
होली है .........होली है .......आयो खेले होली मिल के
दिल से दिल तक है ये सफ़र
इस बार ...
फागुन कुछ बहका बहका है
मन भी कुछ महका महका है
ले रंगों के बोछार...उडे लाल लाल गुलाल..
भरे प्यार की पिचकारी ...
भीगे जिससे हर सखी प्यारी सारी....
सखा संग भी ..खेले अपनेपन की होली ..
डाले ...रंगों के साथ ..कुछ अपने होने का एहसास ..
हर आँगन में एक हीं धुन है
हर चेहरे पे एक हीं बात
कल जो होगा देखेंगे फिर...
अभी तो संग मिला है ....
आओ मिलकर रंग डालें सब.....
एक हीं रंग हो भेद ना हो कुछ
तुम भी लाल ... हम भी लाल..
भंग का रंग भी इस्स्में डालें
कर डालें दुनिया हीं लाल...
मुझे ना हो सुध तुम्हें ना हो सुध
आयो खेले होली मिल के ..........लालो लाल ........
होली है .........होली है .......
(....कृति ...अनु ......)