Saturday, March 14, 2009

मै क्या हू .....?


मै क्या हू .....?
मै क्या सोचती हू ?
मै क्या चाहती हू ?
खुद नहीं जानती ........
क्या पाना ,क्या खोना
मेरे लिए सब एक सा है ..
क्यूकि इस दिल से उम्मीद ....
शब्द ही मिट चुका है|
कभी सोचू.........ऐसा करू ,
कभी सोचू ...मै वैसा करू
ऐसे और वैसे के चक्रव्हिहू में ,
कभी कुछ नहीं किया |
कभी सोचू अपने लिए
थोडा सा तो जी लू
फिर सोचा .....वो क्या कहेगा
ये क्या कहेगा . ..सब क्या कहेगे
इसी सोच में , अपने लिए जीना ही छोड़ दिया |
कभी देश की हालत पे गंभीर हो लेती हू ,
पर दूसरे ही पल ...सब लोगो संग हस देती हू
ये सोच की ...सिर्फ मेरे सोचने भर से क्या होगा ,
मै क्या बोलू और क्या ना बोलू ..
कभी सोचा ही नहीं .....
मै क्या हू .....?
(....कृति....अनु ...)

6 comments:

sirf such.com said...

nice kavita.par kuch kavita choti bhi likhye

विवेक दुबे"निश्चल" said...

ese or bese ke chakrviu me jisne jee liya
us hi ne to sab kuchh kar liya
jeewan ki is jang ko sahki jeet liya
jisne socha koi kya kahega
phikr kari jisne jamane ki
usne hi to apne liye sab kuchh jiya
jo jiya sab ke liye uska jeewan hi to jeewan hua vk

Pintu said...

I’m sorry I can’t tell you what
I’m sure you’d rather hear,
But there’s a burden in my heart
I can no longer bear.

P A R D E E P said...

जब जीवन मे उमंग होती हे तो 'चंचलता' आती हे , पर जब जीवन मे निराशा होती हे तो अस्थिरता आती हे , मन बेचैन रहता हे .
हर सोच को एक सुरंग मे हो कर गुजरना होता हे , चाहे वो उमंग हो या फिर निराशा. अगर मन मे निराशा हे , तो बेचैनी हे , मन टिक नहीं पाता किसी एक विषय पर, ना ही किसी एक सोच पर ! अगर हम बुधी को स्थिर रख अभ्यास से मन को स्थिर करने की चेष्टा करें तो मन धीरेधीरे स्थिर होने लगता हे जी....बस धयान इतना रखे की अभ्यास करते हुए ,निराशा को बल पूर्वक आपने से अलग रखना होता हे जी !

Aapne styata purvak apne man ko kavita mey udhael diya hey , bahut sundar likha hey aapne ; prabhu aapko va aapki kalam mey shakti dey !

niru said...

जो लीखा है सच ही लीखा है यार....
सभी शब्द अपने से लेगे...शायद सभी ये सोचते हैं ...
तुमने सबके दिल की बात लिख दी यार,,,बहुत खूब...

पर दुसरे ही पल सब ...लोगों संग हस लेती हूँ...
...............................................
सही कहती हो यार हसना ही चाहिए ..हसना जिन्दगी की जरूरत है..
जिन्दगी जियो तो इस अंदाज़ में की तुम्हे देख के लगे जिन्दगी कितनी ख़ूबसूरत है...

Pintu said...

Salaam Massi