क्या कसूर ऐसी बच्चियों का
कितनी अजीब बात है ना ...एक लड़की पैदा होती है ..उसे स्कूल में शिक्षा जैसी भी मिली हो पर उसे शादी के बाद अपने ससुराल में तालमेल कैसे बिठान है,समाज में कैसे बर्ताब करना है ...बाहर निकल कर लड़को से कैसे बात करनी है ...उनसे कितनी दूरी बनानी है ये बात उसकी माँ वक्त वक्त पर समझाती रहती है|
पर मेरा आज का लेख इस पर आधारित नहीं है |मैं तो आज दूसरा ही मुद्दा लेकर आई हूँ और वो मुद्दा हैं ''खूबसूरती,बलात्कार और तेजाब से पीड़ित लड़कियाँ ''| कितना दर्द सिमटा है सिर्फ इस वाक्य में |
जितना आसान लिखना है उतना ही मुश्किल उन बच्चियों के बारे में सोचना है जो इस वक्त इस तरह का जीवन जीने को मजबूर हैं |
क्या खूबसूरती खुद का गुरुर बन कर तख्तो-ताज पलट कर रख देती है ?
नहीं! आज का वक्त ऐसा नहीं है ..आज की खूबसूरती ऐसे मनचलों को दावत देती है जो उनसे उटपटांग हरकते करते हुए उनके जीवन में परेशानी पैदा करते हैं .. मुझे ऐसा लगता है कि ....आज की खूबसूरती तख़्त को तो नहीं पलटती ..पर स्त्री (स्त्रियों) की जिंदगी में ग्रहण जरुर लगा देती है |
सब कहते हैं की मन की सुंदरता ...तन की खूबसूरती से कहीं ज्यादा साफ़-पाक होती है |पर कोई भी बाहरी इंसान पहली मुलाकात में मन की सुंदरता नहीं देखता वो सिर्फ और सिर्फ सबसे पहले तन की सुंदरता की ओर ही आकर्षित होता है |
किसी भी तेजाब केस को उठा कर देख लीजिए ...स्त्री या लड़की की अति-सुंदरता उसकी दर्द की इन्तहां और जीवन का विनाशक ही बनी है |आज भी (७.८.०१३ )प्रभात खबर.com पर जब ये खबर पढ़ी तो.....
(मुंबई : पश्चिमी उपनगर बांद्रा टर्मिनल पर जिस प्रीति राठी नामक लड़की पर तेजाब फेंका गया था उसकी मृत्यु के बाद उसके पिता अमर सिंह राठी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से मामले की जांच कराने के लिए बंबई हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की. उन्होंने अपनी याचिका में अदालत को बताया कि शहर पुलिस ने इस मामले में कोई संतोष जनक प्रगति नहीं की है और न ही वह आरोपी अभी तक गिरफ्तार किया जा सका इसलिए इस मामले को सीबीआइ को सौंप दिया जाये.)
बस ये ही सबसे पहले दिमाग में आया कि एक और खूबसूरती तेज़ाब की बलि चढ़ गई |
जिस बच्ची पर तेजाब फेंका गया वो निहायत खूबसूरत थी ...और तेज़ाब फेंकने के बाद उसकी मृत्यु हो गई |
इसका मतलब ये ही हुआ की आज स्त्री के लिए उसकी खूबसूरती वरदान नहीं एक अभिशाप बन कर उभार रही है |
कहीं ना कहीं खूबसूरती पर कोई ना कोई अटैक होता आया है ये हम सब जानते हैं |रेप,सारे आम अपहरण या ऐसी कोई भी हरकत जो समाज में मान्य नहीं है ...खूबसूरत बच्ची या स्त्री को भुगतनी पड़ रही है |
पर मैं पूरी तरह से ये भी नहीं कह सकती ही सिर्फ और सिर्फ ऐसा खूबसूरत लड़कियों या स्त्रियों के साथ हो रहा है ...इस से मिलती जुलती खबरे भी हम रोज़ ही अख़बारों में या इस नेट की दुनिता के ऑन लाइन अखबार में पढ़ते ही रहते हैं ....जैसे कि ....मिलती जुलती खबरे(जागरण .......www.jagran.com........28 july 2013)
इस मुद्दे पर, अब कम से कम इस बात की तसल्ली है कि........उच्चतम न्यायालय द्वारा एसिड अपराधों के संदर्भ में...कड़े कानून लागूं किये हैं कि एसिड की बिक्री अब बिना वैध लायसेंस के नहीं की जा सकेगी। इसका उल्लंघन करने पर...जुर्माना और तीन माह का कारावास होगा।( वैसे इस से ज्यादा कुछ होगा ...ऐसा लगता तो नहीं है ) फिर भी एक उम्मीद की किरण जरुर जगी है |
समाज में हो रहें इस तरह के केस वो चाहें तेजाब फेंकना हो या किसी लड़की के साथ किया गया कुकर्म(दामिनी केस को मेरे ख्याल से कोई नहीं भूला होगा अभी तक ) मन को इतना बेचैन कर देते हैं कि क्या पता इस तरह का हादसा अपने किसी करीबी के साथ हो जाएगा ...तब ???
