सालों पहले डायरी लिखने का दिल किया तो,एक डायरी हाथ में आते ही मैंने लिखनी शुरू कर दी| डायरी में लिखी अपने दिन-प्रतिदिन की सोच को आप सबके साथ साँझा करने का मन किया तो आज उसी का ये पहला पन्ना आप सबके सामने लेकर आई हूँ |
पहला पन्ना!
मैं रोए जाती हूँ, ये सोंचे बिना कि मैं क्यों रों रही हूँ, अपने लिए या अपने उन रिश्तो के लिए जो मैंने बडी मेहनत से बनाए थे |बहुत बार सोचती हूँ कि मैं ऐसी क्यों हूँ ? दिल से क्यों सोचती हूँ ? औरों जैसी क्यों नहीं हूँ, बात हुई बात खत्म, हर बात को दिल पर लेने की आदत क्यों पड़ गई है ? सोचती हूँ आज से मैं खुद से और अपने अंदर के भावुक ख्याल को अलग रख, बिना भावनाओं के जीने की कोशिश करुँगी,पर मुझे नहीं लगता कि मैं इस में कामयाब हो पाऊँगी | जिंदगी मेरी,ख्याब मेरे, भले ही अधूरे हैं जो कभी अपने नहीं हुए फिर भी मेरे हैं और ये जिंदगी मेरे लिए एक ठग से बढ़ कर कुछ नहीं है | मेरी सोच मुझ से शुरू होकर मुझ तक ही खत्म हो रही थी ठीक वैसे ही जैसे एक बूढी औरत के पास एक मुर्गा था और वो ये सोचती थी कि उसका जब मुर्गा बांग देगा तभी सुबह होगी,इसी वजह से वो पूरे गाँव भर में अकड़ कर चलती थी कि उसके मुर्गे की बांग के बिना सुबह ही नहीं होगी जबकि वो इस बात को नहीं समझ रही थी कि 'सुबह होती है तभी मुर्गा बांग देता है' ये ही सोच सोच का फर्क है, जिस बात को मैं सही मानती हूँ वही बात मेरे सामने वाले के लिए गलत भी हो सकती है ये सोंचे बिना मैंने कैसे अपनी सोच को उस पर थोप सकती हूँ |मैं कुछ समय के लिए ये भूल गई थी कि मेरे बिना भी जिंदगी चलेगी,भले ही कुछ देर थमने के बाद हर काम वैसे ही होगा जैसे मेरे होते हुए हुआ करता है | ठीक वैसे ही,जब एक रेलगाड़ी पटरी से उतर जाती है तो उसके पीछे आती हुई रेलगाडियों को समय पर चलने के लिए कुछ वक्त लगता है, और वो कुछ वक्त के बाद उसी पटरी से अपने निश्चित स्थान पर पहुँचनी शुरू हो जाती हैं, ऐसा ही कुछ हाले-बयाँ हर किसी की जिंदगी का भी है |आज पहली बार मैंने, मेरे मन के भीतर झाँका और देखी अपनी धारणाएँ,अपने पक्षपात,अपने विचार और अपने ही सिद्धांत जिन पर चल कर मैंने अब तक का सफर तय किया है, फिर ऐसा क्यों लग रहा है कि अब भी सफर अधूरा है, कुछ है जीवन में जिस की कमी अब भी खटकती है इस दिल को |मैं बैठी हूँ, लोग आते हैं बाते करते हैं और चले जाते हैं और मैं यूँ ही बैठी रह जाती हूँ क्यों मेरे भीतर अब भी चिंताएँ,फिक्रें और बेचैनियाँ हैं उन सब के लिए जिन्हें मैं अपना मानती हूँ और वो मेरे लिए, मेरे बारे में क्या सोचते हैं इसकी चिंता किए बिना एक मुस्कान के साथ इस जिंदगी का एक नया दिन जीने के लिए खुद को ऊर्जित करती हूँ ,एक नई लड़ाई, कुछ खट्टी-मीठी बातें और ढेरों नई सोच के साथ मेरा नया दिन शुरू होता है और शुरू होता है एक नए चेहरे की नई सोच, एक भ्रांति, उस मन दर्पण के साथ जिसके सामने मैं खड़ी हूँ अपना चेहरा लिए,कुछ नए अनुभवों के लिए |
अंजु (अनु)
54 comments:
भावनाओं के बिना जीना? आप जैसों के लिए सम्भव ही नहीं, बढ़िया प्रयास, आगे का इंतजार..
इसी तरह हर सुबह पहला पन्ना ही खुलता है बशर्ते हम भी वैसा ही पढ़ना चाहें..
