(जीवन और आत्महत्या के बीच झूलता एक मासूम जीवन ...मासूम इस लिए कि वो ये नहीं जानता की आत्महत्या करने वाले ने ऐसा किया क्यों ?)
क्या मज़ाक समझा है
जिंदगी और मौत के बीच
एक पल की नाराज़गी
इस जिंदगी से
और जीवन समाप्त
क्या ये मज़ाक लगता है |
यूँ ही ऐसे ही
अपने जीवन को
एक ही झटके में
खत्म कर देना |
अपने जीवन को
एक ही झटके में
खत्म कर देना |
हर किसी की जिंदगी
दो-राहें पर आती है
हर किसी को जिंदगी की
सोच सताती है
ऐसे यूँ ही लड़ने की बजाए
हथियार डाल देना
और मौत की
बाँहों में खुद को
सौंप देना
क्यों मज़ाक समझ लिया तुमने ?
गर्म और सर्द हवाएँ
राह की पथरीली राहें
रोकेंगी हर बढ़ते कदमो को
निराशा हाथ लगेगी
जीवन से मन उचाट होगा
तो क्या उसका एक मात्र उपाय
तुमने...आत्महत्या सोचा है
तो क्यों मज़ाक समझा लिया
तुमने अपनी ही जिंदगी को ?
अपनी ही भूले,
अपनी ही गलतियों को
मेरे सर मथ देना
मज़ाक समझा लिया तुमने |
दो-राहें पर आती है
हर किसी को जिंदगी की
सोच सताती है
ऐसे यूँ ही लड़ने की बजाए
हथियार डाल देना
और मौत की
बाँहों में खुद को
सौंप देना
क्यों मज़ाक समझ लिया तुमने ?
गर्म और सर्द हवाएँ
राह की पथरीली राहें
रोकेंगी हर बढ़ते कदमो को
निराशा हाथ लगेगी
जीवन से मन उचाट होगा
तो क्या उसका एक मात्र उपाय
तुमने...आत्महत्या सोचा है
तो क्यों मज़ाक समझा लिया
तुमने अपनी ही जिंदगी को ?
अपनी ही भूले,
अपनी ही गलतियों को
मेरे सर मथ देना
मज़ाक समझा लिया तुमने |
मेरी ये जिंदगी
तुम्हारी वजह से नर्क हुई
तुम्हारी वजह से नर्क हुई
मेरी सोच को
अपने अधीन करना
अपने अधीन करना
मेरे जीवन को
एक कठपुतली की तरह
नचाना
और फिर एक ही
झटके में
अपने जीवन की डोर को
आत्महत्या की रस्सी से
झुलाना
एक कठपुतली की तरह
नचाना
और फिर एक ही
झटके में
अपने जीवन की डोर को
आत्महत्या की रस्सी से
झुलाना
एक ही पल में
तुम्हारी मौत ने मुझ ही
मज़ाक बना डाला |
तुम तो चली गई तुम संग ना रिश्ता कोई
ना बंधन में बांधा हूँ
फिर भी
जब मैं खाली बैठा
ये ही सोचता हूँ
कि तुमने ऐसा क्यों किया
तो मेरी सोच बस मुझे ही
परेशां करने चली आती है
और तुम्हारी कही
हर बात मुझे
नुकीले कीलों सी चुभती है
पर आज तुम्हारे मृत शरीर
या
मुझे मिले मृत्य दण्ड के समक्ष
ऐसा लगता है कि
निरापराधी होते हुए भी
मेरी उच्च-पदासीन
इस जिंदगी ने ही
मुझ संग
एक घिनोना मज़ाक किया है ||
अंजु(अनु)
50 comments:
कशमकश में उलझी बेहतरीन पंक्तियाँ
uljhno ke sahara me bhatkate zazbat
स्तब्ध और निःशब्द हूँ
:( ऐसी घटनाएँ हो रही हैं समाज में। पता नहीं कैसी हवा चल रही है..अहंकार ज्यादा है, क्षमाभाव गायब। प्रेम का दीपक जलते-जलते कब बुझ जाता है इसका पता भी नहीं चल पाता प्रेमियों को।
बेहद उम्दा |
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
देवेन्द्र जी ...आत्महत्या सिर्फ प्रेमी प्रेमिका ही नहीं कर रहें ...शादी-शुदा भी कर रहें हैं...अपने आस पास ये ही सब देखकर मन विचिलत था |
बहुत भावपूर्ण
सहनशीलता की कमी या यह एहसास होना कि इसके आगे ज़िंदगी नहीं है .... आत्महटाया का निर्णय सोच समझ कर नहीं लिया जाता .....क्षणिक आवेश मेन ये कृत्य कर लिया जाता है ...... आपने एक संवेदनशील मन से सटीक रचना लिखी है ...
