मेरा व्योम
अर्थ नहीं होता है कोई
अर्थ से टूटी भाषा का
तार तार कर संकू मौन को
केवल इतना शोर तो
सुबह का सुनने दो
भरने दो मुझे को सांसो में
खुशबु उसकी ...
स्वर की हदे बांधने दो
पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो
अंधियारे बीजा करते है
गीली मिटटी सी पीडाएं
मेरी जो सलती है
रात भर ...
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है .........
(अनु)
अर्थ नहीं होता है कोई
अर्थ से टूटी भाषा का
तार तार कर संकू मौन को
केवल इतना शोर तो
सुबह का सुनने दो
भरने दो मुझे को सांसो में
खुशबु उसकी ...
स्वर की हदे बांधने दो
पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो
अंधियारे बीजा करते है
गीली मिटटी सी पीडाएं
मेरी जो सलती है
रात भर ...
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है .........
(अनु)
37 comments:
अर्थ से टूटी भाषा सच मुच भाषा कहाँ रह जाती है... एक गहरे संवेदना को व्यक्त कर रही है यह कविता...गीली मिटटी की पीड़ा तब बढ़ जाती है जब कुछ सार्थक गढ़ा नहीं जाता.... अनु जी एक सार्थक और संवेदनशील कविता है यह...
पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो
अंधियारे बीजा करते है
गीली मिटटी सी पीडाएं
मेरी जो सलती है......
कितनी ही बखूबी से आपने इतने सुंदर भाव व्यक्त कर दिए.......बहुत सुंदर और उम्दा रचना
सुन्दर...सुदृढ़ एवं गहरे अर्थ लिए रचना
बहुत खूब अनु जी...
आभार
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
is bar adbhud likhaa hai bahut hee sajeev
पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
यह हुई ना बात इसके आगे कुछ नहीं .
yah talaash puri ho
अच्छी कविता
मनोभावों का चित्रण करते हुए।
पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
यह हुई ना बात इसके आगे कुछ नहीं .
भावमय करती शब्द रचना ।
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है
wahhhhh annu..bahut sahi kaha...
पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो ||
भावमय ||
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है ..
प्रणाम ! आप कि उड़ान अनन्त हो .. सुंदर अभिव्यक्ति .
सादर
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है .........
yahi talash to ham sabki hai Anu ji.
bahut sundar rachna.
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
aafareen!
"अर्थ नहीं होता है कोई
अर्थ से टूटी भाषा का
तार तार कर संकू मौन को
केवल इतना शोर तो
सुबह का सुनने दो"
अनु ,बहुत सुदर और प्रवाहमयी रचना जो जो रचनाकार की चाहत की गति को स्वयं में समाये हुए है.उस दिनभी मैंने यही कहा था.
अक्सर आपका ब्लॉग..और कृतियाँ सोंचने को मजबूर करती हैं !
शुभकामनायें अनु !
रचना के लिये कहूँ तो बहुत सुन्दर है। लेकिन याचना क्यों? इतनी सबल बनो कि राह मे आने वाली हर अडचन को साहस से भगा सको। बहुत बहुत शुभकामनायें।
सुन्दर एवं गहरे अर्थ लिए सुंदर अभिव्यक्ति ...
Anju Ji,itani sundar rachana ke liye aapko bahut bahut badhai.
बहुत सुन्दर
गहरी भावप्रवण रचना
beautifully written.
बहुत खूब,सुन्दर एवं गहरे अर्थ लिए सुंदर अभिव्यक्ति ...
आभार
आप सभी का यहाँ आ कर ...मेरा हौंसला बढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
अनुजी बड़ी कोमल, प्यार भरी, सुन्दर रचना...
भरने दो मुझको पंखों में मेरी दिशा बाँधने वालो ....सुन्दर विचार उत्तेजक तीव्र संवेदन और अम्प्रेशन लिए चोट करती रचना अंतस पर gehre bahut गहरे .
wah Anu ji...behtreen bhavBodh..... Karnal to aksar aana-jana rahta hai....maine apni zindgi ke behtreen kunware solah saal karnal me hi gujare hain....aapse mil kar achcha laga....
भावों को शब्द दिए हैं .. कभी कभी टूटी भाषा बहुत कुछ कहना चाहती है ... पर अर्थ नहीं मिलते हैं ..
आपकी कवितायेँ बहुत खूबसूरत हैं... बेहद संवेदनशील रचना...
बहुत सुंदर, क्या बात है।
excellent..
मनोभावों का सुंदर तरीके से अंकन किया है आपने ....आपका आभार
Simply beautiful !!
बेचेनी भरी तलाश ...???
एहसास से भरपूर !
शुभकामनायें !
anju aapki post me jo samvednayen dikhti hai, wo adhbut hoti hai...
khud ko talash karna bha gaya...!!
रात भर ...
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है ......... anju jo aap ne likha hai..ye us man ki abhivyakti...jo kanhi under tak tuta hua hai...nirmla kapila ji ne jo kaha h us par gaur karo..kamjor na..bano.....bahut sunder likhati ho....SAI Bless u....
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