यूँ ही जिंदगी के व्यस्त लम्हों में, जब अपने लिए भी वक्त नहीं होता, तब भी ये मन अपनी ही उलझनों में यूँ ही गुनगुनाता है कि ऐ मन तू अकेला नहीं है | वक्त और मेरी सोच को कैद किए हुए कुछ पल जो मेरी सोच का हिस्सा बने और कागज़ पर यूँ ही उतार दिए गए |ये जानते हुए कि मेरी एक सोच का दूसरी सोच से मेल नहीं खाती ...फिर भी अपनी लेखनी को बिना परिवर्तन के,आप सब के साथ साँझा कर रही हूँ|
इस सुकून के एहसास के साथ कि ''मैं अकेली नहीं हूँ ''(उस बेटी की आवाज़ जो आज अपनों की वजह से सुरक्षित है )
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वो, ना लिखा जाए ना छोड़ा जाए ||
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तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||
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गमे जिंदगी में इल्जामों का
बोझ है इतना
कि जिंदगी में आई
एक छोटी सी खुशी भी
डरा देती है
आज इस गिद्धों के युग में
जो मंडरा रहें
वासना की हवास में
वहाँ तेरी साफ़-गोई निगाहें
मुझे संशय में डाल
देती है ||
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जिंदगी के कुछ ख्याब
खुद-ब-खुद रूबरू हो गए
जो खोया था हमने जिंदगी में
वो खुद-ब-खुद मेरी
आगोश में आकार सो गए ||
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स्वर्णिम लहरों में
यूँ तो उलझने
कम नहीं
ना दुखों का है
कोई अंत
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
अंजु(अनु )
इस सुकून के एहसास के साथ कि ''मैं अकेली नहीं हूँ ''(उस बेटी की आवाज़ जो आज अपनों की वजह से सुरक्षित है )
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अजीब बंदिशे है इस जिंदगी की
कि ना रोया जाए ना हँसा जाए
गम छिपा कर
कागज़ पर उतार दिया जो मैंनेवो, ना लिखा जाए ना छोड़ा जाए ||
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कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||
***********************
गमे जिंदगी में इल्जामों का
बोझ है इतना
कि जिंदगी में आई
एक छोटी सी खुशी भी
डरा देती है
आज इस गिद्धों के युग में
जो मंडरा रहें
वासना की हवास में
वहाँ तेरी साफ़-गोई निगाहें
मुझे संशय में डाल
देती है ||
*************************
कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||
*********************वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||
जिंदगी के कुछ ख्याब
खुद-ब-खुद रूबरू हो गए
जो खोया था हमने जिंदगी में
वो खुद-ब-खुद मेरी
आगोश में आकार सो गए ||
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स्वर्णिम लहरों में
अपनापन साकार
उठा
आज ना जाने फिर सुधियों का
कैसा ज्वार
आज ना जाने फिर सुधियों का
कैसा ज्वार
उठा
मन की छाया तले,
फिर से तन का ये संसार
नाच उठा ||
************************
यूँ तो उलझने
कम नहीं
ना दुखों का है
कोई अंत
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
अंजु(अनु )
51 comments:
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का
शानदार
bahut hi achhi lagi ... ise padhne ke liye hi aaj mushkil se internet khula ......
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
बहुत जरुरी है अहसासों का बना रहना... गहन भाव... शुभकामनायें
सभी क्षणिकाएं गहरी अनुभूतियाँ लिए हुए हैं
WAH BAHUT KHOOB,BEHATAREEN, कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||
सुन्दर भाव ............
bahut sunder rumani ahsaas...
बेहतरीन अभिव्यक्ति अनु जी...
क्या बात, बहुत सुंदर
nice lines यूँ तो उलझने
कम नहीं
ना दुखों का है
कोई अंत
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
दर्द ही फसाना बन जाता है...बहुत भाव पूर्ण रचनाएँ !
सभी क्षणिकाएं गहन अनुभूति लिए हुये .... बेहतरीन
सुन्दर भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
जिंदगी के कुछ ख्याब
खुद-ब-खुद रूबरू हो गए
जो खोया था हमने जिंदगी में
वो खुद-ब-खुद मेरी
आगोश में आकार सो गए ||
:) bhaw se bhare hue.. jindagi ke ruswaiyon ko dikhate hue ...
