Thursday, April 21, 2011


कहते हैं राधा ब्याहता थीं ... फिर कृष्ण प्रेम , कृष्ण से पूर्व उनका नाम कसौटी पर खरा है ?
मीरा ने भी माँ के द्वारा कृष्ण को पति माना पर विवाह किसी और से हुआ ... पर वे कृष्ण दीवानी रहीं
व्याख्या करें ................रश्मि जी द्वारा पूछा गया प्रश्न ....और
ये मेरा उत्तर .............

प्यार का मार्ग बड़ा ही आकर्षण और चकाचौंध वाला होता है .....इस प्यार की भाषा और परिभाषा एक दम अलग और हट के है...तू ही सगा ...तू ही प्यारा ...इस जग में नहीं कोई तुझ से न्यारा ..पर इसके लिए अपनी अटूट निष्ठां ...श्रद्धा और अपनी तमाम वफादारी देनी पड़ती है .............प्यार ना देखे कोई जात पात ..ना देखे कोई रंग रूप ..जिसे ये मिला है अद्भुत स्वरुप ..वही है इस प्यार से फलीभूत |
प्यार शब्द खुद में अधूरा ...पर जिसने टूट के प्यार किया...उसे इस संसार ने याद भी किया और अपनी यादो में स्थान भी दिया
प्यार मीरा और राधा का ......जो बन के विश्वास आज भी इस जग में मौजूद है
राधा और कृष्ण की पहली मुलाकात ....और ब्याहता राधा हमेशा के लिए उस कृष्ण की हो कर रह गई ....उसकी पूजा ..उसका अटूट विश्वास कृष्ण के प्रति और ना भूल पाने के इच्छा शक्ति के आगे ..कृष्ण भी छोटे नज़र आते है ...कृष्ण की पत्नी ना होते हुए भी राधा का नाम आज संसार में कृष्ण से पहले प्यार और इज्ज़त से लिया जाता है ...प्यार का स्वरूप कैसा हो .......''राधा कृष्ण'' जैसा सबसे पहले ये ही जुबां से निकलता है |राधा को कृष्ण से जितना मिला ..जो मिला उसी को अपना मान उसने अपनी पूरी जिंदगी ...उस कृष्ण के प्यार के नाम कर दी .....रोग ..भोग ..शोक ..भय ....चिंता ...और क्रोध सब कुछ छोड़ कृष्णमय हो गई ..राधा प्यारी
मीरा और राधा दोनों का प्यार ....उनकी अपनी जिंदगियो से हट कर था ..जहाँ राधा ब्याहता थी....वही मीरा बचपन से ही माँ के कहने भर से कृष्ण को अपना पति मानती आई थी .......बड़े होने पर मीरा की शादी की गई पर वो राणा जी की ना हो पाई .......वो अपने प्यार में आखंड डूब चुकी थी ....प्यार जो वासना रहित था ......कोई काम नहीं ...ना मिलने की आशा .....इनका चितस्वरूपी सरोवर कभी गन्दा नहीं हुआ ....मन और तन दोनों से ये पवित्र ...सिर्फ और सिर्फ अपने प्यार में डूबी रही ....मनन किया ..मन से अपने प्यार का चिंतन किया | राधा और मीरा के मन के भावो को समझते हुए अपनी व्याख्या मै इन शब्दों से समाप्त करती हूँ कि... हे कृष्ण .....अदभुत है प्यार तुम्हारा ....अदभुत है साथ तुम्हारा जो राधा और मीरा को कर गया तुम्हारा ....इस जग में प्यार की मूरत बन गई वो दोनों |पवित्र गंगा ...गीता के सार जैसा बसा है प्यार तुम्हार उनके हृदय में ...जिसको हमारा शत शत नमन |

(अंजु....(अनु)

9 comments:

DR. ANWER JAMAL said...
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DR. ANWER JAMAL said...

