इश्क चला है हुस्न से मिलने.........
चांदनी रात के साये में
चाँद की भीगी चांदनी में
इश्क बोला हुस्न से
ले कर हाथो में हाथ चलो
यूँ ही चलते चलते
उम्र भर साथ चलो
मेरी आस से बंधी है
आशा की डोर और
उमंगो की पतंग
रात की शीतलता में
डूब जायेगे हम तुझ संग
एहसास की नगरी में
लिए यूँ ही शर्मीली मुस्कान
तुम चलो मेरे द्वार..
संग लिए फूलों का हार चलो ..............
चांदनी रात के साये में ............
बढते चले जाएगें
उभरते चले जाएगें
ये मन गा रहा है
प्रेम गीत ...वो यूँ ही
गाते चले जाएगें
क्यों हम डोलने लगे है
आशा और अभिलाषा
की बोली में
हम तो यूँ ही
गलबहियां डाले मिलेगे
अपनी ही नई नई
देहलीज़ पर
खुशियों का एक
आशियाना बनायेगे
चाँद की ज़मी पर
डूब जायेगे हम ...
धड़कने खलेंगी हमारी ..
जुबा चुप हो जाएगी
दिल का राग सुनेगे हम
नयनो की भाषा की
होगी जीत
जो भरेगी हमारी
ख़ामोशी में भी संगीत
मै सितारों से तेरी
मांग भरूँगा
दूंगा हुकुम चाँद को
कि नाम बदल
ले वो अपना
ये खामोश निगाहें
इशारो से तुझे बुलाएंगी
अंजुमन महक उठेगा अपना
जब ..
इश्क चलेगा अपने हुस्न से मिलने
चांदनी रात के साये में ........
(अनु..)
चांदनी रात के साये में
चाँद की भीगी चांदनी में
इश्क बोला हुस्न से
ले कर हाथो में हाथ चलो
यूँ ही चलते चलते
उम्र भर साथ चलो
मेरी आस से बंधी है
आशा की डोर और
उमंगो की पतंग
रात की शीतलता में
डूब जायेगे हम तुझ संग
एहसास की नगरी में
लिए यूँ ही शर्मीली मुस्कान
तुम चलो मेरे द्वार..
संग लिए फूलों का हार चलो ..............
चांदनी रात के साये में ............
बढते चले जाएगें
उभरते चले जाएगें
ये मन गा रहा है
प्रेम गीत ...वो यूँ ही
गाते चले जाएगें
क्यों हम डोलने लगे है
आशा और अभिलाषा
की बोली में
हम तो यूँ ही
गलबहियां डाले मिलेगे
अपनी ही नई नई
देहलीज़ पर
खुशियों का एक
आशियाना बनायेगे
चाँद की ज़मी पर
डूब जायेगे हम ...
धड़कने खलेंगी हमारी ..
जुबा चुप हो जाएगी
दिल का राग सुनेगे हम
नयनो की भाषा की
होगी जीत
जो भरेगी हमारी
ख़ामोशी में भी संगीत
मै सितारों से तेरी
मांग भरूँगा
दूंगा हुकुम चाँद को
कि नाम बदल
ले वो अपना
ये खामोश निगाहें
इशारो से तुझे बुलाएंगी
अंजुमन महक उठेगा अपना
जब ..
इश्क चलेगा अपने हुस्न से मिलने
चांदनी रात के साये में ........
(अनु..)
51 comments:
बहुत खूबसूरत कल्पना ..
लाजवाब है एक एक शब्द.
सादर
बहुत खूबसूरत कविता हैँ ।
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। आभार अनु दी ।
दूंगा हुकुम चाँद को
कि नाम बदल
ले वो अपना
ये खामोश निगाहें
इशारो से तुझे बुलाएंगी
अंजुमन महक उठेगा अपना
जब ..
इश्क चलेगा अपने हुस्न से मिलने
चांदनी रात के साये में ........
sunder pyari soch
rachana
यूसुफ़ का जज़्बे इश्क ,ज़ुलेखा का जज़्बे हुस्न
कि आना पड़ा पलट के दोबारा शबाब को ।
wah anu ji accha hai
बहुत सुन्दर रचना!
किसी शायर ने कहा है,
हर रात ने वादा किया था साथ निभाने का |
और सुबह होने तक रंग बदल दिया ||
वाह वाह भाभी वाह- प्रवीण आर्य
bahut sundar bhaav...
dhanyawad
ishq aur husn ka milan hamesha swargik hota hai... anupam bhaw
धड़कने खलेंगी हमारी ..
