एक प्यास मेरी भी
एक प्यास मेरी भी
रोज़ सुलगती इन आगों में ,एक आग मेरी भी है
रोज़ दहकती इन रातों में ,एक रात मेरी भी है||
रोज़ पीड़ित मन की आहों में ,एक आह मेरी भी है
रोज़ सागर के चक्रवातो में ,एक मंथन मेरा भी है ||
रोज़ महकती इन सांसों में ,एक सांस मेरी भी है
रोज़ मचलती इन रातों में ,एक रात मेरी भी है||
रोज़ थिरकती इन गुंजों में ,एक गूंज मेरी भी है
रोज़ चहकती इन बातों में ,एक बात मेरी भी है||
रोज़ छलकती इन बूंदों में ,एक बूंद मेरी भी है
रोज़ तड़पती इन प्यासों में ,एक प्यास मेरी भी है ||
अनु
38 comments:
bahut sundare
खूबसूरत कविता... प्यास के कई आयाम देखने को मिले...
बहुत अच्छी प्रस्तुति !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
देवोत्थान पर्व की शुभकामनाएँ!
tabhi to hone ka ehsaas hai...
बहुत प्यारी सुंदर रचना अच्छी पोस्ट ...
मै आपका फालोवर बन गया हूँ...
मेरा नए पोस्ट में स्वागत है...
खूबसूरती से लिखे एहसास
बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।
bahut sunder..
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
क्या बात है.... वाह!!
सादर...
बहुत खूबसूरत अहसास्।
ADBHUT BHAV JO SHABDON SE UPPAR HAI...........
mam bahut hi badhiya likha hai.....
ed mubarak...
jai hind jai bharat
बहुत ही अच्छी भावमयी रचना. जीवन की प्यास यूँ ही चलती रहे.
बहुत खूबसूरत रचना,आभार.
bahut hi sundar prastuti hai..
बहुत सुंदर भाव !
सुंदर रचना...
प्रेम की सहज अभिव्यक्ति ... सुन्दर रचना है ... बहुत ही उम्दा ...
रोज तडपती इन प्यासों में एक प्यास मेरी भी है|
बहुत हि सुन्दर शब्द संयोजन !
क्या बात है,बहुत सुंदर रचना।
रोज महकती इन सांसो में, एक सांस मेरी भी है।
रोज मचलती इन रातों में, एक रात मेरी भी है।।
खुबसूरत और सहज अभिव्यक्ति...
बहुत ही खूबसूरत ।
सादर
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
प्यास को कविता के माध्यम से बखूबी उकेरा है आपने.
ye pyaas barqaraar rahey bass!
haan roj bahut saaari kavitayen dikhti hai
ek pyari see kavita unme se tumhari bhi:):):)
Ye "aag" hi to jeevan ko urja pradan kar rahee hai,Anu.
रोज़ पीड़ित मन की आहों में ,एक आह मेरी भी है
रोज़ सागर के चक्रवातो में ,एक मंथन मेरा भी है ||
ye panktiya bahut hi badhiya hai annu...bahut achchi hai puri kavita,
सभी भाव है यहाँ ....और उनको ढूँढता अपना कोना .....
सुंदर अभिव्यक्ति.....
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 10- 11 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज ...शीर्षक विहीन पोस्ट्स ..हलचल हुई क्या ???/
रोज महकती इन सांसो में, एक सांस मेरी भी है।
सुंदर!
esi se jiwan kee sarthakta hai....
bahut sundar gajal..
ji bahut hi aachi kavita
aap ki to baat hi alag he ANJU ji ! aap to aap he
No word For You
ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
गहरे जज्बातों को शब्द दे देती हैं आप .... बहुत लाजवाब
आजकल कुछ निजी व्यस्तताओं के कारन ब्लॉग जगत में पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा हूँ जिसका मुझे खेद है,
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुंदर अंजु जी ...
देरी से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...
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