जीवन इसी का नाम है...कदम रुकने नहीँ चाहियेँ...बहुत खुबसुरती कह दी आप ने अपने दिल की बात..."मैं बैठी हूँ, लोग आते हैं बाते करते हैं और चले जाते हैं और मैं यूँ ही बैठी रह जाती हूँ क्यों मेरे भीतर अब भी चिंताएँ,फिक्रें और बेचैनियाँ हैं उन सब के लिए जिन्हें मैं अपना मानती हूँ और वो मेरे लिए, मेरे बारे में क्या सोचते हैं इसकी चिंता किए बिना एक मुस्कान के साथ इस जिंदगी का एक नया दिन जीने के लिए खुद को ऊर्जित करती हूँ ,एक नई लड़ाई, कुछ खट्टी-मीठी बातें और ढेरों नई सोच के साथ मेरा नया दिन शुरू होता है और शुरू होता है एक नए चेहरे की नई सोच, एक भ्रांति, उस मन दर्पण के साथ जिसके सामने मैं खड़ी हूँ अपना चेहरा लिए,कुछ नए अनुभवों के लिए |"
..बस यूँही चलते रहे..कामयाबी...आप के कदम ..चूमने को तैयार खड़ी है.....
अंजु...:)
...अशोक अरोरा....
जीवन इसी का नाम है...कदम रुकने नहीँ चाहियेँ...बहुत खुबसुरती कह दी आप ने अपने दिल की बात..."मैं बैठी हूँ, लोग आते हैं बाते करते हैं और चले जाते हैं और मैं यूँ ही बैठी रह जाती हूँ क्यों मेरे भीतर अब भी चिंताएँ,फिक्रें और बेचैनियाँ हैं उन सब के लिए जिन्हें मैं अपना मानती हूँ और वो मेरे लिए, मेरे बारे में क्या सोचते हैं इसकी चिंता किए बिना एक मुस्कान के साथ इस जिंदगी का एक नया दिन जीने के लिए खुद को ऊर्जित करती हूँ ,एक नई लड़ाई, कुछ खट्टी-मीठी बातें और ढेरों नई सोच के साथ मेरा नया दिन शुरू होता है और शुरू होता है एक नए चेहरे की नई सोच, एक भ्रांति, उस मन दर्पण के साथ जिसके सामने मैं खड़ी हूँ अपना चेहरा लिए,कुछ नए अनुभवों के लिए |"
..बस यूँही चलते रहे..कामयाबी...आप के कदम ..चूमने को तैयार खड़ी है.....
अंजु...:)
...अशोक अरोरा....
नज़रिया बदलने से ही नज़ारे बदला करते हैं।
ये तो मेरी डायरी का पन्ना लगा....पढूँ..?
bahut hi ache anju di
लेखनी का बदला रुख, बहुत खुबसुरत .. एक नई लड़ाई, कुछ खट्टी-मीठी बातें और ढेरों नई सोच के साथ मेरा नया दिन शुरू होता है और शुरू होता है एक नए चेहरे की नई सोच, एक भ्रांति, उस मन दर्पण के साथ जिसके सामने मैं खड़ी हूँ अपना चेहरा लिए,कुछ नए अनुभवों के लिए |
डायरी का पन्ना
और वो भी पहला
एक लम्बा सा लेखन
कुछ शिकायतें..उलाहनाएँ
कुछ चाहतें..और अपेक्षाएँ
आत्म-स्वीकृति...
और लेखन के बाद
प्राप्त संतोष
और मन का हलकापन
अब बस नहीं लिखा जा रहा
अस्तु
अर्चना दीदी ....अभी आप आगे और भी पढ़ेंगी :)
विचारों की सुंदर संयोजना पहले ही पन्ने में
shukriya yashoda ji
ह्म्म्म...
डायरी लिखन बहुत ख़तरनाक लगता है, कई बार बीती हुई नकारात्मक बातें दुखी करने लगती हैं
दिल की बात सबीके साथ शेयर करने से मन को शांति भी मिलती है
अपनी लिखी पंक्तियाँ अक्सर स्वयं को संबल देती हैं |
डायरी में लिखी पुरानी बातें कभी सकून देती है तो कभी मन को दुख पहुचाती है,,,
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,, बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
उमीदो के शहर में जाना होता है जब जब ,
बेबसी ,उदासी और आसू ओ के अलावा कुछ न मिला .
