Thursday, May 13, 2010


मासूम सी अदा

हर शाम चले जाते हो कल का वादा करके
लेकिन तुम बिन कैसे रात गुजार पाएंगे
जाने क्या कहते है वो इन दो निगाहों से
ऐसा लगे जैसे मोहब्बत का पैगाम
सुना कर चले जाते है हमको
मासूम सी अदा ....ख़ामोशी तेरी मुझ से कुछ कहती सी है
आयो साथ चले .....साथ तेरा ...ये एहसास करवाए की तू साथ है मेरे
दूर हो ..पर ऐसा लगे की हर आवाज़ पे ..मेरे ही साथ हो
वफ़ा के सारे वादे निभा गए
आये हो तुम मेरी जिंदगी में
जिंदगी में समां गए हो
हमने जिसको भी छुया..
वो गम दे गया है जिंदगी में
तनहा छोड़ के मुझको
सब चले गए चुपचाप से
जब से हुई है तुम से मुलाकात मेरी
क्यों ऐसा लगे की अब तुम मेरी ही
आरजूयो और दुआयो का नतीजा हो ...........

((......अंजु चौधरी ...(अनु..)

No comments: