Sunday, November 6, 2011

एक प्यास मेरी भी


एक प्यास मेरी भी

रोज़ सुलगती इन आगों में ,एक आग मेरी भी है
रोज़ दहकती इन रातों में ,एक रात मेरी भी है||

रोज़ पीड़ित मन की आहों में ,एक आह मेरी भी है
रोज़ सागर के चक्रवातो में ,एक मंथन मेरा भी है ||

रोज़ महकती इन सांसों में ,एक सांस मेरी भी है
रोज़ मचलती इन रातों में ,एक रात मेरी भी है||

रोज़ थिरकती इन गुंजों में ,एक गूंज मेरी भी है
रोज़ चहकती इन बातों में ,एक बात मेरी भी है||

रोज़ छलकती इन बूंदों में ,एक बूंद मेरी भी है
रोज़ तड़पती इन प्यासों में ,एक प्यास मेरी भी है ||
अनु

38 comments:

inqlaab.com said...

bahut sundare

अरुण चन्द्र रॉय said...

खूबसूरत कविता... प्यास के कई आयाम देखने को मिले...

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति !!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
देवोत्थान पर्व की शुभकामनाएँ!

रश्मि प्रभा... said...

tabhi to hone ka ehsaas hai...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत प्यारी सुंदर रचना अच्छी पोस्ट ...
मै आपका फालोवर बन गया हूँ...
मेरा नए पोस्ट में स्वागत है...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरती से लिखे एहसास

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।

poonam said...

bahut sunder..

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

क्या बात है.... वाह!!
सादर...

vandana gupta said...

बहुत खूबसूरत अहसास्।

Fatan said...

ADBHUT BHAV JO SHABDON SE UPPAR HAI...........

SAJAN.AAWARA said...

mam bahut hi badhiya likha hai.....
ed mubarak...
jai hind jai bharat

रचना दीक्षित said...

बहुत ही अच्छी भावमयी रचना. जीवन की प्यास यूँ ही चलती रहे.

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत खूबसूरत रचना,आभार.

मेरा मन पंछी सा said...

bahut hi sundar prastuti hai..

ASHOK BAJAJ said...

बहुत सुंदर भाव !

दीपक बाबा said...

सुंदर रचना...

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम की सहज अभिव्यक्ति ... सुन्दर रचना है ... बहुत ही उम्दा ...

चंदन said...

रोज तडपती इन प्यासों में एक प्यास मेरी भी है|
बहुत हि सुन्दर शब्द संयोजन !

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात है,बहुत सुंदर रचना।


रोज महकती इन सांसो में, एक सांस मेरी भी है।
रोज मचलती इन रातों में, एक रात मेरी भी है।।

Maheshwari kaneri said...

खुबसूरत और सहज अभिव्यक्ति...

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही खूबसूरत ।

सादर

amrendra "amar" said...

बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!

अभिषेक मिश्र said...

प्यास को कविता के माध्यम से बखूबी उकेरा है आपने.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

ye pyaas barqaraar rahey bass!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

haan roj bahut saaari kavitayen dikhti hai
ek pyari see kavita unme se tumhari bhi:):):)

Rajiv said...

Ye "aag" hi to jeevan ko urja pradan kar rahee hai,Anu.

man na vicharo said...

रोज़ पीड़ित मन की आहों में ,एक आह मेरी भी है
रोज़ सागर के चक्रवातो में ,एक मंथन मेरा भी है ||

ye panktiya bahut hi badhiya hai annu...bahut achchi hai puri kavita,

Anupama Tripathi said...

सभी भाव है यहाँ ....और उनको ढूँढता अपना कोना .....
सुंदर अभिव्यक्ति.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 10- 11 - 2011 को यहाँ भी है

...नयी पुरानी हलचल में आज ...शीर्षक विहीन पोस्ट्स ..हलचल हुई क्या ???/

अनुपमा पाठक said...

रोज महकती इन सांसो में, एक सांस मेरी भी है।
सुंदर!

कविता रावत said...

esi se jiwan kee sarthakta hai....
bahut sundar gajal..

Vichar Kranti said...

ji bahut hi aachi kavita

aap ki to baat hi alag he ANJU ji ! aap to aap he

No word For You

Urmi said...

ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/

संजय भास्‍कर said...

गहरे जज्बातों को शब्द दे देती हैं आप .... बहुत लाजवाब

आजकल कुछ निजी व्यस्तताओं के कारन ब्लॉग जगत में पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा हूँ जिसका मुझे खेद है,

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Mahesh Barmate "Maahi" said...

बहुत सुंदर अंजु जी ...

देरी से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...