प्रश्न बहुत हैं इस मन में पर उसका कोई तसल्लीबख्श उत्तर कोई भी नहीं है ...भले ही पुलिस या सरकार ऐसी बातों पर कितना भी रोक लगा दे ...पर कुकर्म करने वाले करके चले जाते हैं |
अब इस तरह की खबरों को आप क्या कहेंगे ? कौन, कब और कहाँ कितना सुरक्षित है, आज इस बात की कोई भी गारंटी नहीं दे सकता |घर से सुरक्षित निकलने पर, जब लौट के आने का वक्त होगा ..क्या हम सही सलामत घर आ पाएंगे ?कोई नहीं जानता??????
और क्या कसूर है उन बच्चियों का जो आए दिन बलात्कार की शिकार बनती हैं और ज्यादातर अपनी जान से हाथ धो बैठती हैं ....अफ़सोस होता है अपने इस समाज पर ...अपनी सरकार और अपने आस-पास के लोगों पर
अंजु(अनु)
46 comments:
ek jhatke me jindagi kaise badal jati hai.. koi in kunthagrast tejab fenkne wale se jhulsi hui mahilaon se puchhe to pata chalega... :(
kitna saara dard ta-jindagi sahna hoga..
ek ladki janam se maan lo jayda sundar nahi hai, to iske liye taiyar hoti hai, usko ye baat pata hota hai...
par ek dum se ek second ke baad tejab se jhulasne ki karan.........uff !!
dardnaak..
in kameeno ko maut ki sja bhi kam hai...
मुकेश ..मैं तो इन बच्चियों के लिए दर्द भर शब्द भी नहीं जुटा पाई ...
oh..........pura padha bhi bhi nhi jata...tasvir dekhi na gyi muj se..ab kya khu, likhu
हमारे समाज में सिर्फ कानून नाम के लिए बनते हैं। जुर्माना और तीन माह का कारावास बस...किसी की पूरी ज़िंदगी बर्बाद करने वालों को मात्र 3 माह की सज़ा...:( मेरा बस चले तो मैं तो हर उस तेज़ाब फेंकने वाले अपराधीयों के साथ "जैसे को तैसा" वाला फल दूँ। मैं जानती हूँ यह कोई इस समस्या का हल नहीं है। मगर एक दो अपराधियों के साथ यदि ऐसा हो गया ना तो ऐसा लगता है कि थोड़ी तो दहशत उनके मन में भी आएगी।
सही कहा पल्लवी
अशोक जी ...आप तस्वीर नहीं देख पा रहें ..और जो बच्चियाँ ये सब अपने पर सह रही है ...सोच कर भी कंपकपी होती है
इस विषय पर मैं स्तब्ध अनुभूतियों से गुजरती हूँ …. परिवर्तन के शोर में ये चेहरे असलियत की दास्ताँ सुनाते हैं
सही कहा आपने दी
हमारे देश में कानून तो गरीब ,कमजोर .लाचार लोगों के लिए बनता है ,शक्तिशाली ,धनी के लिए नहीं .ये तो आज़ाद हैं .ये तो संवेदन हीन हैं
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हमारा सामाजिक तानाबाना ही विकृति की ओर बढ चुका है. कानून से नैतिकता का पाठ नही पढाया जा सकता. एसिड को यदि लायसेंस के तहत भी बेचा गया तो क्या जिसे फ़ेंकना ही है वो जुगाड नही कर पायेगा?
