Wednesday, April 24, 2013

यूँ ही कुछ भी सोचते हुए से लम्हें

यूँ ही जिंदगी के व्यस्त लम्हों में, जब अपने लिए भी वक्त नहीं होता, तब भी ये मन अपनी ही उलझनों में यूँ ही गुनगुनाता है कि ऐ मन तू अकेला नहीं है | वक्त और मेरी सोच को कैद किए हुए कुछ पल जो मेरी सोच का हिस्सा बने और कागज़ पर यूँ ही उतार दिए गए |ये जानते हुए कि मेरी एक सोच का दूसरी सोच से मेल नहीं खाती ...फिर भी अपनी लेखनी को बिना परिवर्तन के,आप सब के साथ साँझा कर रही हूँ|



इस सुकून के एहसास के साथ कि ''मैं अकेली नहीं हूँ ''(उस बेटी की आवाज़ जो आज अपनों की वजह से सुरक्षित है )

*************************
अजीब बंदिशे है इस जिंदगी की
कि ना रोया जाए ना हँसा जाए
गम छिपा कर
कागज़ पर उतार दिया जो मैंने
वो, ना लिखा जाए ना छोड़ा जाए ||
************************


कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम  लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||

***********************


गमे जिंदगी में इल्जामों का
बोझ है इतना
कि जिंदगी में आई
एक छोटी सी खुशी भी
डरा देती है
आज  इस गिद्धों के युग में
 जो मंडरा रहें
वासना  की हवास में
वहाँ तेरी साफ़-गोई निगाहें 
मुझे  संशय में डाल
देती है ||
*************************
कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो 
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है 
फ़साना जिंदगी का ||
*********************


जिंदगी के कुछ ख्याब
खुद-ब-खुद रूबरू हो गए
जो खोया था हमने जिंदगी में
वो खुद-ब-खुद मेरी
आगोश में आकार सो गए ||
 ************************


 स्वर्णिम लहरों में
अपनापन साकार 
उठा 
आज ना जाने फिर सुधियों का
कैसा ज्वार 
उठा
मन की छाया तले,
फिर से तन का ये संसार 
नाच उठा ||
************************


यूँ  तो उलझने
कम नहीं
ना  दुखों का है
कोई  अंत 
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||

अंजु(अनु )

51 comments:

BS Pabla said...

वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का

शानदार

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi achhi lagi ... ise padhne ke liye hi aaj mushkil se internet khula ......

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें

संध्या शर्मा said...

जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
बहुत जरुरी है अहसासों का बना रहना... गहन भाव... शुभकामनायें

कालीपद "प्रसाद" said...

सभी क्षणिकाएं गहरी अनुभूतियाँ लिए हुए हैं

अज़ीज़ जौनपुरी said...

WAH BAHUT KHOOB,BEHATAREEN, कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||

Dr. sandhya tiwari said...

सुन्दर भाव ............

poonam said...

bahut sunder rumani ahsaas...

Shah Nawaz said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति अनु जी...

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात, बहुत सुंदर

अज़ीज़ जौनपुरी said...

nice lines यूँ तो उलझने
कम नहीं
ना दुखों का है
कोई अंत
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||

Anita said...

दर्द ही फसाना बन जाता है...बहुत भाव पूर्ण रचनाएँ !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सभी क्षणिकाएं गहन अनुभूति लिए हुये .... बेहतरीन

Rajendra kumar said...

सुन्दर भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.

मुकेश कुमार सिन्हा said...


जिंदगी के कुछ ख्याब
खुद-ब-खुद रूबरू हो गए
जो खोया था हमने जिंदगी में
वो खुद-ब-खुद मेरी
आगोश में आकार सो गए ||

:) bhaw se bhare hue.. jindagi ke ruswaiyon ko dikhate hue ...

तेजवानी गिरधर said...

अति सुंदर अभिव्यक्ति

तेजवानी गिरधर said...

http://ajmernama.com/guest-writer/72209/

Kailash Sharma said...

कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||

....बहुत खूब! सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...

Unknown said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति

nayee dunia said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....सम्मान प्राप्त करने के लिए बधाई

Saras said...

कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||...
...बहुत खुबसूरत अंजू

Satish Saxena said...

अच्छा सन्देश...

सदा said...

एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने इन पंक्तियों में
.............

Manav Mehta 'मन' said...

jaandaar anju ji

Sadhana Vaid said...

हर क्षणिका बहुत खूबसूरत ! दाद के लिये किसे चुनूँ किसे छोड़ूँ चयन करना मुश्किल है क्योंकि हर क्षणिका में दिल धड़क रहा है ! बहुत ही सुंदर ! लाजवाब ! अनुपम !

Anju (Anu) Chaudhary said...

साधना जी ...आपका इतना कहना ही मेरे लिए बहुत है ...उत्साह का नया संचार होता है ...आभार आपका

Arun sathi said...

वहाँ तेरी साफ़-गोई निगाहें
मुझे संशय में डाल
देती है ||

Sabhi ek se ek....Sundar...aabhar

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही खूबसूरत शब्द संयोजन, शानदार रचना बन पडी है. शुभकामनाएं.

रामराम.

Tamasha-E-Zindagi said...

बेहद उम्दा | बहुत खूब कहा आपने

कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||

लाजवाब रचना | दिल छू लिए इन पंक्तियों ने | बधाई

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Jyoti khare said...

कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||-------

प्रेम का इससे सुंदर और क्या अहसास हो सकता है
गहन अनुभूति
बधाई

Ramakant Singh said...


यूँ तो उलझने
कम नहीं
ना दुखों का है
कोई अंत
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||

गहन अनुभूति
बधाई

Dilip Soni said...

बहुत अच्छा ......लिखते रहिये

राहुल said...

जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे
-----------
गहन..गहन ..

रंजू भाटिया said...

गमे जिंदगी में इल्जामों का
बोझ है इतना
कि जिंदगी में आई
एक छोटी सी खुशी भी
डरा देती है .........bahut kareeb dil ke ..bahut sundar

सु-मन (Suman Kapoor) said...

jaandaar ...bahut sunder

Rewa Tibrewal said...

wah ! superb......

amit kumar srivastava said...

क्या कहूँ ...बेहद भावपूर्ण ।

दिगम्बर नासवा said...

जिंदगी के ख्वाब खुद ही क्झोली मिएँ आ जाएं तो क्या बात है ...
सभी लम्हे ... बेहद लाजवाब ...

रचना दीक्षित said...

जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||

एक शब्द में इस प्रस्तुति के लिये कहूँ तो " अदभुत".
अंतस को छूती हैं सब रचनाएँ.

Unknown said...

कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||..........लाजवाब ..

Unknown said...

लाजवाब ..

Pallavi saxena said...

जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
खुद इंसान बने रहने के लिए यही तो ज़रूरी है वरना यूं तो सासें सभी ले रहे हैं। अनुपम भाव संयोजन के साथ सुंदर एवं सार्थक अभिव्यक्ति...

राहुल said...

बहुत सुंदर...

Amrita Tanmay said...

जब दर्द साँसों में बस जाता है तो कहने के लिए कुछ नहीं रह जाता है..

Arora Pawan said...

aapko padhna anju mujhe bahut achha lagta hai kyunki aapke shbd kisi kitabao se nhi dil se niklte hai aise jaise main khud main khud ko pa gaya ...

Vaanbhatt said...

गहन संवेदनाओं की अभिव्यक्ति...

सुनील गज्जाणी said...

namaskaar
behad behad sunder abhivyakti hai aap ki , sadhuad
saadar

मन के - मनके said...

दिल की बात,रह गई,जुबां पर आते-आते---
क्या कहूं,जो बात मेरी थी---अभी-अभी तेरी भी हो गई

मन के - मनके said...

दिल की बात,रह गई,जुबां पे आते-आते
क्या कहूं---जो बात मेरी थी,अभी-अभी तेरी भी हो गई

मन के - मनके said...

दिल की बात,रह गई,जुबां पे आते-आते
क्या कहूं---जो बात मेरी थी,अभी-अभी तेरी हो गई

shalini rastogi said...

कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ... kyaa baat kahi hai anju ji .. behad khoobsurat ..sabhi kshanikayen!