बहुत बेहतरीन भावपूर्ण रचना,,,बधाई
RECENT POST : बेटियाँ,
आजकल के माहौल में वाकई ज़िंदगी एक मज़ाक बनकर ही रह गयी है बस रिश्तो का फर्क है। कहीं वैवाहिक रिश्तों में लोग आत्महत्या कर रहे हैं, तो कहीं विद्यार्थी, कहीं किसान मर रहे हैं, तो कहीं आम आदमी...कहीं मासूम लड़कियां, तो कहीं भूर्ण हत्याएँ, सब कुछ ऐसा जान पड़ता है जैसे मौत ज़िंदगी को चिड़ा रही है हर पल और एक ज़िंदगी हम से चुरा रही है हर पल...:(
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-05-2013) के "आम फलों का राजा होता : चर्चामंच 1256"
में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
pata nahi kyu lade bina hi har man jatein hai log aajkal....unki zindagi say dusre bhi jude hain....aisa kyu nahi sochte.......marmik rachna
आत्महत्या करनेवाला चला जाता है ,पर दूसरे के लिये गहन संताप पौध उगती छोड़ जाता है!
जीवन का गहन प्रश्न है, पर लगता है जीवन से सहिष्णुता समाप्त हो चली है, चारों तरफ़ ऐसा ही माहोल दिखाई देता है, शायद इन लोगों को जीवन मजाक ही लगता होगा. मार्मिक रचना.
आभार.
रामराम.
सहने की शक्ति खत्म हो रही है ... अकेलापन बढता जा रहा है ...
सोचने का दायरा छोटा हो रहा है ... परिणाम किसी दूसरे के ऊपर क्या होने वाला है इसको सोचना ही नहीं चाहते हैं लोग आज ...
अर्थपूर्ण रचना है ...
तुम्हारी मौत ने मुझ ही
मज़ाक बना डाला |
दुखद सच्चाई
आज के युवा की मानसिक दशा का सटीक चित्रण
सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्ति ऐसे बहुत जीवन की कहानी है . आभार !
संवेदनशील रचना...
कई बार ज़िंदगी ऐसे सवालों में उलझा देती है जिसके जवाब होते ही नहीं, और हो भी तो दे कौन... बहुत मार्मिक रचना.
न जाने कितने अनगिनत सवाल और बैचेनिया घेरे रहती हैं ऐसे हादसों में
अच्छी प्रस्तुति।।
सोचने को मजबूर करती रचना .....क्या ये मजाक है ?
बहुत सुंदर
तौलिया और रूमाल
वाह जी बहुत बढ़िया
ऐसे यूँ ही लड़ने की बजाए
हथियार डाल देना
और मौत की
बाँहों में खुद को
सौंप देना
क्यों मज़ाक समझ लिया तुमने ?----
वाकई यह मजाक की बात नहीं है
मरना इतना सहज नहीं है
बहुत गहन अनुभूति की रचना
बधाई
आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत ही सरल शब्दों में जिंदगी का एक कड़वा सच ..अच्छी प्रस्तुति
आत्महत्या करने औऱ न करने के बीच महज एक पल होता है...अगर उस वक्त कोई सिर्फ बातें सुन ले तो इंसान आत्महत्या न करे...या कहें कि इसकी संख्या कम हो सकती है..पर आजकल लोगो के पास टाइम कहां है..ये भी एक बड़ा सवाल है
संवेदनशील रचना.....
संवेदनशील रचना...
Sach ka aaina..kamal ke bhav..aapki laikni ki pkad umda
Khub ...sach ka aaine liye aapki kalam ka jadu anju..umada
समाधान नहीं तो ये किस काम का सच्चाई को बयान करती विचारपरक अभिव्यक्ति
बहुत खूब भावपूर्ण और संवेदनशील मजाक किया आपने | आभार
premi premika ke bich jyada pratishat hai isaka samajik sanskaro se hui shadiyon me kam pratishat hai. bahut achchhi rachana.
विचलित करती रचना......
आज के पीढी का सटीक सच.. बहुत सुन्दर रचना..
बहुत संवेदनशील लेखन है आपका आदरणीया अंजु जी। सोचने पर विवश कर देता है।
आपका मेरे ब्लॉग्सपर स्वागत है। कृपया पधारें एवं सदस्य के रूप में शामिल होकर कृतार्थ करें। सादर।
मन को कचोटती रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति----
आग्रह है
गुलमोहर------
मन को झंझोड़ कर रख दिया आपकी रचना ने
wastvikta ka sundar chitran jivn ko mazak bna diya hai .....paristhitiyon ke aage hathiyaar dal kar ....
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
फिर भी
जब मैं खाली बैठा
ये ही सोचता हूँ
कि तुमने ऐसा क्यों किया
तो मेरी सोच बस मुझे ही
परेशां करने चली आती है
बहुत विचारोत्तेजक रचना ....पीछे छूटे रिश्ते जो दंड भोगते हैं ...उसकी भरपाई कभी नहीं हो पाती ...फिर कोई कितना भी सोचे-विचारे ...
इस रचना के लिए बधाई
सवेदनशील मन के संवेदनशील विचार ...
शुभकामनायें अनु !
संवेदनशील रचना ...आत्महत्या कोई समाधान तो नहीं है
क्षणिक आवेश में लिया गया निर्णय है यह !
बहुत खूबसूरत,लाजवाब
बहुत मर्मस्पर्शी भावमयी अभिव्यक्ति...
बहुत ही सुंदर रचना
zindagi zindaadili ka naam hai,
murdadil kya khaq jiya karte hain...
सरल शब्दों में एक सच ..अच्छी प्रस्तुति
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