श्री कृष्ण जी के बारे में ही नहीं बल्कि हरेक महापुरुष के बारे में बहुत सी ऐसी बातें मशहूर कर दी गयीं जो कि सच नहीं हैं. राधा का सम्बन्ध श्री कृष्ण जी से जोड़ना भी एक ऐसा ही काम है. इस बहाने पंडों ने रासलीलाएँ रचायीं और आज तक रचा रहे हैं और यह सब काम वे कर रहे हैं महात्मा श्री कृष्ण जी के नाम पर, धर्म के नाम पर. धर्म तो रोकता है पर स्त्री को ताकने और छूने से भी . तब महात्मा श्री कृष्ण जी ऐसा कैसे कर सकते थे ?
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/04/raavan.html

Anonymous said...

Gazab anu G

मुकेश कुमार सिन्हा said...

hmm!! kya kahun, dil kahta hai jo bhi kara hoga bhagwan krishna aur unse jude radha ya meera ya gopiyon ne wo naitik roop se sahi hi hoga...par dimag kahta hai...ye kaisa charitra....jo aaj hamare liye galat hai to unke liye kaise sahi tha....
mana ki pyar pyar hota hai...aur agar vasna se upar ho to usko puja ke shreni me rakha jata hai...lekin isko sahi samajhna...ya sahi sabit karna, sabdo ke jaal ke sahare...mere samajh se pare hain..!!

waisa jahan tak lekh ka sawal hai...ek adbhut lekh..dil se likha gaya hai:)

niru said...

अनु यार ये तो मैं नहीं जानती की मीरा और राधा के प्यार को क्या नाम दूँ..पर हाँ ये ज़रूर मानती हूँ की प्यार वही अमर हुआ है जो पूरा नहीं हुआ...जैसे राधा कृषण,,,मीरा कृष्ण ...हीर रांझा ...सोनी महिवाल...लैला मजनू ...ऐसे कई नाम हैं जो अमर हुए हैं...क्यूंकि इनका प्यार पूरा नहीं हुआ...अगर इन सबको इनका प्यार मील जाता तो शायद ये लोग अमर नहीं होते...ऐसा मुझे लगता है..मैं गलत भी हो सकती हूँ....अब रुकमनी और कृष्ण के नाम को ही देख लो.. [:)[
वैसे प्यार का एहसास बहुत खुबसूरत है...जब तक इसका एहसास ख़ुद आपके तन मन में है तो आपके अन्दर पागल पन है...जिस दिन आपके अन्दर ये एहसास ख़तम हुए समझो प्यार मौत की कगार पर है....राधा कृष्ण के प्यार को देखा नहीं सिर्फ सुना है..इसलिए उनके लिए कुछ कहना इसलिए भी सही नहीं होगा क्यूंकि हम उन्हें पूजते हैं...पर इंसानी प्यार के लिए मैं कहना चाहूंगी की मुझे ऐसा लगता है की आपका प्यार आपको मीले या ना मीले इसकी मौत निश्चित है....मतलब एहसास मरते भी हैं ...और फीर से कभी भी जी उठते हैं....
प्यार कभी भी ..कहीं भी ...किसी से भी ..किसी भी उम्र में हो सकता है...और जब कभी भी ये एहसास आपके अन्दर आते हैं तो जिन्दगी खुबसूरत ही लगती है..

niru said...

एक बात और कहना चाहूंगी...प्यार में आकर्षण का होना जरूरी है...और जब कोई चीज़ आपको मील जाती है तो कुछ टाइम बाद उसका आकर्षण ख़तम होने लगता है...और जब कोई चीज़ बहुत टाइम तक नहीं मिलती,, नहीं दिखती तो भी आकर्षण ख़तम होने लगता है...शयद यही वझे है प्यार और रिश्ते टूटने लगते हैं...और नए रिश्ते बनने की...

संजय भास्‍कर said...

प्यार में आकर्षण का होना जरूरी है

pawan arora said...

sach kaha aapne anju ji payar ibaadat hai khuda ki aur jindgi ki saanse ..par aapka jawaab lajwaab hai

Anonymous said...

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