मन विद्रोही
तन छलनी
स्वर क्रांति के फूटे
दुनिया की
चालबाजी देख
आँखों से नीर फूटे ||
रहस्य जीवन का जान कर भी
कोई ना जाने
घृणा,प्रेम
जीवन के साथ शत्रुता ,
मित्रता नहीं
ये भेद हैं अब पुराने
गायब होती परम्पराएँ,मान्यतायें
क्यों हर पल
अपने ही अस्तित्व का दामन छूटे
क्यों,कोई विश्वास की
डोर थमा,
अविश्वास का खंजर घोंपे ?
अब लड़ाई हैं उनसे
जो हैं,
शिष्टाचार और बुद्धिजीवीवर्ग के
शिखर पर प्रतिष्ठित
हर पल उनके लिए
क्रांति का स्वर ही क्यों फूटे ?
कोई अच्छा-कोई बुरा
कोई पापी-कोई भला
कौन है दिव्य,कौन है पापी
इसी भेद के चक्कर में
क्यों है हर कोई विभाजित ?
एक सोच,एक सपना
ये मन विचिलित विचारों का रेला
फिर क्यों वो लोग
अपने ही वृताकार में घूमे ?
तंग सोच,
घूमा-फिरा कर बात करना
नहीं है व्यवहार सामान्य इनका
एक कुदाली,एक ही वार
और नष्ट होता किसी ना किसी का
आत्मविश्वास |
झूठी बातें,झूठे हैं प्रमाण इनके
पागलपन की हद तक
कामवेश का झूठा
तर्कजाल है इनका
यहाँ सही और गलत
दोनों ही समाहित हैं
बिना प्रमाण के |
इनसे दुखी हर मन ये सोंचे,
''करूँ शिकायत कहाँ मैं अपने दर्द की?''
कोई तो सीमा हो
किसी के छल की..कि
हर राह,धुँआ-धुँआ है
हर मजिल पथराई सी
किस ओर बढ़े ये कदम,
हर रस्ते में तो,
व्यवधान खड़ा है
तभी तो ......
मन विद्रोही,
तन छलनी,
स्वर क्रांति का फूटे
दुनिया की चालबाजी देख
आँखों से नीर फूटे ||
anju(anu)
55 comments:
duniya me agar aaye hain to jeena hi padega... jeevan hai agar jahar to peena hi padega...:)
ye gaana sateek hai.. iske pratikriya me :)
behtareen rachna ek baar fir..
waaah bahut sundar...Khubsurat Shabdo se saji..ek nayi rachna ka dil se swagat.. :)sending u a big smile :) :)
Bhavpuran kavita...bahut badahi
सुंदर लेखन
khoobshurat prastuti,new posts----lipat kar mere sine....aur nav vama....
Sateek baat. Satya ki ghoshna aur andar ki chhctpahat ko swar deti huyi saarthak rachna......
रचना तो अच्छी है परन्तु "दीवार के उस ओर की लड़क" में
ये "लड़क" क्या होती है?
इसको नहीं समझा हूँ!
आभार शास्त्री जी ...गलती बताने के लिए
एक सोच,एक सपना
ये मन विचिलित विचारों का रेला
फिर क्यों वो लोग
अपने ही वृताकार में घूमे ?
अच्छी रचना
bahut sundar prastuti..
वहा बहुत खूब बेहतरीन
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
<a
वहा बहुत खूब बेहतरीन
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
एक सोच,एक सपना
ये मन विचिलित विचारों का रेला
फिर क्यों वो लोग
अपने ही वृताकार में घूमे ,,,
बेहतरीन उम्दा अभिव्यक्ति,,,
Recent post: रंग गुलाल है यारो,
सुन्दर कविता.
इनसे दुखी हर मन ये सोंचे,
''करूँ शिकायत कहाँ मैं अपने दर्द की?''
कोई तो सीमा हो
किसी के छल की..
kisika chal i hame duniya ka sah rasta batata hai annu..shukriya mano unka jinhone chal kiya..
maarmik chitran
मस्तिष्क की हर प्रत्यंचा से शब्दभेदी वाण ... यूँ ही तो नहीं निकलते
एक एक तीर अपनी व्यथा से भरे हैं - वार कभी खाली नहीं जायेगा
गुज़ारिश : ''महिला दिवस पर एक गुज़ारिश ''
...बहुत सुन्दर रचना!..मन को भा गई!
घायल मन से निकला दर्द
व्यथा न जाने ,जहाँ बेदर्द ......
शुभकामनायें!
किसको दर्द बताएं ..
