घाव
राहें-राहें आग बिछी हैं
झुलसी-झुलसी हैं
सब छायाएं
हर चौराहा धुआँ-धुआँ हैं ,
घर तक हम कैसे जाएं
कब तक खाली-खाली सी
अपनी इस बेज़ार ,जिंदगी को देखूं ?
****************
आज फिर मौसम ने छेड़ा हैं
सपनीले मन को
छू कर जगाया हैं ,सोए यौवन को
सदियों से प्यासा हैं ,
मेरा ये मन उपवन |
फिर लय इस जीवन की ,
कब अपनी होगी
विश्वास जो सोया हैं ,ना जाने कब उसे
सही राह मिलेगी
एक बूंद मेरे सागर की ,
कब मुझ से आ कर मिलेगी ?
*******************
मेरी ही बहारों ने ,
मुझे को तो दीवाना सा ,बना दिया
मैं तो सो ही गया था ,
अपनी ही अंधियारे में चुप,हो कर
पर इन तारों ने ,मुझे अपनी जिंदगी देकर
जगा दिया ......
खुद टूट कर ,
मुझे जिंदगी में सब कुछ देना
सीखा दिया ,
खुद को बहलाने के लिए ...
लिखता हूँ ....हाले-ए--दिल अपना ,
इन्होने मुझे ...
गीतों का ..गुंजा बनाना सिखला दिया
हां...कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
अनु ...
39 comments:
samay ke saath sabhi ghav bhar jaate hai ...........bahut achchi rachna
घाव पर मरहम लगाना होगा प्रेम से सहलाना होगा।
.कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
par kuchh ghaw ko agar na sahlao, na dawa do, to nasoor bhi ban jata hai...:)
.
tum tumhara man aur bhaw...aur uske shabd... sab khubsurat;0
कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
बस इतना ही काफी था .......मुकम्मल है बात इन पंक्तियों में ......आपके भाव अच्छे है ...लफ़्ज़ों को फिजूल में खर्च ना किया कीजिये .....बहुत कीमती होते है लफ़्ज़ जैसे कीमती होता है हमारा एहसास ....
फिर लय इस जीवन की ,
कब अपनी होगी
विश्वास जो सोया हैं ,ना जाने कब उसे
सही राह मिलेगी
एक बूंद मेरे सागर की ,
कब मुझ से आ कर मिलेगी ?...chhu rahi hain lahren ...
bahut hi achhe bhaw hain
वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
बहुत सुंदर अंजु जी.....................
हां...कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
सस्नेह.
अनु
कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
ummed pe duniya kayam hai..aur ummed puri na ho to hum to jite hi the..na.. bhagvan ne hame bahut sahan shilta di hai annu.. par badi achchi rachna..padh ke aisa laga jaise tumne nahi likhi ye to mera dil bol raha hai.. badhiya..
हां...कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ...
कुछ लोग तो घाव खुला रखते हैं कभी न भरने के लिए ... जिसमें उनकी यादें रिसती रहें ...
समय घाव भर देता है......खुबसूरत रचना...
क्या कहने,
बहुत सुंदर
वाह ...
आनंद आ गया इस सुंदर गीत में ....
राहें-राहें आग बिछी हैं ,
झुलसी-झुलसी हैं छायाएं !
हर चौराहा धुआँ-धुआँ हैं ,
घरतक हम,अब कैसे जाएं !
कब से खाली खाली लगती,
प्यास न बुझे जिंदगी की !
आज हमें मौसम ने छेड़ा
फिर से सपनीले मन को
किसने फिर से छेड़ दिया है
मेरे सोये, यौवन को !
सदियों सदियों देर हुई है ,
प्यास न बुझती योवन की !
बहुत खूब
वक़्त खुद ही मरहम का काम कर देता है .... सुंदर अभिव्यक्ति
सुंदर विचारणीय भाव....
हां...कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
ये पंक्तिय जादू कर देती है और अपना सा बना लेती है . बधाई एक अच्छी सी कविता के लिये ..
घाव भरने के लिए होते है और जीवन की सच्चाई की याद दिलाने के लिए... कविता अच्छी है...
true lines.....sundar rachna
वक्त से टकरा सके तो, जिन्दगी श्रृंगार है
वक्त खुशियाँ वक्त पर दे, वक्त ही दीवार है
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
वक्त से आगे निकलकर, सोचते जो वक्त पर
वक्त के इस रास्ते पर, फूल और तलवार है
क्या है कीमत वक्त की, जो चूकते, वो जानते
वक्त उलझन दे कभी तो, वक्त पर उद्धार है
वक्त होता क्या किसी का, चाल अपनी वक्त की
चल सुमन उस चाल में तो, खार में भी प्यार है
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
बहुत बढ़िया !
बहुत बढ़िया !
anu jee dil khush ho gaya aisee bhaavpoorn rachna padh ke!
कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
बहुत सार्थक पंक्तियाँ ..बहुत अच्छा लिखा अनु जी
संवाद करती सी सुन्दर रचना...
सादर
बहुत सुन्दर कविता
हां...कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
...अंतस को छू जाती पंक्तियाँ...बहुत भावमयी प्रस्तुति...
मर्म स्पर्शी....
कुछ न कुछ तो करना होगा ...
हां...कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
मन को छूते भाव बेहतरीन प्रस्तुति।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।
maun hi to sab marjon ki dva hai .....acchi abhiwayakti....
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
अपनों का जब होता है साथ तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।
अपनों का जब होता है साथ तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।
कल 21/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
कोमल भाव व्यक्त करती रचना....
बेहतरीन अभिव्यक्ति....
समय लिए हाथों में मरहम, सबसे मिलने आ जाता
समय चलाये जब तक चलता, सबके दुक्खों का खाता.
सुन्दर रचनाएं....
सादर.
कुछ घाव समय से खुद भर
जाते हैं ..
पर कुछ को मैं ...बस मौन होकर
सहलाता हूँ ....
कभी ना कभी भर जाने के लिए ||
,,,,पर ऐसे ही घाव नासूरों का घर होते हैं ....इन्हें पनपने न दें ...सुन्दर भाव अनुजी
Post a Comment