Sunday, February 2, 2014

आह! जिंदगी ....खुशी का वो पल




अहा!जिंदगी 

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Photo...........पेज 58...

 
सृजन के विविध आयाम ............उम्दा पुस्तकों से गुजरने का एहसास ही अलहदा है | यूं देखने में तो पुस्तकें निर्जीव लगती हैं,लेकिन अगर उसकी अंतरात्मा को हम समझ पाएं तो वह हमारे लिए जीवन से कहीं  बढ़कर साबित होती हैं|इस बार आपके लिए कुछ ऐसी पुस्तकों का संकलन किया गया है, जो मनोरंजन के साथ-साथ चिंतन करने पर भी मजबूर कर देंगी |......'अहा! जिंदगी '' के फरवरी अंक में ''गुलमोहर'' को भी इसी श्रेणी में शामिल किया गया है ||



31 जनवरी को ''अहा! जिंदगी'' का फरवरी अंक (प्रेम और मैत्री )मेरे हाथ में था ओर उस वक़्त मैं परिवार के साथ अमृतसर जाने के लिए घर से निकाल रही थी इसी लिए इस पत्रिका को  ऐसे ही हाथ में पकड़ कर मैंने अपने घर से विदा ली |ट्रेन में किसी भी किताब को पढ़ने का अपना एक अलग ही मज़ा है ...इस लिए इसे पन्ने दर पन्ने पढ़ते हुए ...यकायक पेज़ 58 पर नज़र पड़ते ही मैं खुशी से उछल पड़ी और साथ बैठे अपने पति (महेंद्र जी ) की बाजू को लगभग मैंने ज़ोर से झंझोर  दिया और कहा ये देखो ....मेरी ''गुलमोहर'' की न्यूज़ इस में आई है ....मेरी आवाज़ इतनी ज़ोर से तो थी की मेरी बाजू वाली सीट और आगे की सीट वालों ने मुझे मुड़ कर देखा ....एक बार तो मैं झेंप गयी पर सबकी परवाह किए बिना मैंने ''अहा! जिंदगी'' इनके हाथ में पकड़ा दी और सीधा मुकेश कुमार सिन्हा (मेरे साथ इस पुस्तक के संपादक)को फोन लगा दिया और उन्हे भी ये अंक पढ़ने को कहा .......
कितना सुखद पल था ....इस का मैं अब यहाँ लिखा कर शब्दो में बयान भी नहीं कर सकती .....बस इतना ही कहूँगी कि....सच का दामन थाम कर चली थी, भले ही मंज़िल दूर और बहुत कठिन रही पर कुछ अच्छे लोगो के साथ ने मेरे सफर को यादगार बना दिया |

मुकेश और मैं संपादक होने के नाते मैं अपने मन की खुशी आप सबके साथ यहाँ सांझा कर रही हूँ और आभार करना चाहती हूँ उन तमाम दोस्तों का जिनकी वजह से मैं आज इस मुकाम पर हूँ और उन आलोचक दोस्तों का भी जिनकी वजह से मैं दिल ही दिल में अपने आप को ओर भी मजबूत करती चली गई ....खुद को साबित करने की ज़िद्द ने मुझे बहुत से लोगों की नज़रो में जरूर घमंडी बना दिया पर मेरे अंदर से सच को सिर्फ मेरे कुछ बहुत करीबी दोस्त ही जानते हैं |

गुलमोहर ....कस्तूरी .....पगडंडियाँ और अरुणिमा के हर प्रतिभागी को दिल से आभार जो मेरे इस सफर के साथी बने और आने वाले वक़्त के लिए भी ये वादा है कि जिस मंच को नए साथियों को देने का वादा किया था वो मंच यूं ही अपना काम करता रहेगा |
 

17 comments:

Mahesh Barmate "Maahi" said...

बहुत बहुत बधाई हो अनु जी :)

Ranjana verma said...

बहुत ख़ुशी हुई और आपको बहुत बहुत बधाई.....

Ranjana verma said...

बहुत ख़ुशी हुई और आपको बहुत बहुत बधाई.....

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्दर....बधाई हो अनु जी !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (03-02-2014) को "तत्काल चर्चा-आपके लिए" (चर्चा मंच-1512) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बहुत बधाई ..... ये सफ़र निरंतर चलता रहे ....

दिगम्बर नासवा said...

नए नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं ... बहुत बहुत बधाई ...

वाणी गीत said...

अभी ही मिला अहा ! जिंदगी का अंक …
उत्कृष्ट पत्रिका में छपना प्रशंसनीय है।
बहुत शुभकामनायें !

सुशील कुमार जोशी said...

और आगे और आगे बढ़ते चलिये शुभकामनाऐं !

Anita said...

बहुत बहुत बधाई !

ताऊ रामपुरिया said...

हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं.

रामराम.

Satish Saxena said...

बधाई अनु !!

Ankur Jain said...

बहुत बहुत बधाई...
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाए...!अनु जी..

RECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाए...अनु जी...

RECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है

Ankur Jain said...

वाह..बहुत बहुत बधाई आपको...

Unknown said...

उत्कृष्ट पत्रिका में छपना प्रशंसनीय है।
बहुत शुभकामनायें !