सिर्फ तुम.........
पैगामे--बसंत आया
अपनी मर्यादा के भीतर
वो प्यार लाया ...
देखो फिर उसने एक बार
आस का दीप जलाया
सुबह की हवा ,रात चांदनी
की शीतलता का एहसास करवाया.....
जब नाम लिया तुम्हारा तो
एक ग़ज़ल बन गए
जब भी कुछ कहना चाहा...
एक पैगाम बन गए
सूरज आग सा दहक रहा
उदासी से भरे भरे सुने सब
पर तुम्हारे प्यार की बदली में
भीग गई हूँ मै
सर से नख तक .......
मेरे जीवन पथ के
पथिक..... हो तुम
अब जो फिर से मिले हो तो
साथ निभाना तुम
तुमने देखा नहीं राह चलते
कभी तुम आगाज़ बने
कभी-- अंजाम बन गए ..
अपनी ही तमन्नायो के
दीप जला गए तुम
झलकी है आँखे जब भी
तुम्हारी याद में
इन आँखों में
ख़ुशी के अश्क
बन गए तुम
कहने को ...
हजारो हसरते अब भी है
जो रोके नहीं रूकती
बहुत अरमान ऐसे है
जो दिल ही दिल में
तूफां-खेज़ बन गए
गर नहीं अंजाम से
वाकिफ हो .. तो
मेरी दस्ताने इश्क का
सार हो तुम ....
मेरी बची जिंदगी का
आधार हो ...... सिर्फ तुम
सिर्फ तुम .............
(अनु..)
अपनी मर्यादा के भीतर
वो प्यार लाया ...
देखो फिर उसने एक बार
आस का दीप जलाया
सुबह की हवा ,रात चांदनी
की शीतलता का एहसास करवाया.....
जब नाम लिया तुम्हारा तो
एक ग़ज़ल बन गए
जब भी कुछ कहना चाहा...
एक पैगाम बन गए
सूरज आग सा दहक रहा
उदासी से भरे भरे सुने सब
पर तुम्हारे प्यार की बदली में
भीग गई हूँ मै
सर से नख तक .......
मेरे जीवन पथ के
पथिक..... हो तुम
अब जो फिर से मिले हो तो
साथ निभाना तुम
तुमने देखा नहीं राह चलते
कभी तुम आगाज़ बने
कभी-- अंजाम बन गए ..
अपनी ही तमन्नायो के
दीप जला गए तुम
झलकी है आँखे जब भी
तुम्हारी याद में
इन आँखों में
ख़ुशी के अश्क
बन गए तुम
कहने को ...
हजारो हसरते अब भी है
जो रोके नहीं रूकती
बहुत अरमान ऐसे है
जो दिल ही दिल में
तूफां-खेज़ बन गए
गर नहीं अंजाम से
वाकिफ हो .. तो
मेरी दस्ताने इश्क का
सार हो तुम ....
मेरी बची जिंदगी का
आधार हो ...... सिर्फ तुम
सिर्फ तुम .............
(अनु..)
35 comments:
खूबसूरत अहसास ..
बेहतरीन अभिव्यक्ति!
बहुत भावप्रद कवितायें लिख रही हैं अंजु जी, सुन्दर अभिव्यक्ति.
lovely !!
samrpan bhav ki sunder kavita
अच्छे भाव हैं।
आभार
anu ji,
achi rachna, aabhar mere blog par ane ka ....
ek samvedanshil rachna
really touching, loved it !!
बहुत खूबसूरत भावों को प्रस्तुत किया है. ये अहसास सिर्फ अपना और अपना ही हो सकता है. जिसे संजोया गया है बड़े ही एतिहात से.
गर नहीं अंजाम से वाकिफ हो.. तो
मेरी दस्ताने इश्क का सार हो तुम...
Anuji bahut bahut hi aachi kavita he.
प्रेम की निर्मल धार में बह रहा हूँ ... सुंदर रचना है ...
रचना बहुत बढ़िया लिखी है आपने!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
"sirf tum"...kitna pyara sa bhaw chhalak raha hai..isss TUM ke liye.....
bahut dikhte hain armann..
par har arman me tum nikle....:)
behtareen rachna..!!
god bless!!
anu jee kya khoobsurat likha hai aapne....
aafareen...!!
प्रेम और समर्पण के समन्वय की अदभुद कविता है यह अनु जी... कुछ पंक्तियाँ बेहद कोमल है...सीधे दिल में उतारती हैं... जैसे...
"झलकी है
जब भी आँखें तुम्हरी याद में. ".. किसी का आँखों में झलकना एक कोमल प्रेम का एहसास है.. बहुत सुद्नर...
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
सुन्दर रचना !
भावनाओं से ओत - प्रोत बहुत ही सुन्दर रचना |
भावपूर्ण अच्छी रचना। अंजू जी मेरा ब्लॉग फॉलो करिए और उसे भी पढ़िए शायद पढ़ने का आनन्द ज़ुरूर मिलेगा
bahut hi sundar rachna
सच में बहुत सुंदर रचना है। शानदार अभिव्यक्ति
छलकी हैं आंखे जब भी तुम्हारी याद में,इन आंखों में खुशी के अश्क बन गए तुम।
बहुत बढिया
आप तो बहुत सुन्दर लिखती हैं. चित्र भी कित्ता प्यारा है...बधाइयाँ.
___________________
'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!
गोया "दिल" को ही कलम बना लिया आपने ।
बहुत खूबसूरत ...
kubsurat bhavon ko shabdon me utaar diya!
उम्दा रचना..शुभकामनाएँ
bhavpurn kavita
badhai
rachana
अपने एहसास को व्यक्त करने का अच्छा अंदाज़ - कहत खूब अनु जी.
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत भावुक रचना है सुन्दर अभिव्यक्ति
खूबसूरत भावों को प्रस्तुत किया है.
कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था
इसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया ....मेरी लिखी कविता को पसंद करने और दिल से टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया आप सबका
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..धन्यवाद
bhawna pradhaan rachna hai, jo dil ko chhu gai
Naam liya to gazal ban gaye
Kuchh kahna chaha to paigam ban gaye
Bahut gahri baat kahi ji
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