यूं तो मर्डर के लिये भी फ़ांसी की सजा है पर इसमे कौन सी कमी आ गई? चारों तरफ़ यही हाल है. समाज को अपने अंदर ही सोचकर इसका उपाय मिलजुल कर ढूंढना होगा, बहुत ही सटीख आलेख.
रामराम.
क़ानून इतना सख्त होना चाहिए कि ऐसी घटना करने से पहले आरोपी पचास बार सोचने के लिए मजबूर हो ,,,
RECENT POST : तस्वीर नही बदली
विकृत सोच की दुखद परिणिति
कमेंटस करने को भी शब्द नही मिल रहे, शरीर के रौंगटे खड़े हो जाते है और दिल भर आता है जब जब ऐसा सुना, पढ़ा और देखा जाता है, ना जाने हमारा समाज किस ओर जा रहा है ।
कमेंटस करने को भी शब्द नही मिल रहे, शरीर के रौंगटे खड़े हो जाते है और दिल भर आता है जब जब ऐसा सुना, पढ़ा और देखा जाता है, ना जाने हमारा समाज किस ओर जा रहा है ।
didi aye din akbar mey ye khabrein padhti hun....man itne gusse say aur dukh say bhar jata hai ki kya kahu.....par ek muk darshak ki tarah kar kuch nahi pate hum.....pata nahi kya ho gaya hai...insaniyat mar gayi hai :(
तेज़ाब हमारी सोच में प्रविष्ट कर गया है। इसे निकल फेंकना होगा
वीभत्स ...... न जाने युवाओं की सोच को क्या हो गया है .... शायद मन में कुंठा घर कर गयी है कि लड़कियां हर क्षेत्र में आगे क्यों निकल रही हैं ... कानून हर अपराध के लिए हैं पर कानून को तोड़ना ही फितरत बन गयी है । विचारणीय लेख ।
बहुत कुछ कहना चाहता हूं इस पोस्ट पर..लेकिन इसे पढ़ने के बाद पैदा हो रही अनुभूति को व्यक्त करने के लिये कैसे शुरू करूं समझ नहीं आ रहा..पर ये ख़बरें अनायास ही दिल में एक गुस्सा पैदा कर देती हैं..और अपनी बेवशी को देख एक क्षोभ भी महसूस होता है...गहन मंथन की मांग करती उत्कृष्ट प्रस्तुति।।।
अंकुर जी आपका जो मन कहता है वो जरुर लिखें.....सोच, मन और दिमाग तक रहती है ..पर लिखा हुआ कभी ना कभी किसी भी सही इंसान तक जरुर पहुँचता है |
और मन में चल रहें मंथन को शब्दों का रूप जरुर दें||
अपनी मूकदर्शिता पर शर्म ही आती है और विवशता पर तो आह ही निकलती है..
अमृता...हमें अपनी बेकसी और बेकरारी पर गुस्सा आता है ...इस लिए मन की भड़ास को यहाँ निकल लेते हैं
Anju ji,
jab tak hamare desh me kanun sakht nahi honge tab tak aise hi julm dhahaye jayenge,aur ye rajneta kabhi bhi kathor kanun nahi bana sakte,kyonki unhe dar rahata hai ki kahi n kahi kabhi bhi ham bhi kathor kanun ke giraft me na aa jaye. baki aapne sach ko ujagar kiya hai jo kabile tarif hai,meri shubhkamanaye aapko.
itane cases hone ke bad bhi na kade kanoon ban pa rahe hai na acid ki bikri par rok lag pa rahi hai ...aur to aur in peediton ke ilaz ka kharch bhi sarkaar nahi utha rahi hai ye sharmnak hai ..iske khilaf awaz uthana hi chahiye ..
