कांटो की नुकीली चुभन की अदा भी निराली देखी जो,दर्द तो देते हैं पर उसके दिए ज़ख्म दिखते ही नहीं || दिल में चुभने वाले कांटे ऐसे ही होते हैं अंजू जी! अनुभव की प्रामाणिकता इस रचना में दिखती है । अच्छी रचना।
सुन्दर अभिव्यक्ति ........उम्दा पंक्तियां ............ कांटो की नुकीली चुभन की अदा भी निराली देखी जो,दर्द तो देते हैं पर उसके दिए ज़ख्म दिखते ही नहीं ||...............आप का मेरे ब्लॉग पर भी स्वागत है ......http://bikhareakshar.blogspot.in/
32 comments:
कांटो की
नुकीली चुभन की
अदा भी निराली
देखी
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं ||
दिल में चुभने वाले कांटे ऐसे ही होते हैं अंजू जी! अनुभव की प्रामाणिकता इस रचना में दिखती है । अच्छी रचना।
यही तो काँटों की खूबी है
बेहतरीन भावों की अभिव्यक्ति
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं ||
वाह बहुत सुंदर ....
अरेवाह ! बहुत सुंदर ! यही प्यार की पराकाष्ठा है !
बहुत सुंदर...सच कहा.......जो,दर्द तो देते हैं पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं ||
बहुत सुंदर प्यारी रचना,,,
Recent post: जनता सबक सिखायेगी...
लाजवाब रचना | आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (25-05-2013) छडो जी, सानु की... वडे लोकां दियां वडी गल्लां....मुख़्तसर सी बात है.....
में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शनिवार (25-05-2013) छडो जी, सानु की... वडे लोकां दियां वडी गल्लां....मुख़्तसर सी बात है..... में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं ||bahut khoob ...sacchi bat ....
अपनों का साथ रहे तो मायूसी कैसी ! बहुत अपने साथ साथ हैं :)
कुछ दर्द बिना जख्म के ही सताते रहते हैं,बेहतरीन प्रस्तुति.
बहुत सुंदर
जख्म दिखते नहीं ...बहुत खूब
बेहतरीन भावों की अभिव्यक्ति
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं |……………यही तो इनकी फ़ितरत होती है
bahut khoob....bahut sundar shabd rachna
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं |waah bahut sahi ..bahut khub
Bahut umda abhivyakti
असली कांटों की यही तो सिफ़्त होती है, बहुत ही उम्दा.
रामराम.
काँटों में ही तो फूल खिलते हैं..सुंदर प्रस्तुति !
har jakhm aur dard nahi samajh aate :)
दर्दीली अभिव्यक्ति...
dard bhi kabhi kabhi meetha hota hai usake jakhm dikhate nahi hai.
Gahre Bhao...
बहुत सुंदर
सचमुच.. उसके दिए जख्म तो दिखते ही नहीं...
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं ||
kya bat hai bahut sundar ...
अरमानों की फसल कांटो भरी ही होती है ... पर फूल तो उसमें भी उगते हैं ...
जख्मों को भुला दो ...
सुन्दर अभिव्यक्ति ........उम्दा पंक्तियां ............
कांटो की
नुकीली चुभन की
अदा भी निराली
देखी
जो,दर्द तो देते हैं
पर उसके दिए ज़ख्म
दिखते ही नहीं ||...............आप का मेरे ब्लॉग पर भी स्वागत है ......http://bikhareakshar.blogspot.in/
sundhar abhivykti
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
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