अति सुंदर अभिव्यक्ति
http://ajmernama.com/guest-writer/72209/
कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||
....बहुत खूब! सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...
बेहतरीन अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....सम्मान प्राप्त करने के लिए बधाई
कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||...
...बहुत खुबसूरत अंजू
अच्छा सन्देश...
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ
इसके लिए
अपना हर इल्ज़ाम
मेरे नाम लिख दो ||
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने इन पंक्तियों में
.............
jaandaar anju ji
हर क्षणिका बहुत खूबसूरत ! दाद के लिये किसे चुनूँ किसे छोड़ूँ चयन करना मुश्किल है क्योंकि हर क्षणिका में दिल धड़क रहा है ! बहुत ही सुंदर ! लाजवाब ! अनुपम !
साधना जी ...आपका इतना कहना ही मेरे लिए बहुत है ...उत्साह का नया संचार होता है ...आभार आपका
वहाँ तेरी साफ़-गोई निगाहें
मुझे संशय में डाल
देती है ||
Sabhi ek se ek....Sundar...aabhar
बहुत ही खूबसूरत शब्द संयोजन, शानदार रचना बन पडी है. शुभकामनाएं.
रामराम.
बेहद उम्दा | बहुत खूब कहा आपने
कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||
लाजवाब रचना | दिल छू लिए इन पंक्तियों ने | बधाई
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||-------
प्रेम का इससे सुंदर और क्या अहसास हो सकता है
गहन अनुभूति
बधाई
यूँ तो उलझने
कम नहीं
ना दुखों का है
कोई अंत
नहीं जरुरी कि,
हर फूल की खुशबू
सांसों में घुल के बहे
नहीं जरुरी हर चिराग की रोशनी,
घर को रोशन करे
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
गहन अनुभूति
बधाई
बहुत अच्छा ......लिखते रहिये
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे
-----------
गहन..गहन ..
गमे जिंदगी में इल्जामों का
बोझ है इतना
कि जिंदगी में आई
एक छोटी सी खुशी भी
डरा देती है .........bahut kareeb dil ke ..bahut sundar
jaandaar ...bahut sunder
wah ! superb......
क्या कहूँ ...बेहद भावपूर्ण ।
जिंदगी के ख्वाब खुद ही क्झोली मिएँ आ जाएं तो क्या बात है ...
सभी लम्हे ... बेहद लाजवाब ...
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
एक शब्द में इस प्रस्तुति के लिये कहूँ तो " अदभुत".
अंतस को छूती हैं सब रचनाएँ.
कागज को बना कर दिल अपना
लिख देती हूँ जो
कुछ फलसफा सा
वो क्यों बन जाता है
फ़साना जिंदगी का ||..........लाजवाब ..
लाजवाब ..
जरुरी ये है कि,
सांसों में मेरी
इस दुनिया के गम का
अहसास बना रहे ||
खुद इंसान बने रहने के लिए यही तो ज़रूरी है वरना यूं तो सासें सभी ले रहे हैं। अनुपम भाव संयोजन के साथ सुंदर एवं सार्थक अभिव्यक्ति...
बहुत सुंदर...
जब दर्द साँसों में बस जाता है तो कहने के लिए कुछ नहीं रह जाता है..
aapko padhna anju mujhe bahut achha lagta hai kyunki aapke shbd kisi kitabao se nhi dil se niklte hai aise jaise main khud main khud ko pa gaya ...
गहन संवेदनाओं की अभिव्यक्ति...
namaskaar
behad behad sunder abhivyakti hai aap ki , sadhuad
saadar
दिल की बात,रह गई,जुबां पर आते-आते---
क्या कहूं,जो बात मेरी थी---अभी-अभी तेरी भी हो गई
दिल की बात,रह गई,जुबां पे आते-आते
क्या कहूं---जो बात मेरी थी,अभी-अभी तेरी भी हो गई
दिल की बात,रह गई,जुबां पे आते-आते
क्या कहूं---जो बात मेरी थी,अभी-अभी तेरी हो गई
कुछ ना कर पाने के लिए
एक गुस्ताखी
मेरे नाम लिख दो
हाँ कसूरवार हूँ तुम्हारी
कि तुम्हारे ख्याबों में अक्सर
तुम से बिन पूछे
चली आती हूँ... kyaa baat kahi hai anju ji .. behad khoobsurat ..sabhi kshanikayen!
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