Sunday, June 5, 2011

सिर्फ तुम.........

चित्र आभार .....रोज़ी सचदेवा







सिर्फ तुम.........








पैगामे--बसंत आया
अपनी मर्यादा के भीतर
वो प्यार लाया ...
देखो फिर उसने एक बार
आस का दीप जलाया
सुबह की हवा ,रात चांदनी
की शीतलता का एहसास करवाया.....

जब नाम लिया तुम्हारा तो
एक ग़ज़ल बन गए

जब भी कुछ कहना चाहा...
एक पैगाम बन गए
सूरज आग सा दहक रहा
उदासी से भरे भरे सुने सब
पर तुम्हारे प्यार की बदली में
भीग गई हूँ मै
सर से नख तक .......

मेरे जीवन पथ के
पथिक..... हो तुम
अब जो फिर से मिले हो तो
साथ निभाना तुम
तुमने देखा नहीं राह चलते
कभी तुम आगाज़ बने
कभी-- अंजाम बन गए ..
अपनी ही तमन्नायो के
दीप जला गए तुम
झलकी है आँखे जब भी
तुम्हारी याद में
इन आँखों में
ख़ुशी के अश्क
बन गए तुम

कहने को ...
हजारो हसरते अब भी है
जो रोके नहीं रूकती
बहुत अरमान ऐसे है
जो दिल ही दिल में
तूफां-खेज़ बन गए
गर नहीं अंजाम से
वाकिफ हो .. तो
मेरी दस्ताने इश्क का
सार हो तुम ....
मेरी बची जिंदगी का
आधार हो ...... सिर्फ तुम
सिर्फ तुम .............

(अनु..)

35 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत अहसास ..

nilesh mathur said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति!

36solutions said...

बहुत भावप्रद कवितायें लिख रही हैं अंजु जी, सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति.

Jyoti Mishra said...

lovely !!

दिलबागसिंह विर्क said...

samrpan bhav ki sunder kavita

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अच्छे भाव हैं।

आभार

Suman said...

anu ji,
achi rachna, aabhar mere blog par ane ka ....

रश्मि प्रभा... said...

ek samvedanshil rachna

palak said...

really touching, loved it !!

रेखा श्रीवास्तव said...

बहुत खूबसूरत भावों को प्रस्तुत किया है. ये अहसास सिर्फ अपना और अपना ही हो सकता है. जिसे संजोया गया है बड़े ही एतिहात से.

Vichar Kranti said...

गर नहीं अंजाम से वाकिफ हो.. तो
मेरी दस्ताने इश्क का सार हो तुम...

Anuji bahut bahut hi aachi kavita he.

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम की निर्मल धार में बह रहा हूँ ... सुंदर रचना है ...

Vivek Jain said...

रचना बहुत बढ़िया लिखी है आपने!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

मुकेश कुमार सिन्हा said...

"sirf tum"...kitna pyara sa bhaw chhalak raha hai..isss TUM ke liye.....

bahut dikhte hain armann..
par har arman me tum nikle....:)

behtareen rachna..!!
god bless!!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

anu jee kya khoobsurat likha hai aapne....
aafareen...!!

अरुण चन्द्र रॉय said...

प्रेम और समर्पण के समन्वय की अदभुद कविता है यह अनु जी... कुछ पंक्तियाँ बेहद कोमल है...सीधे दिल में उतारती हैं... जैसे...
"झलकी है
जब भी आँखें तुम्हरी याद में. ".. किसी का आँखों में झलकना एक कोमल प्रेम का एहसास है.. बहुत सुद्नर...

राजीव तनेजा said...

भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

सुन्दर रचना !

Minakshi Pant said...

भावनाओं से ओत - प्रोत बहुत ही सुन्दर रचना |

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

भावपूर्ण अच्छी रचना। अंजू जी मेरा ब्लॉग फॉलो करिए और उसे भी पढ़िए शायद पढ़ने का आनन्द ज़ुरूर मिलेगा

रंजू भाटिया said...

bahut hi sundar rachna

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

सच में बहुत सुंदर रचना है। शानदार अभिव्यक्ति

छलकी हैं आंखे जब भी तुम्हारी याद में,इन आंखों में खुशी के अश्क बन गए तुम।
बहुत बढिया

Akshitaa (Pakhi) said...

आप तो बहुत सुन्दर लिखती हैं. चित्र भी कित्ता प्यारा है...बधाइयाँ.
___________________

'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!

amit kumar srivastava said...

गोया "दिल" को ही कलम बना लिया आपने ।
बहुत खूबसूरत ...

Shabad shabad said...

kubsurat bhavon ko shabdon me utaar diya!

Udan Tashtari said...

उम्दा रचना..शुभकामनाएँ

Rachana said...

bhavpurn kavita
badhai
rachana

श्यामल सुमन said...

अपने एहसास को व्यक्त करने का अच्छा अंदाज़ - कहत खूब अनु जी.
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

रेखा said...

बहुत भावुक रचना है सुन्दर अभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर said...

खूबसूरत भावों को प्रस्तुत किया है.

संजय भास्‍कर said...

कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था
इसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !

Anju (Anu) Chaudhary said...

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया ....मेरी लिखी कविता को पसंद करने और दिल से टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया आप सबका

Amrita Tanmay said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..धन्यवाद

रश्मि प्रभा... said...

bhawna pradhaan rachna hai, jo dil ko chhu gai

विवेक दुबे"निश्चल" said...

Naam liya to gazal ban gaye
Kuchh kahna chaha to paigam ban gaye
Bahut gahri baat kahi ji