अजन्मी बच्ची की पुकार .........
माये ..क्यों तू ही मेरी दुश्मन बनी
क्यों तू खुद को ही मारने चली ...
किया तुने एक घर को रोशन
एक बंश बेल को बढने दिया ...
फिर क्यों ????????
तूने मानी सब की बात
क्यों नहीं सुनी अपने दिल की आवाज़
ओह माँ ......ओह माँ
क्यों तूने जन्म से पहले मेरी बलि देदी ??????
(.....कृति....अनु......)
7 comments:
भ्रूण्हत्या पर आप की अभिव्यक्ति निश्चित रूप से भाव प्रधान है.
ऐसा नहीं होना चाहिए, फिर क्यों होता है ?
इस पर आत्म अवलोकन की आवश्यकता है
- विजय
कहते है न् .. स्त्री ही स्त्री की दुश्मन .. जब तक स्त्री अपना महत्व नहीं समझेगी , नहीं जानेगी यह होता रहेंगा ...
I am very much proud that I have a Daughter....
sundar abhivakti....preeti ji ki baat sahi he aur stri ko apne astitv ke liye khud hi jagrut hona padega....
आपके द्वारा अजन्मी बिटिया के लिए लिखी गयी ये छोटी कविता बड़ी अर्थवान और दिल को छोने बाली है.
bahut hi achchhi rachna....
I’m sorry I can’t tell you what
I’m sure you’d rather hear,
But there’s a burden in my heart
I can no longer bear.
सच यार आज कल हर जगहे यही हो रा है....बड़ा दिल दुखता है....
क्या लिखती हो यार....सीधा दिल में लगता है...ओरत ही ओरत की दुश्मन बनी बैठी है..
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