हुआ करती थी
एक दुनिया थी
जिस में हम दोनों
खुद में खो कर जिया करती थी|
चल आ ना ...
आज हम फिर से
अपने अतीत में चलते हैं
खुद के संग पल बिताने को
और जिंदगी के कुछ
भले-बिसरे गीत गुनगुनाने को |
अंजु(अनु)
23 comments:
शुभकामनाएं
सही कहा अंजू ऐसे वक्तव्य और प्रेरक बातें ही आगे बढने को प्रेरित करती हैं , एक हौसले का निर्माण करती हैं और उस पर एक साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर द्वारा कही बात की तो बात ही अलग होती है ………बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें इसी तरह लेखन कर्म मे सक्रिय रहो ।
ऐसे ही लोगों का स्नेह और ख्याति पाते रहिये..
शुभकामनाएँ...
:-)
http://mauryareena.blogspot.in/2014/01/mamta-ki-chhanv.html
वाह ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .
कृ्प्या विसिट करें : http://swapniljewels.blogspot.in/2014/01/blog-post_5.html
http://swapniljewels.blogspot.in/2013/12/blog-post.html
badhai .....anpol pal jivan ke dharohar hote hain ...
बहुत बहुत बधाई..इसी तरह आगे बढती जाए..शुभकामनाएं
shubhkamnye.........aapki uplabdhiya lagatar badhti rahe............
AAP BAHUT ACHCHAA LIKHTI HAIN.MANO EK EK SHABD MUN KEE GAHRAION SE AA RAHAA HAI.
वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
great moment with nice brain
vaah,harday sparshi.dhanyvaad.shubhkaamnaaye
beautiful
pls do come at my new post at
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2014/01/blog-post.html
वाह जी वाह
हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
यादगार पल साझा करने के लिए बधाई तो बनता है..
बहुत बधाई आपको अंजु...प्रोत्साहन हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है...शुभकामनाएँ !!
वाह !! ढेरों बधाई...... ऐसे ही आगे बढ़ो :)
आप सबका आभार व्यक्त करती हूँ ....आप सब ने मेरी पोस्ट को....ब्लॉग,फेसबुक और गूगल + पर पसंद किया .......शुक्रिया आप सब मित्रों का
आप सबका आभार व्यक्त करती हूँ ....आप सब ने मेरी पोस्ट को....ब्लॉग,फेसबुक और गूगल + पर पसंद किया .......शुक्रिया आप सब मित्रों का
anu ji aapko apne blog par dekhkar khushi hui ,aap jitni sundar hai utna hi sundar likhti bhi hai ,nav varsh ki dhero badhaiyaan aapko .
बहुत सुन्दर रचना
दिन दूनी रात चौगनी तरक्की की सीडियां चढ़ती रहें आप ... मेरी शुभकामनायें हैं ...
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