भरे बाज़ार में बिका मेरा प्यार ,
बदले में बदनामी के सिवा कुछ ना मिला।
नीता कोटेचा "नित्या
बहुत ख़ूब!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 17-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत ख़ूब!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 17-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
मन की व्यथा को शब्दों में बयाँ करना काफी मुश्किल होता है, बयाँ करने के बाद दूसरों से शेयर करना उससे भी मुश्किल | बहुत अच्छे ढंग से बयाँ किया है |
टिप्स हिंदी में पर नई पोस्ट : पैराग्राफ सेटिंग के 10 तरीके उदाहरण
किसी के होने या नहोने से फर्क तो ज़रूर पड़ता है पर फिर ज़िंदगी चलने लगती है ... रेलगाड़ी की तरह सबको अपने गंतव्य तक पहुँचना ही है .... अंतर है तो यह कि रेलगाड़ी रोज़ नया फेरा लगाती है जबकि ज़िंदगी की गाड़ी ही खत्म हो जाती है ...
dairy ke pahle hi panne me bhavnao ka sundar sanyojan..
बहुत सुन्दर विचारों का तारतम्य ........
बहुत सुन्दर विचारों का तारतम्य ......
bahut hi bahdiya laga yah dyarai ka panna ..
मुर्गा बांग नहीं देगा तो क्या सुबह नहीं होगी ...हम ऐसे ही मगालते में रह जाते हैं , मगर जीवन में सबका अपना नजरिया , यदि इस तरह सोचा जाए तो सब सकारात्मक हो जाता है !
दिल से लिखी गयी इबारतें सीधे दिल तक जाती हैं !
बहुत अच्छे लगे आपके यह डायरी के पन्ने
अपनी ही लिखी बाते अकसर खुद को समय आन्र पर हिम्मत देती हैं..बहुत सुन्दर ..
Dayri ka khubsoorat pehla panna...dusre panne ka intezar rahega... :)
http://apparitionofmine.blogspot.in/
संवेदनशील मन के विचार ...
जीवन यूं ही चलता रहता है ... कुछ यादें पड़ाव की तरह आती हैं रह जाती हैं दिल में ...
यही ज़िंदगी है...रोज नए संघर्ष, रोज नए अनुभव और फिर आगे चलते जाना..
Good
....बहुत अच्छा लिखा है आपने!...अपनी सोच को मन से बाहर निकालने का यह एक सुन्दर मार्ग है!
अपनी पुस्तक में करो, भावनाओं को व्यक्त।
कोरे कागज को भरो, हो करके अनुरक्त।।
बहुत अच्छा लिखा है आपने, डायरी के इन पन्नो में हम उन बीते पलों को फिर से जी लेते हैं, कुछ खट्टी - मीठी यादें जीवंत हो उठती है, जैसे अभी-अभी की बात हो ... शुभकामनायें
padh rahi hu apne unlikhe unkahe zazbaato ko .waiting for more pages
bahut acha laga ye dayari ka pana
बहुत बढिया, डायरी लिखना आसान नहीं है..
मन को छूने वाली है ये डायरी, जारी रखिए
kya aap aisee hain???
जीवन में कई बार हम हैसे लम्हों से रूबरू होते हैं ...जब मन अशांत रहता है ...सब कुछ होते हुए भी कोई कमी होती है जिसे हम समझ नहीं पाते ....कुछ ऐसा जो हम चाहते हो ..लेकिन क्या... यह हम भी नहीं जानते ...एक वितृष्णा ..एक झुंझलाहट बनी रहती है ...ऐसे में सबसे अच्छी दोस्त होती यह डायरी ...आपने बहुत अच्छा किया इसे अपना हमदर्द बना लिया ...अच्छी शुरुआत ...:)
नया प्रयास...सराहनीय।
डायरी लिखना खुद के शीशे में खुद को झांकने जैसा है.
आपका प्रयास अच्छा रहा,ईमानदारी के साथ निभाया.
डायरी लिखना खुद के शीशे में खुद को झांकने जैसा है.
आपका प्रयास अच्छा रहा,ईमानदारी के साथ निभाया.
अतीत की गर्म चादर में सिमटा हुआ वज़ूद.
अतीत की गर्म चादर में सिमटा हुआ वज़ूद.
apna sa dayari ka ye pahla panna....
जो बातें हम किसी से नहीं कह सकते .उन्हें पन्नों पर उतर कर मन हल्का कर लेते हैं
एसा ही होता है मन
बहुत अच्छा लगा पढ़ना आपकी डायरी का यह पहला पन्ना...आभार!
डायरी में लिखी पुरानी बातें कभी सकून देती है तो कभी मन को दुख पहुचाती है,,,
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,, बधाई।
recent post: वजूद,
सुंदर..डायरी का पन्ना अच्छा लगा।।।
सुकोमल और भावपूर्ण....
ऐसा ही कुछ हाले-बयाँ हर किसी की जिंदगी का भी है
अच्छा लगा आपकी डायरी का पहला पन्ना..शुभकामनायें
ऐसा ही कुछ हाले-बयाँ हर किसी की जिंदगी का भी है
अच्छा लगा आपकी डायरी का पहला पन्ना..शुभकामनायें
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