sukriya mohan ji
ये हमारे समाज का घिनौना चेहरा है ...इसमें कोई दोराय नहीं है की हमारे समाज के युवा अपराधिक मानसिक प्रवृति का शिकार हो रहें हैं ...एक हीन तुच्छ प्रवृति उनके अंदर जन्म ले रही है ..इसके लिए जड़ की तह में जाना होगा ,कानून बस नाम के लिए है ....में बस इतना ही कहूगी ...जो तन लागे सो तन जाने ...हम कभी भी इन हादसों से गुजरी लड़कियों या महिलाओं का दर्द नहीं समझ सकते
ये हमारे समाज का घिनौना चेहरा है ...इसमें कोई दोराय नहीं है की हमारे समाज के युवा अपराधिक मानसिक प्रवृति का शिकार हो रहें हैं ...एक हीन तुच्छ प्रवृति उनके अंदर जन्म ले रही है ..इसके लिए जड़ की तह में जाना होगा ,कानून बस नाम के लिए है ....में बस इतना ही कहूगी ...जो तन लागे सो तन जाने ...हम कभी भी इन हादसों से गुजरी लड़कियों या महिलाओं का दर्द नहीं समझ सकते
मन व्यथित होता है सच में ..... कड़ी से कड़ी सजा ही उपाय है ऐसी विकृत मानसिकता वालों को सबका सिखाने का ...
ऐसा क्यों ये हमेशा दुखदायी है
sach kaha aapne.....
jitni bhi kadi saja di jaay vo kam hai aise darindo ko...........abhi tak koi kathor kadam nahi uthaye gaye hai............kyo?
बहुत ही घिनौना काम संकुचित मानसिकता का ये परिणाम है..... कड़ी से कड़ी सजा हो हम यही चाहते हैं .....
सटीख आलेख...
kya kahun... ?
aalekh ki sachchai ne kuch kahne laayak hi nhi chhoda..
क़ानून तो इससे भी कड़े बनने चाहियें ... पर समाज में जो परिवर्तन आना चाहिए वो नहीं आ रहा ... दिन ब दिन ऐसी वारदातें बडती जा रही हैं ... इन्सान दरिंदे में परिवर्तित हो रहा है ... ऐसे में कठोर से कठोरतम नियनों का प्रावधान बहुत जरूरी है ...
जी..सहमत हूँ आपसे
bahut vicharniy hai ye mudda...
mansikta ko badalne ki jaruarat hai...
ओह क्या कहूं...
सौंदर्य बड़ा व्यापक शब्द है, जिसे केवल रंग, रूप और काया के संधर्भ में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता,
प्रेम पूरक है, वह सौंदर्य खोजता है रूप नहीं,
संसार की हर प्रेम कहानी में केवल सौंदर्य ही मिलता है,
राधा का कृष्ण के प्रति प्रेम उसी सौंदर्य की उपासना है जो मन से है तन से नहीं|
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बलात्कार ,और एसिड आक्रमण एक बेहद घृणित अपराध हैं,मानवता के लिए इससे शर्मनाक और घटिया दर्जे का अपराध हों ही नही सकता |
केंद्र सरकार ने हाल ही में तेजाब हमलों को एक अलग कैटगिरी मे रखते हुए आईपीसी की धारा 326 में बदलाव कर तेजाब हमलों के लिये कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान रखा है। कई राज्य सरकारों ने भी अब तेजाब हमलों को रोकने के लिये कानून बनाने की इच्छा जताई है। तेजाब हमलों की शिकार लड़कियों को ना तो कोई आर्थिक सहायता मिल पाती है और न ही सामाजिक सहयोग।
मैं कहूँगा की.....इन अपराधों के लिए कम से कम फांसी की सजा देनी चाहिए .|
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“कुछ कहना हैं तुमसे ............."
यह तो पूरे जीवन की त्रासदी है यदि बच गए तो. इस के लिए मृत्यदंड से भी कठोर दंड मिलना चाहिए.
...... कानून नाम के लिए बनते हैं
पुलिस भी अपनी कार्यवाही तेज़ करे और अदालत भी । तेजाब की खुली और आसान उपलब्धी पर रोक हो ।
बहुत बढ़िया सार्थक आलेख ...बड़े चिंता के हालत हैं अंजू जी न जाने ये हैवानियत कब जायेगी समाज से ..कानून अँधा है ?
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
बहुत सटीक आलेख...इसके लिए फांसी की सजा तो अनिवार्य होना चाहिए...
लिखने के लिए शब्द नही मिल रहे हैं क्या लिखूं :(
aap is peeda ko likh saki --ab himmat juta kar ham sab sath chal sake aur kuch ----mansik rogo ka ilaz kar sake --
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