बहुत उम्दा
शायद इसी का नाम ज़िंदगी है ....क्यूंकी ज़िंदगी अगर प्यार का गीत है तो ग़म का सागर भी वही है और हर हाल में पार तो जाना ही है।
दुनिया की चालबाजी देख क्यों ना नीर फूटे !
मार्मिक !
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
बेहद प्रभाव साली रचना और आपकी रचना देख कर मन आनंदित हो उठा बहुत खूब
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
.
dard hi dard...uff....maan ko chu gayi ye rachna
हर राह,धुँआ-धुँआ है
हर मजिल पथराई सी
किस ओर बढ़े ये कदम,
हर रस्ते में तो,
व्यवधान खड़ा है
....बहुत मर्मस्पर्शी...प्रभावी रचना..
क्या कहें...
आह , इतने सवाल ...
बहुत ही मार्मिक रचना.
रामराम.
इनसे दुखी हर मन ये सोंचे,
''करूँ शिकायत कहाँ मैं अपने दर्द की?''
कोई तो सीमा हो
किसी के छल की..कि
हर राह,धुँआ-धुँआ है
हर मजिल पथराई सी
किस ओर बढ़े ये कदम,
हर रस्ते में तो,
व्यवधान खड़ा है
तभी तो ......
मन विद्रोही,
तन छलनी,
स्वर क्रांति का फूटे
दुनिया की चालबाजी देख
आँखों से नीर फूटे ||
bahut hi marmik
विह्वल करती रचना , पर उत्तर है गौण..
एक सोच,एक सपना
ये मन विचिलित विचारों का रेला
फिर क्यों वो लोग
अपने ही वृताकार में घूमे ?
गंभीर प्रश्नों के जवाब तलाशती सुंदर कविता.
महाशिवरात्रि की शुभकामनायें.
मन विद्रोही,
तन छलनी,
स्वर क्रांति का फूटे
दुनिया की चालबाजी देख
आँखों से नीर फूटे ...
Marm ko chooti huyi guzarti hai aapki eachnaa ... dil ke bhaav likhe hain aapne ..
बहुत सार्थक प्रस्तुति आपकी अगली पोस्ट का भी हमें इंतजार रहेगा महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया आप मेरे ब्लाग कभी अनुसरण करे
सुन्दर अभिव्यक्ति और शब्द चयन |
आशा
बेहद संवेदनशील रचना...
lajawab -***
सादर जन सधारण सुचना आपके सहयोग की जरुरत
साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )
मन विद्रोही,
तन छलनी,
स्वर क्रांति का फूटे
दुनिया की चालबाजी देख
आँखों से नीर फूटे ||
जीवन की त्रासदी को बयान करती रचना
इनसे दुखी हर मन ये सोंचे,
''करूँ शिकायत कहाँ मैं अपने दर्द की?''
कितनी सुंदर रचना ॥ ....व्यथा किस्से काही जाये .....??
एक बेहतरीन हृदयस्पर्शी रचना....
बहुत ही सुन्दर.
झूठी बातें,झूठे हैं प्रमाण इनके
पागलपन की हद तक
कामवेश का झूठा
तर्कजाल है इनका
यहाँ सही और गलत
दोनों ही समाहित हैं
बिना प्रमाण के
दीवार के उस पार एक तर्कसंगत लड़की की आँखें उलझी हैं तर्कजाल में ....
aapko padhna bahut waqt baad hua magar jahan se chute the vahan se bhi bahut sundar ..aage badte kadam laikhni ki kalam ke dekh aaj khushi mili ..salam mere dost tumhe umda rachna ke liye
हृदयस्पर्शी प्रस्तुति ....
Sashkt rachna...
झकझोरती रचना ।
मूक वेदना, कई सवाल, सब निरुपाय ...
मन विद्रोही,
तन छलनी,
स्वर क्रांति का फूटे
दुनिया की चालबाजी देख
आँखों से नीर फूटे ||
भावपूर्ण रचना के लिए बधाई.
मन की पीड़ा मन के सिवा कौन जाने ...तर्क का जाल इसको कम कर पाया है क्या कभी ....बहुत भावपूर्ण रचना ....
एक नजर के इंतज़ार में ...स्याही के बूटे ....
अब लड़ाई हैं उनसे
जो हैं,
शिष्टाचार और बुद्धिजीवीवर्ग के
शिखर पर प्रतिष्ठित
बहुत विचारोत्तेजक रचना है आदरणीया अंजु(अनु)चौधरी जी !
सुंदर रचना के लिए आभार !
आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत बधाई !
हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बेहतरीन अभिव्यक्ति
अंतर्मन को झकझोरता एक-एक शब्द ....
बेहतरीन
behtareen.......
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