जुबा चुप हो जाएगी
दिल का राग सुनेगे हम
नयनो की भाषा की
होगी जीत
जो भरेगी हमारी
ख़ामोशी में भी संगीत
और
ये खामोश निगाहें
इशारो से तुझे बुलाएंगी
अनु जी बहुत ही सुन्दर रचना हे सच कहू तो इस रचना के लिये मेरे पास शब्द नहीं हे
आप का बहुत बहुत धन्यवाद इतनी सुन्दर रचना लिखने के लिये
धड़कने खलेंगी हमारी ..
जुबा चुप हो जाएगी
दिल का राग सुनेगे हम
नयनो की भाषा की
होगी जीत
जो भरेगी हमारी
ख़ामोशी में भी संगीत
और
ये खामोश निगाहें
इशारो से तुझे बुलाएंगी
अनु जी बहुत ही सुन्दर रचना हे सच कहू तो इस रचना के लिये मेरे पास शब्द नहीं हे
आप का बहुत बहुत धन्यवाद इतनी सुन्दर रचना लिखने के लिये
खूबसूरत जज्बात
बहुत ख़ूबसूरत और शानदार कविता है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!
इश्क चलेगा अपने हुस्न से मिलने
चांदनी रात के साये में ........
अनु जी,
क्या खूबसूरत रचना लिखि है आपने!
बहुत खूबसूरत रचना...
I'll say
Mazza aa gaya !!!!
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (13-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
Prem ko jis khoobsurti ke sath apne ish kavita ke jariye abhivyakt kiya hai..wo prasansniye hai..
aasha karta hu ki aapki dil ke taro ko chhuti hue rachnaye hame aage bhi padhne ko milegiii
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच[12-6-11]
वाह! लाजवाब अभिव्यक्ति भावनाओ की।
आभार
वाह इतना खूबसूरत और इतना रोमांटिक , बहुत ही सुंदर रचना जी । शुभकामनाएं
बेहद खूबसूरत एहसास .सुन्दर रचना.
अनु ,तुम्हारी कविता बहुत ही सुन्दर है .कोमल भावनाओं से सजी यह रचना श्रृंगारिक कवियों कि रचनाओं की याद दिलाती है.भाव पक्ष बहुत ही प्रभावशाली बन पड़ा है.
रुमानियत को अपने में समेटे खूबसूरत रचना
आप सब का मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया
संगीता स्वरुप ( गीत ) जी .......वंदना जी .....और दिलबाग जी आप तीनो का भी बहुत बहुत शुक्रिया मेरे चयन के लिए
behad hansin kalpana.....sunder rachna...
क्या बात है..... ,बड्डे जिगरा दी गल है . इन्ना सोणा अहसास .
शुक्रिया जी ../
ख़ूबसूरत रचना
हुस्न और इश्क के बीच द्वन्द तो सदियों पुराना है... इस द्वन्द को नए सन्दर्भ में नए अंदाज़ में प्रस्तुत किया है अनु जी आपने... कविता बेहद रोमांटिक है और नदी सा प्रवाह है इसमें... एक खूबसूरत नज़्म के लिए आपको शुभकामना...
हुस्न और इश्क .. दोनो का साथ चोली दामन का है .... बहुत खूबसूरत शब्दों में उतारा है ...
अति सुन्दर कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति ।
सुधा भार्गव
भावमय करती शब्द रचना ।
खूबसूरत रचना
बहुत खूबसूरत नज्म
सुन्दर रचना और बहुत उम्दा भाव!!
सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद!
बिलकुल सही कहा, एक के बगैर दुसरे की कल्पना नहीं की जा सकती है .
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क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?
बाबा का अनशन टुटा !
सुँदर भाव प्रवण अभिव्यक्ति.
बहुत सुंदर .......
रूमानी जज्बों की शानदार प्रस्तुति।
---------
ये शानदार मौका...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...
रूमानी जज्बों की शानदार प्रस्तुति।
---------
ये शानदार मौका...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...
धड़कने खलेंगी हमारी ..
जुबा चुप हो जाएगी
दिल का राग सुनेगे हम
नयनो की भाषा की
होगी जीत
जो भरेगी हमारी
ख़ामोशी में भी संगीतबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
यह कविता भी अच्छी बन पड़ी है.बहुत बोलती तस्वीर है
बहुत सुंदर... क्या बात है
मेरे ब्लॉग पर आने वाले हर दोस्त का दिल से शुर्किया ....मेरी कविता को पढने और उसकी तारीफ़ ले किये
इश्क चलेगा अपने हुस्न से मिलने
चांदनी रात के साये में ........
बहुत खूब.
ek ek shabd, dil me apni jagah bna gya......bot badiya.....its one of ur bestst poem chachi !
keep up the gud work.
सुन्दर तस्वीर के साथ बेहतरीन रचना.
इश्क चलेगा अपने हुस्न से मिलने
चांदनी रात के साये में ........बहुत सुंदर.
chandni raat ho apne ka saath ho ye sab kitna achchha lagta hai anu ji.
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